Sunday 16 October 2016

खतरनाक इस्लाम

इस्लाम का खतरा समझने के लिए आपको बहुत दूर जाने की ज़रुरत नहीं है. बस सिक्ख इतिहास पर नज़र मारें.
गुरु गोबिंद साहेब को खालसा सृजन क्यों करना पड़ा? क्यों कहना पड़ा, सवा लाख से एक लड़ाऊँ? क्यों कहना पड़ा, चिड़ियां नाल बाज़ लड़ाऊँ? क्यों गुरु साहेब और उनके बच्चों को बलिदान देना पड़ा?
उनके पिता गुरु तेग बहादुर को दिल्ली के चांदनी चौक में शहीद कर दिया गया. किस लिए? मात्र इसलिए कि वो इस्लाम स्वीकार नहीं कर रहे थे. गुरु साहेब को समझ आ गया कि यह सीधा अत्याचार है, अनाचार है. तो लड़ा क्यों न जाए? संघर्ष क्यों न किया जाए?
और खालसा अस्तित्व में आया.
गुरु साहेब इस्लाम या हिन्दू के खिलाफ नहीं लड़ रहे थे, वो अत्याचार के खिलाफ लड़ रहे थे, ठीक बात है, लेकिन सवाल यह है कि अत्याचार कर कौन रहा था और क्यों कर रहा था?
वो अत्याचार करने वाले सब मुसलमान थे, आक्रमण करने वाले सब मुसलमान थे. और ऐसा वो कर इसलिए रहे थे कि इस्लाम को फैलाना उनका धार्मिक कर्तव्य था. चाहे जैसे भी.
क्या आज मुसलमान बदल गया? क्या आज इस्लाम बदल गया? नहीं. न तो कुरान बदली है और न बदलेगी.
अभी कुछ ही माह पहले जब औरंगज़ेब रोड का नाम बदलने का मुद्दा उछला था तो बहुत से मुस्लिम बंधु सख्त विरोध कर रहे थे. वही औरंगज़ेब जिसने तेग बहादुर जी को शहीद किया था. इस्लाम में कुछ नहीं बदलता मित्रवर.
दुनिया अगर नहीं समझी तो आज तक जो भी दुनिया ने कमाया है, अंधेरों में खो जाएगा, क्यों कि इस्लाम कोई नमाज़ पढने और रोज़े रखने और बकरीद पर बकरे काटने का ही नाम नहीं है, यह पूरा जीवन दर्शन है, इसमें शरिया है, इसमें जेहाद है. इसमें जीवन के बाद के लालच हैं और डर हैं. यह अपने आप में पूरा कल्चर है. और जब इस्लाम फैलता है तो यह सब तरह के कल्चर को खत्म कर देता है.
और फिर जो समाज पैदा होता है, वो एक अंधेरी दुनिया है, नहीं यकीन तो इस्लामी मुल्कों के हाल देख लीजिये. अगर तेल की ज़रुरत आज दुनिया में बंद हो जाए तो इन इस्लामी मुल्कों के पल्ले सिवा जहालत के कुछ भी नहीं दिखेगा.
खैर, ट्रम्प जीते या न जीते, लेकिन अमेरिका और बाकी दुनिया कुछ हद तक इस्लाम के खतरों को समझने लगी है. आप भी समझिये.

नमस्कार.