Wednesday 30 December 2015

ये धार्मिक लोग

ये धार्मिक लोग...ये मुसलमान...ये हिन्दू...ये ईसाई....ये ये.........ये वो.........इन सबको लात मार के भगाने का......बहुत हो चुका यह सब ड्रामा. तर्क करेंगे? अबे तुम सिर्फ गाली दे सकते हो....किसी को धमका सकते हो....मार सकते हो. सारा इतिहास भरा है गुंडागर्दी से. इंसान ने जो तरक्की की है इन मज़हबी लोगों से लड़-लड़ के की है. इंसानी सोच को लकवाग्रस्त कर रखा है इन पवित्र ग्रन्थों ने. अगर इंसान का कोई दुश्मन है तो ये पवित्र ग्रन्थ, ये धर्म, ये मज़हब. दफा करो इन सब को. सिवा माफिया के कुछ नहीं है ये.

Monday 28 December 2015

!!! टैक्स !!!

टैक्स भरें, लेकिन क्यूँ?

मास्टर जी-1 अप्रैल को मुर्ख दिवस क्यों कहते है?

पप्पू- हिंदुस्तान की सबसे समझदार जनता,पूरे साल गधो की तरह कमा कर 31 st मार्च को अपना सारा पैसा टैक्स मे सरकार को दे देती है।

और 1st अप्रैल से फिर से गधो की तरह सरकार के लिए पैसा कमाना शुरू कर देती है। इस लिए 1st अप्रैल को मुर्ख दिवस कहते है।

बहुत  पहले  कभी  यह  20  पॉइंट का   आर्टिकल  पढ़ा  था. लेखक  का  नाम नहीं पता, उनको धन्यवाद सहित पेश  कर  रहा  हूँ.


1) सवाल-- आप क्या करते हैं?
जवाबव्यापार
टैक्स- प्रोफेशनल टैक्स भरो

2) सवाल-- आप क्या व्यापार करते हैं?
जवाबसामान  बेचता हूँ 
टैक्स- सेल  टैक्स भरो

3) 
सवाल--  सामान  खरीदते कहाँ से हो?
जवाबदेश के दूसरे प्रदेशों से  और विदेश से
टैक्सकेन्द्रीय सेल  टैक्स भरो, कस्टम ड्यूटी  भरो, चुंगी भरो

4) सवाल-- आपको  क्या मिल रहा है ?
जवाबलाभ
टैक्सइनकम टैक्स भरो

5)
सवाल-- लाभ बांटते कैसे हैं?
जवाबडिविडेंड  द्वारा
टैक्सडिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स  भरो

6) सवाल-- सामान बनाते कहाँ हो?
जवाबफैक्ट्री में
टैक्सएक्साइज ड्यूटी  भरो

7)
सवाल-- स्टाफ   भी  है क्या?
जवाबहाँ
टैक्सस्टाफ  प्रोफेशनल टैक्स  दो

8) सवाल-- करोड़ो में व्यापार करते हो क्या?
जवाबहाँ
टैक्सटर्नओवर टैक्स भरो

9) सवाल-- बैंक से ज़्यादा काश निकालते हो क्या?
जवाबजी, तनख्वाह  के लिए
टैक्सकाश  हैंडलिंग टैक्स भरो

10)
सवाल-- अपने क्लाइंट को डिनर और लंच के लिए कहाँ ले जा रहे हो?
जवाबहोटल
टैक्सफ़ूड और एंटरटेनमेंट टैक्स भरो

11)
सवाल-- व्यापार के लिए शहर से बाहर जाते हो?
जवाबहाँ
टैक्सफ्रिंज बेनिफिट टैक्स भरो

12) सवाल-- क्या किसी को कोई सेवा दी है?
जवाबहाँ
टैक्ससर्विस टैक्स भरो

13) सवाल-- इतनी बड़ी रकम कैसे आई आपके पास?
जवाबजनम दिन पर गिफ्ट मिली
टैक्सगिफ्ट टैक्स  भरो

14) सवाल-- कोई जायदाद है आपके पास?
जवाबहाँ
टैक्सवेल्थ टैक्स भरो

15) सवाल-- टेंशन कम करने को, मनोरंजन को कहाँ जाते हो?
जवाबसिनेमा
टैक्सएंटरटेनमेंट टैक्स दो


16) सवाल-- घर खरीदा है क्या?
जवाबहाँ
टैक्सस्टाम्प ड्यूटी  भरो और रजिस्ट्रेशन फीस भरो


17) सवाल-- सफर कैसे करते हो?
जवाबबस से
टैक्ससरचार्ज  भरो

18) सवाल-- अभी और भी हैं टैक्स?
जवाबक्या
टैक्सशिक्षा टैक्स, शिक्षा टैक्स और सभी केन्द्रीय टैक्सोन पर अतिरिक्त टैक्स और सरचार्ज

19)
सवाल-- टैक्स भरने में कभी डेरी भी की है क्या?
जवाबहाँ
टैक्सब्याज़ और जुर्माना भरो

20) भारतीय का सवाल-- क्या मैं मर सकता हूँ अब?
जवाबनहीं, इंतज़ार करो, हम अभी अंतिम संस्कार टैक्स शुरू करने ही वाले हैं.”

सरकार  कहती  है, टैक्स भरो  इमानदारी से.

