भारतीय महान हैं. महान चूतिये!!
इन से बहस करो, न किसी बात का मुँह होगा न सिर. किसी नतीजे पर न ये आप को पहुँचने देंगे, न खुद पहुंचेंगे.
"अजी, उड़द किसी को बादी, किसी को स्वादी".
"अजी, किसी को 6 दिखता है, किसी को 9".
इन चूतियों को पूछो, "फिर ज़हर खा के देखो, क्या पता तुम्हारे लिए अमृत हो?"
सारा विज्ञान पैदा ही हुआ है निश्चित कार्य-कारण (Cause and Effect) के सम्बंध की खोज से. पानी उबालो कहीँ भी-कभी भी, 100 डिग्री तक जाते ही भाप बनना शुरू हो जाता है.
यह है विज्ञान, और ऐसे नतीजों पर पहुँचने के लिए ही की जाती है डिबेट. न कि "अजी, सोच अपनी-अपनी, ख्याल अपने-अपने" जैसे नतीजों के लिए. ~तुषार कॉस्मिक
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