Thursday 30 December 2021

एक बड़ा ही आदिम समाज, अवैज्ञानिक किस्म का समाज खड़ा हो जाता है

 मेरा इस्लाम का जो विरोध है उस के कई कारण हैं. एक यह है कि जहाँ-जहाँ इस्लाम पहुँचता है, यह वहां की लोकल कल्चर को खा जाता है. वहां के उत्सव, वहां का खाना-पीना, वहाँ का कपड़े पहनने का ढंग, सब कुछ खा जाता है. औरतें तरह-तरह के रंगीन कपड़ों की बजाए काले लबादों में लिपट जाती हैं. आदमी लोग ऊंचे-पायजामे, लम्बे-कुर्ते पहनने लगते हैं. अजीब दाढ़ी रखने लगते हैं.  गीत संगीत का बहिष्कार होने लगता है. उत्सव के नाम पर ईद-बकरीद बचती है. जिस में बकरीद पर  रस्से से बंधे बेचारे जानवर की गर्दन पर छुरी चलाई जाती है. बाकी सब उत्सव खत्म. और तो और, इस्लाम से पहले के इतिहास से भी समाज को तोड़ा जाता है. एक बड़ा ही आदिम समाज, अवैज्ञानिक किस्म का समाज खड़ा हो जाता है. न. ऐसी दुनिया नहीं चाहिए हमें. सो मैं इस्लाम के खिलाफ हूँ-खिलाफ रहूँगा. इन्शा-अल्लाह!~ तुषार कॉस्मिक

चालाकियाँ

क्या आप को पता है अब जो ईसाई-करण किया जा रहा है, उस में नाम और पहचान बदलने का आग्रह नहीं है. एक सिक्ख का नाम और शक्लों-सूरत आप को सिक्ख जैसी ही नज़र आयेगी. लेकिन उस का ईसाई-करण हो चुका होगा. 

एक का नाम गोविंदा है लेकिन वो भी ईसाई है. 

मैंने तो अमर सिंह और सतबीर, जगबीर नाम के मुसलमान भी देखे हैं. 

कितना आग्रह है क्रिस्चियन और मुस्लिम का कि सब ईसाई हो जायें, सब मुसलमान हो जायें. 

साम-दाम-दंड-भेद सब पैंतरे अपनाये जा रहे हैं इन द्वारा. 

ये धर्म हैं?

नहीं. 

ये गिरोह मात्र हैं. ~तुषार कॉस्मिक

Tuesday 28 December 2021

फिल्म आ रही है~ 83

 फिल्म आ रही है~ 83. जब भारत ने तथाकथित विश्व कप जीता था क्रिकेट का कपिल देव की अगुवाई में, उस पर आधारित है ये फिल्म.  सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज  मार्कंडेय काटजू  कहते हैं कि रोम में जनता की असल समस्याओं से ध्यान हटाने के लिए सर्कस दिखाया जाता था, एरीना में ग्लैडिएटर को लड़वाया-मरवाया जाता था. ठीक वही है क्रिकेट. लोगों को असल मुद्दे समझ न आयें सो क्रिकेट दिखाया जाता है. कबड्डी, क्रिकेट और मिस यूनिवर्स, मिस वर्ल्ड जैसे नकली वैश्विक मुकाबले घड़े ही गए हैं जनता को चुटिया बनाने के लिए. एक होते हैं चूतिये, एक होते हैं महाचुतिये और एक होते हैं क्रिकेट देखने वाले. जय हो!~ तुषार कॉस्मिक

Monday 27 December 2021

अक्सर सुनता हूँ कि हिन्दुओं ने आक्रमण झेले हैं लेकिन खुद कभी किसी पर आक्रमण नहीं किया. गलत है सरासर यह.

अक्सर सुनता हूँ कि हिन्दुओं ने आक्रमण झेले हैं लेकिन खुद कभी किसी पर आक्रमण नहीं किया. गलत है सरासर यह. अशोक ने कलिंग पर आक्रमण किया था या नहीं? कलिंग की धरती खून से लाल कर दी थी. पृथ्वीराज चौहान तो संयोगिता को भरे दरबार से उठा लाये थे. राम ने भी अपने राज्य की सीमा बढ़ाने को ही तो अश्व  छोड़ा था. मार-काट तो हिन्दू और बौधों में भी हुई. शैव और वैष्णवों में भी हुई. कुम्भ के शाही स्नान में कौन पहले करेगा इसलिए भी खूनी लडाइयां होती थी नागा बाबा अखाड़ों में. और हम कहते हैं हम ने कभी आक्रमण नहीं किया! असल में हमारी दुनिया ही सीमित थी. हम बहुत दूर तक लड़ने जा नहीं पाए. जहाँ तक लड़ सकते थे लड़ते रहे. ~तुषार

Sunday 26 December 2021

राधास्वामी: पव्वा सुबह, अद्धा शामी.

 "राधास्वामी: पव्वा सुबह, अद्धा शामी." मज़ाक में कहते हैं लोग. लेकिन मैंने देखें हैं राधास्वामी मांस खाते हुए. दारु पीते हुए. ज़्यादा मजेदार बात बताता हूँ आपको. दिल्ली के छतरपुर इलाके में सैंकड़ों एकड़ सरकारी ज़मीन हड़प रखी थी राधास्वामी ने. यहाँ हेलिपैड था,  आलीशान बंगले, एक कॉन्फ्रेंस हॉल, एक मोबाइल नेटवर्क कंपनी का टावर, जेनरेटर हाउस और पता नहीं क्या-क्या था!  कोर्ट आर्डर से प्रशासन ने तोड़-फोड़ की. जय हो!~ तुषार कॉस्मिक


https://navbharattimes.indiatimes.com/metro/delhi/other-news/445-beegah-land-illegally-occupied-by-radha-swamy-satsang-byas-trust-secret-helipad-found-inside/articleshow/63310259.cms

हिंदी में पीछे एक से एक घटिया फिल्म बनी हैं.

