जरा सा धन आ जाये, तो जाते हो मन्दिर, गुरुद्वार...........तेरा दित्ता खावना....दात तेरी दातार........जैसे मंदिर, गुरूद्वारे, मस्ज़िद से धन बरसता हो. इडियट हो, यह धन तुम्हारी अपनी हेरा-फेरियों, बे-ईमानियों का नतीजा है. और कोई भी समाज समृद्ध तथाकथित दीन-धर्म से नहीं होता, वैज्ञानिकता से होता है. वैज्ञानिकता मतलब तार्किकता, मतलब प्रयोग-धर्मिता. और तुम्हारे सब धर्म अवैज्ञानिक हैं, अंध-विश्वास का नतीजा हैं. तुम ने अंध-विश्वास का चोगा पहना है, इस से कोई फर्क नहीं पड़ता कि चोगा नारंगी है, हरा है या सफेद. समझे?~Tushar Cosmic
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