मैं बदबू छुपाता नहीं.....तुषार कॉस्मिक

 मुझ से किसी ने कहा मैं शेक्सपियर से कालिदास तक, बाबा नानक से जीसस, आर्यभट से आइंस्टीन तक की बात करता हूँ लेकिन फिर गाली-गलौच भी करता हूँ, ऐसा क्यों? ऐसा इसलिए  चूँकि मैं घटिया हूँ. एक गंदे नाले की मछली. इसी बदबूदार समाज का हिस्सा. मैं आप हूँ. बस फर्क इतना ही है कि मैं अपना घटियापन स्वीकार करता हूँ. मैं बदबू छुपाता नहीं.....तुषार कॉस्मिक

Comments

  1. Bold मतलब क्या?

    सोशल मीडिया पर माँ-बहन की गालियों से हर पोस्ट को अलंकृत करना बोल्ड हो गया है. अरविन्द को 'अरविन्द भोसड़ी-वाल' और मोदी समर्थकों को 'मोदड़ी के' लिखना गर्व का विषय माना जाने लगा है.

    'गैंग्स ऑफ़ वासेपुर' जैसी घटिया फिल्म एक कल्ट फिल्म बन जाती है, चूँकि उसमें गालियों की भरमार है.

    यू-ट्यूब पर कुछ सीरीज इस लिए मशहूर हो रही हैं कि बनाने वाले नंगी गालियाँ दिखाने की हिमाकत कर रहे हैं.

    वाह! बोल्ड होना कितना आसान, कितना सस्ता हो गया है.

    अगर यही बोल्ड होना है तो यह बोल्डनेस गली के हर नुक्कड़ पर भरपूर मौजूद है. आपको एक दूजे की माँ-बहन ताश पत्तों के साथ पीटते बहुत लोग मिल जायेंगे.

    जीवन में जस-का-तस जो है, वो दिखाना ही बोल्ड होना यदि है, तो फिर आप और आगे बढिए स्कूलों में भी ऐसा ही सब पढ़ा दीजिये. मुंशी प्रेम चंद के लेखन की जगह माँ-बहन की इज्ज़त में चार चाँद लगाने वाला साहित्य पढ़ायें, मिल जाएगा भरपूर. और स्कूलों में ही क्यूँ? अपने पूजा स्थलों में भी सुनाये जाने वाले किस्से कहानियां को इन्ही अलंकारों से सुसज्जित कर दीजिये. क्या दिक्कत?

    इडियट! भूल जाते हैं कि शौच भी किया जाता है ओट में. टट्टी शब्द का अर्थ ही है पर्दा, ओट.

    जीवन में बहुत कुछ ऐसा है, जो है, लेकिन अगर बदबूदार है तो हम उसे छुपा देते हैं, मंदिर में नहीं सजाते. मंदिर में अगर-बत्ती लगाई जाती है ताकि चौ-गिर्दा खुशबू से महक उठे.

    तो मित्रवर, बोल्ड होने का मतलब बदलिए. एक मतलब मैं दे देता हूँ. सामाजिक मूर्खताओं से टकराइये, हो सकता हैं छित्तर पड़ें, लेकिन हिम्मत रखिये. यही बोल्डनेस है.
    तथास्तु!

    नोट (माफ़ी के साथ) ----ऊपर जो दो गालीनुमा शब्द प्रयोग किये उनको काँटा निकालने के लिए प्रयोग किया गया काँटा समझिये. अन्यथा आप मेरी किसी भी पोस्ट में शायद ही गाली या अपशब्द पायें.

    ------- Tushar Cosmic

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