हिंदी में पीछे एक से एक घटिया फिल्म बनी हैं. घिसी-पिटी कहानियाँ. रेप. मर्डर. सेक्स. भद्दे बेसुरे गाने. बस यही कुछ परोसा है ज्यादातर इन फिल्मों ने. पूछो तो बतायेंगे कि पुब्लिक डिमांड है ये सब. फुद्दू हैं ये फ़िल्मी लोग. इन की अक्लें ठस्स हैं. YouTube पर लाखों-करोड़ों views होते हैं आम लोगों के वीडियो पर. क्यों? चूँकि दुनिया अच्छा कंटेंट देखना-सुनना चाहती है. और इन चूतियों को लगता है कि कचरा ही परोसो. बंद करो देखना ताकि इन की अक्ल ठिकाने आये. ~तुषार कॉस्मिक

Friday 24 December 2021

Dharma cannot be pre-settled

 I have already  said that I do not subscribe to any pre-settled Dharma. Dharma cannot be pre-settled. You feel like praying under the sky, you pray. You feel like kissing a tree, you kiss. You feel like bowing before a beggar, a rag picker, a shoe maker, you bow. You feel dancing in the rain, you dance. That is Dharma. Dharma cannot be pre-settled. Prayer can not be pre-defined. Got it?~ Tushar Cosmic

कोरोना का कुल-जमा खेल

 कोरोना का कुल-जमा खेल बस इतना है कि एक टेस्ट के ज़रिये लोगों को वायरस-युक्त घोषित किया जा रहा है और जो मौत औसतन होनी थी, वही हुई, वही हो भी रही हैं लेकिन उन सब मौतों को "कोरोना मृत्यु" घोषित किया जा रहा है. बाकी सब "हफ़ड़-दफड़" का नतीजा है.  असल में एक भी मौत न कोरोना से हुई है, न हो रही है. Lockdown, जबरन वैक्सीनेशन तरीका है पूरी दुनिया को कण्ट्रोल करने का. Human Rights खत्म करने का. इस से निबटने का तरीका मात्र इतना है कि इस षड्यंत्र का पर्दाफाश करें. सरकारी बकवास आँख बंद कर के मत मानें. सवाल खड़े करें. आपका, आप के बच्चों का सवाल है जनाब ....~ तुषार कॉस्मिक

Thursday 23 December 2021

क्रिसमस

 क्रिसमस आ गयी बस. बता दूँ, सब से ज़्यादा जो कत्ल हुए हैं वो ईसाईयत के लिए हुए हैं, इस्लाम से भी ज़्यादा. गलेलियो वृद्ध थे, उन को चर्च में घसीटते हुए ले जाया गया चूँकि उन्होंने बोल दिया था कि धरती सूरज के गिर्द घूमती है, सूरज धरती के गिर्द नहीं घूमता. अब यह बात बाइबिल के उल्ट पड़ती थी. सो गलेलियो को माफी माँगने के लिए मजबूर किया गया. 'जॉन ऑफ़ आर्क' किशोरी थीं, जिस को चर्च ने झूठे इलज़ाम लगा कर ज़िंदा जला दिया. न सिर्फ उसे बल्कि बहुत सी और बुद्धिशाली औरतों को जादूगरनी (Witch) घोषित कर के जिंदा जला दिया गया. मजे की बात यह है कि चर्च ने बाद में 'जॉन ऑफ़ आर्क' को माफ़ी मांगते हुए संत की उपाधि दे दी. और गलेलियो के साथ दुर्व्यवहार के लिए भी माफी माँगी. वैसे Merry Christmas. ~ तुषार कॉस्मिक

Wednesday 22 December 2021

सिक्ख इतिहास जो है न वो गज़ब है

जन्म हुआ सिक्ख परिवार में. पालन-पोषण हुआ हिन्दू-सिख परिवार में. न मैं हिन्दू, न सिक्ख और न ही किसी और स्थापित धर्म को मानता हूँ. लेकिन सिक्ख इतिहास जो है न वो गज़ब है, यह मैं मानता हूँ. ज़रा सुई चुभ जाये तो हिल जाते हैं हम और ये गुरु-शिष्य जान की बाज़ी खेल गए. गुरु गोबिंद को सर्व-वंश-दानी कहा जाता है. पिता, पुत्र, माता, स्वयम और पुत्र-पुत्रियों जैसे हजारों-लाखों शिष्य कुर्बान कर दिए. किस लिए? जो सही लगा उस के पक्ष में और जो गलत लगा उस के खिलाफ. दिसम्बर समय है उन की कुर्बानियों को याद करने का. नमन करने का.  पूरी दुनिया को गुरु गोबिंद और उन के शिष्यों के जज़्बे, उन के संघर्ष, उन की जीत, उन के बलिदानों की कहानियाँ पढ़नी चाहियें, सुननी चाहिए. ...तुषार कॉस्मिक 

Monday 20 December 2021

The target is you, not the Virus, not the Alien, not anything-anyone else.

 Believe me, 

there are further false Crisis coming. Probably an "Alien Attack" or a "Chicken Virus" or a "Mosquito Virus" and another WHO/ IMF Protocol to quarantine you, vaccinate you, un-employ you and kill you.

YOU. Yes, you the Idiots.

The target is you, not the Virus, not the Alien, not anything-anyone else.

Why?

Because you are being considered just a "Biological Waste", a roadblock in the progress of new scientific and technological society, because you are soaked in you so-called religious-unscientific-childish Bullshits, because it's far easier to wipe you instead of reforming you.~ Tushar Cosmic

What's in a name?

 "What's in a name? That which we call a rose by any other name would smell as sweet” (Quote from Romeo and Juliet by William Shakespeare). But I feel there is a lot in name. My original name was Veeru (Veer Singh probably). Then I had been given another name 'Bal Krishan'. Then I changed it to 'Tushar Arora' which I further changed to 'Tushar Cosmic' in all of my writings and videos. My first daughter's name is 'Sufi Siddhi' and second daughter's name is 'Kuhu Kosmic'. Very much Peculiar names. Ha! And they say , "What is there in  name?"~ Tushar Cosmic

Sunday 19 December 2021

सिक्ख इस्लाम और मुसलमान के प्रभाव में हैं

 मेरा मानना है कि सिक्ख इस्लाम और मुसलमान के प्रभाव में हैं लम्बे समय से. सन 80-84 के दौर में जो हथियार थे खालिस्तानियों के पास, वो कहाँ से आये थे? निश्चित ही पाकिस्तान से. अब ये जो निहंगों ने टीकरी बॉर्डर पर एक सिक्ख काट दिया सरे आम और अब  हरमंदिर में एक बन्दा पीट-पीट के मार दिया यह सोच कहाँ से आई? निश्चित ही इस्लाम से.  न तो किसी गुरु ने ऐसा करने को कहा है और न ही गुरु ग्रन्थ में ऐसा कहीं लिखा है, जितना मुझे पता है. यह सिक्खी नहीं है? यह इस्लाम है...तुषार कॉस्मिक 

Saturday 18 December 2021

डायबिटीज

 मैं एलॉपथी द्वारा घोषित बहुत सी बीमारियों को न तो बीमारी मानता हूँ और न ही इन के इलाज को इलाज.

