Tuesday 29 October 2019

बग-दादी

तुम लादेन मारो, बग-दादी मारो
या इनका दादा-दादी,
फर्क नहीं पड़ेगा.....
कोई और ले लेगा इनकी जगह.
वो सदियों से होता आया है.
पत्ते काटने से कुछ नहीं होगा.
जड़ काटो. जड़ कुरान है. कुरान पर हमला करो.
गाली-गलौच से नहीं. तर्क से. फैक्ट से.
और अब तो तुम्हारे पास हथियार है.
तुम्हारा मोबाइल फोन. यह तुम्हारा यार है.

इससे करो मुकाबला
"मंदिर-मसीत में चोरी हो जाए,
पुलिस वाला पिट जाए,
जज की बीवी किसी के साथ भाग जाए,"
तो समझो समाज सही दिशा में जा रहा है.
सादी रोटी, अदरक-हरी मिर्च की चटनी और कच्चा प्याज़ खाया करो गधो. लिख लो पञ्च-तारा होटल बेचेगा इसे बहुत महंगा. और डॉक्टर लिखेगा इसे दवा की जगह. तब सीखोगे. मेरी थोड़ा न मानोगे

ORIGINALITY

Originality is never 100% original, yet it is ORIGINAL.

How? Lemme explain.

A computer is what?

It is somewhat typewriter, somewhat calculator, somewhat TV, somewhat this, somewhat that.......

Right?

Can you say that there is nothing original in the computer because it is TV, Calculator, typewriter, everything Old, everything stale?

No dear. Though old things are there, yet it is NEW. Fresh. A never before thing. ORIGINAL.

That is what Originality is.

Tuesday 22 October 2019

जब तक सीनिमा है, तब तक लोग चूतिया बनते रहेंगे

"जब तक सीनिमा है, तब तक लोग चूतिया बनते रहेंगे", यह महाज्ञान हमें सीनिमा से ही मिलता है (गैंग्स ऑफ़ वासेपुर).

"आप को टीवी देखना ही नहीं चाहिए" यह ज्ञान भी टीवी पर रवीश कुमार से मिलता है.

"और सोशल मीडिया से क्रांति नहीं आ सकती" यह जबर्दस्त ज्ञान भी हमें सोशल मीडिया पर महा-एक्टिव मित्रगण से मिलता है.

MORAL:-- पोस्ट करते रहें. 

बस अक्ल है तुम्हारी खोई-खोई

न कोई  गौरी मां  है, न काली
न झाड़ों वाली, न पहाड़ों वाली
न  डंडे वाली, न झंडे वाली, 

न अवतार, न कोई पीर, न पैगम्बर,
खाली है  अम्बर, खाली है  अम्बर

न जहनुम,   न जन्नत 
न पूरी होगी कोई मन्नत

सब व्यर्थ है
अनर्थ है, अनर्थ है

बस कोरी कथा  है
तुम्हारी  व्यथा है
 

न अल्लाह है, न भगवान है
पागल इन्सान है
कायनात हैरान है

न कोई देवता है, न  देवी कोई
बस अक्ल है तुम्हारी खोई-खोई

न कोई चुड़ैल, न परी
बात खरी है,  खरी-खरी

न कोई प्रेत, न है जिन्न कोई
बस अक्ल है तुम्हारी सोई-सोई
बस अक्ल है तुम्हारी खोई-खोई

नमन......तुषार कॉस्मिक