क्यों भई, क्यों भरें इमानदारी से टैक्स?  चोरों जैसे टैक्स लगा रखें हैं....और उम्मीद करते हैं कि टैक्स इमानदारी से भरें लोग...........

नहीं, टैक्स कम होने चाहिए......सरकारी खर्चे घटने चाहिए.....एक सरकारी नौकर जिसे पचास हज़ार सैलरी मिलती है महीने की, तथा और तमाम तरह की सुविधायें.....वो खुले बाज़ार में पांच से दस हज़ार भी पा सके..........कहाँ से दी जा रही है उसे सैलरी? पब्लिक से लिए गए टैक्स से.......

सो यह तो बात ही नहीं कि  लोग टैक्स इमानदारी से भरें....असली बात है कि भरें ही क्यों?

तुम कुछ भी अनाप शनाप टैक्स लगा दो और जो भरे उसे चोर घोषित कर दो, उसके पैसे को  दो नम्बर का घोषित  कर दो. लानत!  चोर तो तुम हो........

संसद की कैंटीन में मुफ्त जैसा खाना खाते हो, चोर तो तुम हो...

सरकारी बंगले खाली नहीं करते, चोर तो तुम हो.......

तमाम तरह के टैक्स थोपने के बाद भी राजमार्गों पर टोल टैक्स ठोक रखें हैं, क्यूँ? क्या इतने सारे टैक्सों  से अच्छी सडकें नहीं बनती, जो अलग से टोल टैक्स की ज़रुरत है? चोर तुम हो, जो उन सड़कों के इस्तेमाल के लिए भी टोल टैक्स ले रहे हो, जो आम सड़कों से भी गयी बीती हैं, गड्डों से भरी हैं, चौड़ाई में छोटी हैं और जिन पर रोशनी तक की  सुविधा नहीं है...चोर तुम हो

भारत का नेता पाकिस्तान से डराता है, पाकिस्तानी नेता भारत से डराता है...दोनों तरफ सेना खड़ी रखते हैं...ये जो सेना है, इसका खर्चा कौन भरता है? पब्लिक

क्या यह सेनायें घटाई, हटाई नहीं जा सकती और पब्लिक के पैसे से, टैक्स  से फ़िज़ूल का खर्च कम नहीं किया जा सकता? किया जा सकता  है....लेकिन नहीं, इन्हें तो डराए रखना है जनता को.........ताकि ये लोग पॉवर में बने रहें

देशभक्ति की परिभाषा भी नेतागण ने अपने हिसाब से बना रखी है..........टैक्स भरो तो देशभक्त, दूसरे मुल्कों से लड़ाई में शहीद हो जाओ तो देशभक्त..........

असल में टैक्स भरना, नेतागण और सरकारी अमले का पेट भरना है ....

बहुत सर खपाई करते है कि टैक्स का साधारण करण कैसे हो? लगाना ही हो तो खरीद पर टैक्स लगाओ बस......और वो भी आटे में नमक जैसा ...सरकार को पैसे की ज़रुरत, व्यवस्था चलाने के लिए चाहिए कि ऐयाशी के लिए......

सब सरकारी कर्मचारी कच्चे करो, कर्मचारी काम करें तभी ओहदे पर रहें, वरना बहुत और लोग खड़े हैं जो बेरोजगार हैं और इनसे कहीं कम पैसों में काम करने को राज़ी हैं......

ज़्यादा से ज़्यादा काम CCTV के नीचे लाओ, RTI के नीचे लाओ, TIME LIMIT के नीचे लाओ

सरकारी छुटियाँ कम करो.....फ़ालतू के सरकारी आयोजन ..जैसे शपथ ग्रहण, स्वतंत्र-गणतन्त्र दिवस खत्म करो......विदेश यात्रा कम करो......

टैक्स अपने आप कम हो जायेंगे

टैक्स कम होंगें तो उद्यमों पर जोर कम पड़ेगा, और चीज़ें सस्ती हो जायेंगी , निर्यात बढ़ेगा, रोज़गार बढ़ेगा, खुशहाली आयेगी

कुल जमा मतलब है कि अच्छी अर्थ व्यवस्था का मतलब है मुल्क में खुशहाली  हो,  मात्र सरकारी अमले और नेता की खुशहाली अच्छी अर्थ व्यवस्था को नहीं दर्शाती.....अच्छी  अर्थ व्यवस्था का मतलब  है लोग अपनी मेहनत का पैसा अपनी जेब में रख  पाएं ... ज़्यादा से ज़्यादा, रोज़गार बढें  ...निर्यात बढें.......टैक्स की डकैती खतम हो

आमिर खान की लगान फिल्म याद हो शायद आपको, सारा संघर्ष टैक्स को लेकर था......आप हम आज परवाह ही नहीं करते कि कब कहाँ से सरकार हमारे जेब काटती रहती है...शायद हमने  मान लिया है कि सरकारें जब चाहें, जितना चाहिएं, जहाँ चाहे हम से पैसा वसूल सकती हैं...... दफा कीजिये इस मिथ्या धारणा को और आज से यह देखना शुरू कीजिये कि आपकी सरकारें पैसा वसूल सरकारें हैं या नहीं...ठीक ऐसे ही जैसे आप देखते हैं कि कोई फिल्म पैसा वसूल फिल्म है या नहीं

कुछ सुझाव दिए हैं मैंने..... आप अपने सुझाव दीजिये, सादर  आमन्त्रण

 सादर   नमन/ कॉपी राईट/ तुषार कॉस्मिक