डायबिटीज. शुगर ऐसी ही बीमारी है, जो समस्या तो है लेकिन बीमारी बिलकुल नहीं. बीमारी इसे एलॉपथी ने बनाया है. अब तो हर घर में डायबिटीज का मरीज़ पाया जाता है. और थोड़े समय बाद हर इन्सान ही डायबिटीज का शिकार माना जाने वाला है.

क्या है यह?

बात मात्र इतनी सी है कि हम शरीर में दशकों तक ऐसा भोजन डालते जाते हैं, इतना भोजन डालते जाते हैं, जिसे वो पचा नहीं पाता. लेकिन हम फिर भी नहीं मानते. अंत में शरीर हाथ खड़े कर देता है. इसे ही हम कहते हैं कि इन्सुलिन बनना बंद हो गया है. लेकिन हम इंजेक्शन लगाते हैं इन्सुलिन का, ताकि किसी तरह हम वही बकवास खाना खा सकें जो हम सदियों से खाते आ रहे हैं.

इलाज इस का मात्र इतना है कि खाना बहुत कम खाओ और जहाँ तक हो सके पका हुआ खाना न खाओ और गधे की तरह शरीर का काम करो. बेहतर है लेबर चौक पर जा बैठो. 500 रुपये दिहाड़ी कमाओगे और शुगर से छुटकारा भी  पाओगे.

तुषार कॉस्मिक

"God created man in his own image." ~ BIBLE. घण्टा!बजाते रहो!!

"God created man in his own image." ~ BIBLE.

घण्टा!
बजाते रहो!!

कुत्ता अगर सोचेगा गॉड के बारे में तो एक बड़े से, सुंदर से, शक्तिशाली से, स्वस्थ से कुत्ते की कल्पना ही करेगा और ऐसा ही गधा करेगा और ऐसा ही सुअर. 

कुत्ते का भगवान कुत्ता, सुअर का सुअर औऱ गधे का गधा ही होगा. पक्का! बेशक पूछ कर देखो.

मुर्गों के लिए इंसान शैतान है और KFC नरक!! बताया है उन्होंने इंटरव्यू में. सच्ची. Dog Promise. ~ तुषार कॉस्मिक

क्रिया प्रतिक्रिया. Chain Reaction.

कश्मीर से हिन्दू मार के भगा दिए, इस का ज़िक्र होता रहता है लेकिन उसी दौर में पंजाब से हिन्दू मार के भगाए गए, इस का ज़िक्र कम ही होता है.

दिल्ली और इर्दगिर्द सिक्ख बन्धु ज़िंदा जला दिए गए, ज़िक्र होता है लेकिन 80-84 के दौर में खालिस्तानियों द्वारा बसों से उतार AK-47 द्वारा हिन्दू भूने गए, उस का ज़िक्र न के बराबर होता है. 

यकीन जानिए पंजाब में हिन्दू नहीं मारा जाता तो दिल्ली में कभी सिख भी न मारा जाता.

क्रिया प्रतिक्रिया. Chain Reaction.

इतिहास को ठीक से देखें और सीखें इस से . ~ तुषार कॉस्मिक

भारतीय बहस

भारतीय महान हैं. महान चूतिये!!

इन से बहस करो, न किसी बात का मुँह होगा न सिर. किसी नतीजे पर न ये आप को पहुँचने देंगे, न खुद पहुंचेंगे.

"अजी, उड़द किसी को बादी, किसी को स्वादी". 

"अजी, किसी को 6 दिखता है, किसी को 9". 

इन चूतियों को पूछो, "फिर ज़हर खा के देखो, क्या पता तुम्हारे लिए अमृत हो?"

सारा विज्ञान पैदा ही हुआ है निश्चित कार्य-कारण (Cause and Effect) के सम्बंध की खोज से. पानी उबालो 
 कहीँ भी-कभी भी, 100 डिग्री तक जाते ही भाप बनना शुरू हो जाता है.

यह है विज्ञान, और ऐसे नतीजों पर पहुँचने के लिए ही की जाती है डिबेट. न कि "अजी, सोच अपनी-अपनी, ख्याल अपने-अपने" जैसे नतीजों के लिए. ~तुषार कॉस्मिक

कश्मीर

 मेरा मानना यह है कि कश्मीर में सरकार सोने  की सडकें भी बिछा देगी फिर भी कश्मीर शांत नहीं होगा. 'उन' को वो सब चाहिए ही नहीं. चाहिए इस्लामिक रियासत चाहे उस के लिए सीरिया जैसे खंडहरात में ही कश्मीर क्यों न बदल जाए. चाहिए इस्लाम चाहे अफगानिस्तान जैसी भुखमरी ही क्यों न फ़ैल जाए. चाहिए इस्लाम चाहे पाकिस्तान जैसी हालत ही क्यों न हो जाए कि सरकार खुद कहे कि उस के पास मुल्क चलाने के पैसे नहीं हैं......चाहिए  इस्लाम चाहे.....

Friday 17 December 2021

पंजाब के पास एक महान इतिहास है, भविष्य महान हो... कामना है.

पंजाब से हूँ. हालाँकि बठिंडा छोड़े सालों हो गए  लेकिन आज भी प्यार  है बठिंडा से. बे-इन्तहा. लेकिन पंजाब का वर्तमान मुझे कुछ बढ़िया नहीं दीखता. खेलों में हरियाणा और मणिपुर का नाम है, पंजाब कहीं दूर-दूर तक नहीं दीखता. नौजवान चिट्टा ज़रूर छक रहे हैं. उड़ता पंजाब. कुछ पंजाबी कनाडा चले गए बाकी जाने की इंतेज़ार में हैं. जो नहीं जा सकते वो ईसाई बनते जा रहे हैं. हलेलुईया! गेहूं उगता है लेकिन लोग खाते MP का गेहूं हैं. कई सिक्ख आज भी भिंडरावाले को हीरो मानते हैं और हिन्दुओं को गद्दार. दुःख होता है यह सब लिखते हुए. पंजाब के पास एक  महान इतिहास है, भविष्य महान हो... कामना है... तुषार कॉस्मिक

Thursday 16 December 2021

क्या आप को पता है???

 क्या आप को पता है....

'निकाह' का असल मतलब सेक्स करना होता है? 

'शहीद' का मतलब दीन(इस्लाम) के लिए मरने वाला होता है? 

'बे-ईमान' का मतलब ईमान(इस्लाम) को न मानने वाला होता है?

'गाज़ी' का मतलब दीन(इस्लाम) के दुश्मनों को मार कर अंत में बच जाने वाला होता है?

'इस्लाम' का मतलब है Surrender. Total surrender to Deen (Islam). अब आप (आप का स्वतंत्र वजूद/ इच्छा) हैं ही नहीं, जो कुछ है बस दीन ही है.

 ....तुषार कॉस्मिक.....

Wednesday 15 December 2021

जय श्री राम

 "जय श्री राम". यह नारा "अल्लाह-हु-अकबर" के मुकाबले ज़्यादा खड़ा है आज. राम की विजय हो.कैसी थी उन की विजय? वो ताड़का को गुरु के कहने मात्रा से मार देते हैं, बिना ताड़का का पक्ष सुने. ऐसा ही वो वाली के साथ करते हैं. वाली को पेड़ के पीछे छुप कर मार देते हैं बिना जाने की सुग्रीव ने कितना सच, कितना झूठ उन को बताया है. रावण विजय के बाद वो सीता से कहते हैं,"मैंने तेरे लिए नहीं बल्कि अपने सम्मान के लिए रावण से युद्ध किया. तुम सुग्रीव, भरत, विभीषण, शत्रुघ्न किसी के साथ भी रह सकती हो लेकिन मेरे साथ नहीं." विजय के बाद उन की सेना सोये हुए लंका के आम-जन को घरों में जिंदा जला देते हैं. अयोध्या आने के बाद वो इर्द-गिर्द के राज्यों पर ख्वाह्म्खाह हमला कर देते हैं जब कि वो राज्य कतई निरापद होते हैं.~ TusharCosmic

मैं बदबू छुपाता नहीं.....तुषार कॉस्मिक

 मुझ से किसी ने कहा मैं शेक्सपियर से कालिदास तक, बाबा नानक से जीसस, आर्यभट से आइंस्टीन तक की बात करता हूँ लेकिन फिर गाली-गलौच भी करता हूँ, ऐसा क्यों? ऐसा इसलिए  चूँकि मैं घटिया हूँ. एक गंदे नाले की मछली. इसी बदबूदार समाज का हिस्सा. मैं आप हूँ. बस फर्क इतना ही है कि मैं अपना घटियापन स्वीकार करता हूँ. मैं बदबू छुपाता नहीं.....तुषार कॉस्मिक

हरनाज़ कौर मिस यूनिवर्स

 हरनाज़ कौर मिस यूनिवर्स बन गईं. गुड. पहली बात धरती यूनिवर्स का एक ज़र्रा सा हिस्सा है लेकिन हरनाज़ मिस यूनिवर्स हैं. गुड. वैरी गुड. जीतने के बाद उन्होंने कहा कि औरत को कमोडिटी मत समझें. क्यों न समझें? आप जैसी औरत को एक कमोडिटी के अलावा क्या समझें? आप ने कौन सा तीर मार है कद्दू में? क्या योगदान हैं आप का ज्ञान-विज्ञान में? कुछ भी नहीं. कला में क्या योगदान है आप  का? कुछ भी नहीं.  जैसे क्रिकेट और कबड्डी नकली वैश्विक खेल हैं वैसे ही ये नकली मिस और मिस्टर यूनिवर्स बनाने का खेल है जिस से कुछ न साबित होता है न हासिल. रही बात सौन्दर्य की तो मैंने  सड़क पे पत्थर तोड़ती मजदूरनियां कहीं ज़्यादा सुंदर देखीं हैं...मात्र चुतियापा  है यह सब ...तुषार कॉस्मिक .

Tuesday 7 December 2021

तेरा दित्ता खावना....दात तेरी दातार.......

जरा सा धन आ जाये, तो जाते हो मन्दिर, गुरुद्वार...........तेरा दित्ता खावना....दात तेरी दातार........जैसे मंदिर, गुरूद्वारे, मस्ज़िद से धन बरसता हो. इडियट हो, यह धन तुम्हारी अपनी हेरा-फेरियों, बे-ईमानियों का नतीजा है. और कोई भी समाज समृद्ध तथाकथित दीन-धर्म  से नहीं होता, वैज्ञानिकता से होता है. वैज्ञानिकता मतलब तार्किकता, मतलब प्रयोग-धर्मिता. और तुम्हारे सब धर्म अवैज्ञानिक हैं, अंध-विश्वास का नतीजा हैं. तुम ने अंध-विश्वास का चोगा पहना है, इस से कोई फर्क नहीं पड़ता कि चोगा नारंगी है, हरा है या सफेद. समझे?~Tushar Cosmic

Saturday 16 October 2021

जिहाद - मुसलमानी तर्क

मुसलमान जब काफिर को मारते हैं तो यह इन का दीन है, लेकिन जब काफिर उन को मारता है तो यह अत्याचार है. घोर अत्याचार. यही अत्याचार है, जो इन को जिहाद के पथ पर आगे, और आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है.

महान भारतीय !

1) भारतीय विश्व-गुरु का जीवन बस अपनी शादी और फिर अपने बच्चों की शादी में ही उलझा रहता है. इन चूतियों से बात कर के देखो. इन को दुनिया के हर विषय के बारे में सब पता होता है. न भी पता हो, लेकिन ये ही दर्शाएंगे कि इन को सब पता है. असल में इन को घण्टा कुछ पता नहीं होता.  न इन्होंने कोई ज्ञान विज्ञान पैदा किया न करेंगे. ये तो विज्ञान-प्रदत्त सुविधा खरीदने-भोगने को ही बुध्दि का प्रमाण मानते हैं. धरती के बोझ. 

2) भारतीय बुद्धू से बात करो.  

ये ऋषियों मुनियों की संतान हैं. परम-पावन-भूमि भारत माता की संतान. सन्तों-सिद्धों-बुद्धों की भूमि भारत-माता की सन्तान. कला, दर्शन-शास्त्र, ज्ञान-विज्ञान की भूमि भारत माता की सन्तान. अध्यात्मवादी. इन को भौतिकवाद से, पदार्थवाद

से क्या मतलब?

ये गुरु हैं. विश्व गुरु. गुरु घण्टाल. 

अब इन के जीवन देखो. सिवा सेक्स की भुखमरी के कुछ नज़र नहीं आएगा.  इन का गीत, संगीत, फिल्में, कहानियां, प्रेम, नफरत,  सब सेक्स के गिर्द घूमता है. चूतिये. 

3) भारतीय अपने मुल्क को बहुत प्रेम करते हैं. क्यों न करेंगे? महान भारत भूमि. महान भारतीय!

चूतिये!~

असल में जिन को भी ज़रा सी सुविधा मिली, उन्होंने अपने बच्चे यूरोप, अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रलिया जैसे मुल्कों में फिट कर दिए हैं. बाकी ऐसा करने की फ़िराक में हैं. अधिकाँशत:. 

आज भारतवासियों को मौका दे दो गोरों के मुल्कों में बसने का, लगभग पूरा भारत खाली हो जाएगा. यहाँ बैठे बकचोदी जितनी मर्ज़ी करवा लो.  

ओवर- स्मार्ट इडियट्स.

4) भारतीय पैसे के लेन-देन में एक दम खरे हैं. खरे बेईमान. प्रॉपर्टी डीलर हूँ. तमाम सर्विस देने के बाद भी बहुत कम लोग ही खुशी से तयशुदा पैसे देते हैं. कोई लटका देता है ताकि भूल-चूक हो जाये और पैसे बच जाएं, कोई रोने-पीटने लग जाता है, कोई ज़बरदस्त बहस करता है, कोई लड़ने लगता है और हाथापाई पे उतर आता है. हर सम्भव प्रयास किया जाता है कि पैसे या तो देने न पड़ें या कम से कम देने पड़ें. यकीन जानिए  जूता, लट्ठ  निकालने पड़ते हैं,  तब जा कर लोग पैसे देते हैं. यह है महान भारतीय संस्कृति. यकीन न हो तो बाज़ार में कोई माल उधार फ़ेंक कर देख लीजिए, मूलधन वसूलना मुश्किल हो जाएगा. जो लोग भारत के महान होने के गीत गाते हैं, इन्हें बताना चाहता हूँ कि सभ्यता-संस्कृति किताबों में नही, गलियों और सड़कों पे मिलती है. 

5) भारतीयों के कपड़े अलग-अलग होते हैं. अमूमन रोज़मर्रा के कपड़े सब से निचले दर्ज़े के.घिसे, बदरंग, पुराने. बाहर-अंदर आने-जाने वाले कपड़े काफी-कुछ बेहतर होते हैं. ये अक्सर अलमारी की शोभा ही बढ़ाते रहते हैं. अब बारी आती है शादी-ब्याह में पहने जाने वाले कपड़ों की. शादी-ब्याह में औरतें बहुत भारी काम वाले कपड़े पहनती हैं.  ज़ेवर-कपड़े दिखने चाहियें चाहे ठंड से तबियत ही ख़राब हो जाये. आदमी लोग गर्मी में भी 3-piece सूट पहने होते हैं. Tie-Bow लगाते हैं. हहहहह..मेरे पास बस एक ही तरह के कपड़े हैं, वही मैं रोज़ पहनता हूँ. कोई मरे- कोई जीये. किसी की शादी हो, चाहे तलाक हो. जीन्स, फिट trouser और टी-शर्ट पहनता हूँ. रेगुलर शर्ट-पैंट मेरे पास है ही नहीं.

6) 
भारतीय जीवन धर्म से शुरू होता है, धर्म से चलता है और धर्म के साथ खत्म होता है. बच्चा पैदा होता है तो नामकरण पंडित, पुजारी करता है. शादी ब्याह होगा तो मंदिर, गुरूद्वारे के गिर्द होता है. मृत्यु होगी तो अंतिम क्रिया कर्म भी पंडित या भाई जी करेंगे. कितने धार्मिक लोग हैं! हैं न? नहीं हैं. ये सिर्फ दुनियादारी के तल पर खड़े बौने लोग हैं. गमले में उगे हुए दरख्त. बोनसाई पेड़. जो विशाल वृक्ष बन तो सकते थे लेकिन बने नहीं. इनके जीवन में कोई अन्वेषण, कोई नवीनता, कोई एडवेंचर नहीं है. ये बस चली आ रही लकीरों के फ़कीर हैं. 

ये मंदिर, गुरूद्वारे, चर्च भी जाते हैं तो अपनी सड़ी-गली जिंदगियों का बोझा फेंकने. किसी के बेटे की शादी की चिंता है, किसी को बेटी कनाडा भेजनी है, किसी को  मुकदमा जीतना है. बस. इस तरह के कामों के लिए हैं इन की प्रार्थनाएं, अरदासें. धर्म तो है अन्वेषण, प्रयोगधर्मिता, तार्किकता और तार्किकता आधारित कर्म. धर्म है नित नवीनता. धर्म है क्रांति. धर्म है शांति. धर्म कोई धार्मिक स्थलों में ऊंघने का नाम थोडा न है. धर्म कोई बोरियत थोडा न है. धर्म है रसमयता. धर्म का इन भारतीय धार्मिक लोगों से क्या लेना-देना? 

भारत माता की जय हो!

तुषार कॉस्मिक

Tuesday 5 October 2021

Dirty Old Men

मैं सुबह-सवेरे पश्चिम विहार, दिल्ली के डिस्ट्रिक्ट पार्क में होता हूँ. भयंकर व्यायाम. युवक, युवतियां, और बुड्ढ़े सब होते हैं. जवान अधिकांशतः एक्सरसाइज में व्यस्त होते हैं.
बुड्ढ़े. इन को पंजाबी में 'सयाने' कहा जाता है. लेकिन यकीन जानिये एक भी सयानी बात नहीं कर रहे होते. घूम-फिर के इन की बातें सेक्स पर आ जाती हैं. खिसियाने मज़ाक. घटिया चुटकले. जिन पर हँसी भी न आये. लेकिन ये खिलखिलायेंगे.
क्या सीखा इन्होने ज़िंदगी में?
इन की जिंदगियों में कोई लालित्य, कोई सौन्दर्य, कोई फलसफ़ा, कोई साहित्यकता, कोई वैज्ञानिकता मुझे नज़र नहीं आती. नज़र आता है तो खोया सेक्स. और उस का अफ़सोस. बस किसी तरह ये सेक्स करने के लायक दुबारा हो जाएँ तो इन के पौ बारह.
इडियट्स. इसीलिए अंग्रेजी में इन्हें "Dirty Old men" कहा जाता है.

अदालती सुधार

जज को फैसला करने पे पैसे दें और यदि उसका फैसला अगली अदालत बदल देती है तो पैसे वापिस ले लें, सब ठीक हो जाएगा. और सैलरी बंद कर दें. जब सैलरी की जगह फैसले और सही फैसले पर पैसे दिए जाएंगे तो दशकों के काम महीनों में होगा.

इस्लाम-मुसलमान-हिन्दू-तुम-मैं-हम सब

मुस्लिम से कोई संवाद न करें इस्लाम पर. आलोचना बरदाश्त ही नहीं इस्लाम में फिर क्यों सवाल उठाने मुस्लिम के आगे?

इस्लाम, कुरान, मोहम्मद आलोचना से परे हैं एक मुस्लिम के लिए.

कुरान इन के लिए इलाही किताब है, आसमानी फरमान, डायरेक्ट अल्लाह से उतरा हुआ.

मोहम्मद अल्लाह के आखिरी मैसेंजर हैं, इन के बाद कोई और दूजा मैसेंजर अब आ ही नहीं सकता. अल्लाह ने मैसेंजर भेजने बंद कर दिए इन के बाद.

और अल्लाह का मेसेज क्या है? वो है कुरान, जिस के इतर आप बोलना दूर, सोच तक नहीं सकते.

गुड. लेकिन इसी वजह से मैं मुस्लिम से बहस करने को मना करता हूँ. कोई फायदा ही नहीं. जो भी विचार, जो भी व्यक्ति आलोचना से परे हो, वो मेरी नजर में इंसानियत के लिए खतरनाक है, नुक्सानदायक है. बहस होगी तो असहमति भी होगी, आलोचना भी होगी, निंदा भी होगी. स्वीकार है इस्लाम को, मुस्लिम को यह सब?

नहीं है स्वीकार.

तो फिर ठीक है भैया, हमें भी तुम से बहस करना स्वीकार नहीं.

हम सिर्फ गैर-मुस्लिम को आगाह कर सकते हैं.

दुनिया के हर गैर-मुस्लिम को इस्लाम के प्रति आगाह कीजिये. शिद्दत से कीजिये. बिना गाली-गलौच के कीजिये. तर्क से कीजिये. फैक्ट से कीजिये.

मुस्लिम सिर्फ दुनिया भर में हिंसा ही नहीं करते फिरते. बम-बनूक ही प्रयोग नहीं करते सिर्फ. वो और भी तरीकों से दूसरे समाजों को हानि पहुंचाते हैं. वो व्यापार गैर-मुस्लिम से ले तो लेंगे लेकिन देंगे नहीं. देंगे तो मजबूरी में.

हलाल मांस एक खास ढंग से काटा जाता है. आप को क्या लगता है कि गैर-मुस्लिम अगर वैसे ही कटेगा तो मुसलमान उस से खरीद लेगा? नहीं खरीदेगा. वो मुसलमान से ही खरीदेगा. वो हलवाई, नाई, कसाई सब मुस्लिम ही ढूँढेगा.

मेरे एक जानकार हैं मुस्लिम. प्रॉपर्टी डीलर. दफ्तर का नाम रखा है "हिन्द प्रॉपर्टीज़". लेकिन असल बात यह है कि मुस्लिम का हिन्द से कोई लेना-देना ही नहीं है. वो तो आयुर्वेद की जगह यूनानी दवाखाना ढूँढता है. वो मंदिर, गुरूद्वारे मुफ्त का इलाज लेने चला जाएगा लेकिन कोई भी फ़ायदा किसी गैर मुस्लिम को मुफ्त दे कर राज़ी नहीं. मुस्लिम की पहली कोशिश यही है कि फायदा हो तो मुस्लिम को हो.

मुस्लिम दूसरे समाज की लड़की से शादी कर लेगा और उसे मुसलमान बना लेगा लेकिन अपने समाज की लड़की दूसरे समाज में नहीं देगा. उस के समाज से कोई बाहर चला जाए, गैर-मुस्लिम बन जाये, यह उसे बरदाश्त ही नहीं.

तमाम अंतर-विरोधों के बावजूद बाकी समाज आपस में फिर भी रोटी-बेटी का रिश्ता रखते हैं. प्यार-व्यापार भी कर लेते हैं. सम्भावनाएँ हैं. लेकिन मुस्लिम समाज अलग ही है. इस में अंतर-निहीत है कि यदा-कदा-सर्वदा दुनिया को मुस्लिम करना है. जानते हुए भी कि जहाँ इस्लाम है वहां मुसलमान ही मुसलमान को मारते रहते हैं. वहां कोई विज्ञान पैदा नहीं हुआ. इस्लामी मुल्कों में रहना मुसलमान की पहली पसन्द नहीं है. उस की पहली पसंद गोरों के मुल्कों में रहना है. भारत में रहना है. काफिरों के मुल्कों में रहना है. बावजूद इस के उसे होड़ है कि बस किसी तरह सब मुसलमान बन जाएँ.

तुम ने मुसलमान बन के क्या कद्दू में तीर मार लिया? यह नहीं देखते. सिवा तादाद बढाने के और क्या किया? दुनिया को सिवा मार-काट के क्या दिया? यह नहीं देखते. बस सब को मुसलमान करना है.

प्रॉपर्टी डीलर हूँ. यकीन जानिये, अधिकांश लोग मुसलमान को किराए पर मकान देना भी सही नहीं समझते. जिस गली में चार घर मुसलमान के बस जाएँ तो पड़ोसियों में दहशत फैलनी शुरू हो जाती है. लोग घर बदलने की सोचने लगते हैं. यह है मुसलमान की इमेज!

अक्सर लोग कहते हैं, "हजार गैर-मुस्लिम में एक मुस्लिम बड़े आराम से रह लेगा लेकिन ३०-४० परसेंट भी मुस्लिम आबादी हो गयी तो गैर-मुस्लिम का रहना मुश्किल हो जाएगा." यह है मुसलमान की इमेज!

विभिन्न आंकड़ों /आकलन के अनुसार भारत में मुस्लिम आबादी 15% के करीब होगी, हालाँकि मुझे शँका है इस आकलन पर. यह आबादी इस से कहीं ज़्यादा होगी, लेकिन फिर भी मुस्लिम Minority है. यह है मुस्लिम की इमेज!

आप को भारतीय समाज में से कुछ लोग अब बड़ी-बड़ी कम्पनी के सीईओ बने दीखते हैं, कुछ ओलिंपिक मैडल लिए दीखते हैं. कुछ इक्का-दुक्का वैज्ञानिक भी दीखते हैं लेकिन इन में मुस्लिम कहाँ हैं? मुस्लिम खुद को अफज़ल समझते हैं, अव्वल समझते हैं. कितने गोल्ड मैडल लेते हो भाई ओलंपिक्स में? तुम्हारा तो खाना-पीना अब अल्लाह ने तय किया है. डायरेक्ट अल्लाह ने. फिर भी काफिरों से हार जाते हो.

कुछ सोच ही लो.

लेकिन यह 'सोचने' का आह्वान मैंने मुस्लिम को नहीं किया. उस ने इस्लाम, कुरान, मोहम्मद के बाहर नहीं सोचना. मोहम्मद उन के रोल मॉडल हैं. मुस्लिम अपने रोल मॉडल के खिलाफ खुद कैसे सोच सकता है, वो तो दूसरे को भी सोचने नहीं देता. सो मेरा आह्वान गैर-मुस्लिम को है. गैर-मुस्लिम इस्लाम को पहले तो खुद समझे. आज सब कुछ ऑनलाइन है. इस्लाम को, कुरान को, हदीस को समझने के लिए तमाम ऑडियो-विडियो-किताब मौजूद हैं. देखें, पढ़ें, सुनें. और फिर तर्क से, फैक्ट से, किताबी रिफरेन्स से अपने इर्द-गिर्द लोगों को ऑफलाइन/ऑनलाइन सब ढंग से समझायें.

लेकिन हाँ, एक बात ध्यान रखें कि जब मैं इस्लाम के खतरे से आप को आगाह करता हूँ तो इसका यह मतलब कतई नहीं कि आप अपने समाजों, अपने सम्प्रदायों, अपने धर्मों की सड़ी-गली मान्यताओं को ढकते रहो. नहीं. इस्लाम का विरोध अपने समाज की गन्दगी ढकने के लिए प्रयोग न करें जैसा कि आज भाजपा कर रही है.

भाजपा के पॉवर में आने का एक बड़ा कारण है ही यही कि हिन्दू समाज इस्लाम के खतरे से बचना चाहता है. इसीलिए वो भाजपा के हजार खून माफ़ करे जा रहा है. विकास के नाम पर महँगाई पकड़ाई जा रही है वो बर्दाश्त करे जा रहा है. गंदगी पहले जितनी ही है या शायद पहले से भी ज़्यादा फिर भी "स्वच्छ भारत अभियान" को बर्दाश्त करे जा रहा है. अंदर-खाते महसूस कर रहा है कि को.रो.ना नकली है. लॉक-डाउन, मास्क, टीका गैर-ज़रूरी है, फिर भी बर्दाश्त किये जा रहा है.

आरएसएस में हिन्दू समाज को ऐसा बताया जाता है जैसे बस इस से बढ़िया कुछ इस धरती पर घटित हुआ ही नहीं.

जात-पात आज भी है इस हिन्दू समाज में. नाली-गटर आज भी कोई बामण नहीं करता.

बन्दर हवा में उड़ता है. पहाड़ उठाता है. मैल से बच्चा बन सकता है. इंसानी बच्चे की गर्दन काट कर उस पर हाथी की गर्दन फिट हो सकती है. गणेश बन सकते हैं. गणेश जी.

यह सब सनातन है.
सनातन मूर्खता!

इस्लाम हिंसक है. ठीक बात है. लेकिन बाकी समाजों में भी मूर्खताएं और अंध-विश्वास भरे पड़े हैं. गन्दगी भरी है. इस्लाम को अपने समाज के लिए ढक्कन की तरह प्रयोग न करें, ढाल की तरह प्रयोग न करें. जिस तलवार से इस्लाम को काटना है, वही तलवार अपने समाज की मूर्खाताओं को काटने के लिए भी चलायें.

इस्लाम का विरोध करें लेकिन अपने समाज की गन्दगी का भी विरोध करें. सामाजिक और राजनितिक दोनों फ्रंट पर. भाजपा विकल्प नहीं है, यह अच्छे से समझ लें. ये लोग मात्र पोंगा-पंथी हैं. यह सच है कि आरएसएस की शाखा में कोई हिंसा नहीं सिखाई जाती, अनुशासन सिखाया जाता है, परस्पर रेस्पेक्ट सिखाई जाती है, लेकिन कोई वैज्ञानिक सोच नहीं सिखाई जाती यह भी सच है. कोई नवीनता नहीं सिखाई जाती. सिखाई जाती है पोंगापंथी और पुरातनपंथी. मैं रहा हूँ आरएसएस में वर्षों तक..

खैर, थोडा लिखा, ज़्यादा समझें.
चिट्ठी को तार समझें.
चिट्ठी का जवाब ज़रूर दें.
छाहे जैसा भी जवाब हो लेकिन दें ज़रूर.

छोटों को नमस्ते, बड़ों को मार.
कॉस्मिक तुषार

Monday 13 September 2021

इस्लाम और सर्वधर्म समभाव

मुस्लिम दोस्त(?) कह रहा था कि सब लोग बराबर हैं और मैं हँस रहा था चूंकि इस्लाम के मुताबिक मुस्लिम अफ़ज़ल (सर्वश्रेष्ठ) हैं.

पाकिस्तान में तो एक व्यक्ति पर मात्र इस लिए कोर्ट केस हो गया चूंकि इस ने यह कह दिया कि सब धर्म बराबर हैं.

और यहां भाईजान हमें मूर्ख बना रहे हैं.

इस्लाम और औरत-मर्द की मोहब्बत

 जितना मुझे पता है इस्लाम औरत-मर्द के इश्क को स्वीकार नहीं करता.

मोहब्बत नबी से और इबादत अल्लाह की.
बस.
इसीलिए मजनू का मज़ाक उड़ाया जाता था कि लैला तो काली है, उस में क्या रखा है.
इसीलिए मजनू को पत्थर मारे जाते थे.

जय सिया राम?

रावण को मारने के बाद राम के पास जब सीता लाई जाती हैं तो राम कितने सम्मानजनक शब्द उसे बोलते है. खुद देख लीजिए.

"रावण को मैंने अपने कुल पर लगे धब्बे को मिटाने की लिए मारा है. तुम अब चाहो तो भरत, लक्ष्मण, शत्रुघ्न, सुग्रीव या विभीषण के पास चली जाओ चूंकि तुम रावण के पास रह कर आई हो सो मैं तुम्हे स्वीकार नहीं कर सकता."
वाल्मीकि रामायण से उध्दरण भी दे रहा हूँ.....
तदर्थं निर्जिता मे त्वं यशः प्रत्याहृतं मया |
नास्थ् मे त्वय्यभिष्वङ्गो यथेष्टं गम्यतामितः || ६-११५-२१
"You were won by me with that end in view (viz. the retrieval of my lost honour). The honour has been restored by me. For me, there is no intense attachment in you. You may go wherever you like from here."
तदद्य व्याहृतं भद्रे मयैतत् कृतबुद्धिना |
लक्ष्मणे वाथ भरते कुरु बुद्धिं यथासुखम् || ६-११५-२२
"O gracious lady! Therefore, this has been spoken by me today, with a resolved mind. Set you mind on Lakshmana or Bharata, as per your ease."
शत्रुघ्ने वाथ सुग्रीवे राक्षसे वा विभीषणे |
निवेशय मनः सीते यथा वा सुखमात्मनः || ६-११५-२३
"O Seetha! Otherwise, set your mind either on Shatrughna or on Sugreeva or on Vibhishana the demon; or according to your own comfort."

सबसे बड़ा युद्ध

सबसे बड़ा युद्ध जानते हैं क्या होता है? विचार-युद्ध. यह आपको दूसरों से तो बाद में करना होता है, पहले खुद से करना होता है. मैं किशोर था और मैं नोट-बुक के एक पन्ने पे लिखता था--"भगवान है" और सामने वाले पन्ने पे लिखता था "भगवान नहीं है". फिर दोनों के पक्ष में नीचे तर्क लिखता था. मेरा पास आज भी एक किताब है "गर्व से कहो हम हिन्दू हैं" और दूसरी है "शर्म से कहो हम हिन्दू हैं". मेरे पास "वाल्मीकि रामायण" है और रंगनायकम्मा रचित "रामायण एक विष-वृक्ष "भी है. विचार-युद्ध इत्ता मुश्किल जानते हैं क्यों है? चूँकि इसमें खुद को ही खुद के खिलाफ लड़ना होता है. खुद को ही गलत साबित होने का रिस्क होता है. सो इससे बचता है इन्सान.

मानो आप 40 साल से मन्दिर में घंटा बजा रहे हैं, अब कैसे खुद ही साबित करोगे कि नहीं, घंटा बजाना बेकार है? मूर्ती से धन-धान्य मांगते आए हो, कैसे खुद ही साबित करोगे कि मूर्ती किसी को कुछ नहीं दे सकती? सब ने अपने जीवन का आधार गलत-सही मान्यताओं पर खड़ा किया होता है, अब इन मान्यताओं को चैलेंज करने की हिम्मत आप खुद नहीं कर पाते. कोई और चैलेंज करता है तो आप विरोध करते हैं, लड़ते हैं, बिना देखे कि चैलेंज करने वाला सही है या गलत.

बस इसी से निकलना है आपने. खुद की मूर्ती खुद ही तराशनी है आपने. तर्क-युद्ध करना है खुद से....यही सबसे बड़ा तप है.......यही वैज्ञानिकता की तरफ ले जा सकता है आप को , समाज को... यह दुनिया सीख जाये तो चंद दिनों में यहीं जन्नत है. हमें किसी ख्याली जन्नतों की कभी ज़रूरत ही न होगी....

तुषार कॉस्मिक.

Tuesday 17 August 2021

इस्लाम की ताकत घटाने का एक और नायाब तरीका

जो भी मुस्लिम इस्लाम छोड़ना चाहते हों, उन के लिए गैर-मुस्लिम सरकारों को आश्रय-स्थल बनाने चाहियें. हालाँकि इस्लाम छोड़ने वाले मुस्लिम को पॉलीग्राफ और नार्को जैसे से गुज़ार कर पक्का कर लेना ज़रूरी है कि वो वाकई इस्लाम छोड़ रहे हैं, अपनी समझ से और अपनी मर्ज़ी से इस्लाम छोड़ रहे हैं. मुझे लगता है कि मुस्लिम की एक बड़ी तादाद जो इस्लामी समाजों में फंसी है, वो बाहर आयेगी और इस तरह इस्लाम के पास जो तादाद की ताकत है वो घटेगी. दुनिया में शांति बहाली की तरफ यह एक बड़ा कदम होगा. अमनो-चैन बढ़ेगा, ज्ञान-विज्ञान बढ़ेगा.

देसी

ये जो तुम विदेशी नस्ल के रंग-बिरंग-बदरंग कुत्ते रखते हो, तुम इडियट हो. देसी कुत्ते रखो, रखने हैं तो.लोकल. ये यहाँ के जलवायु के हिसाब से कुदरत ने घड़े हैं.

ये जो तुम चौड़े हो के महँगे-महँगे विदेशी फल,सब्ज़ियाँ और सुपर-फ़ूड खाते हो, तुम मूर्ख हो. लोकल फल-सब्ज़ियाँ-अनाज खाया करो. कुदरत हर जगह के हिसाब से बेस्ट पैदावार देती है.
ये जो तुम "देसी" शब्द से ग्रामीण या गंवार, कम पढ़ा-लिखा समझते हो, तुम मूढ़ हो. देसी मतलब देस का, मतलब लोकल. और जो लोकल है, वो ज़रूरी नहीं घटिया हो, बेकार हो. वो बेस्ट suitable हो सकता है, होता है.
नज़रिया बदलो. देसी की इज़्ज़त करना सीखो.
~ तुषार कॉस्मिक ~