Tuesday, 22 October 2019

बस अक्ल है तुम्हारी खोई-खोई

न कोई  गौरी मां  है, न काली
न झाड़ों वाली, न पहाड़ों वाली
न  डंडे वाली, न झंडे वाली, 

न अवतार, न कोई पीर, न पैगम्बर,
खाली है  अम्बर, खाली है  अम्बर

न जहनुम,   न जन्नत 
न पूरी होगी कोई मन्नत

सब व्यर्थ है
अनर्थ है, अनर्थ है

बस कोरी कथा  है
तुम्हारी  व्यथा है
 

न अल्लाह है, न भगवान है
पागल इन्सान है
कायनात हैरान है

न कोई देवता है, न  देवी कोई
बस अक्ल है तुम्हारी खोई-खोई

न कोई चुड़ैल, न परी
बात खरी है,  खरी-खरी

न कोई प्रेत, न है जिन्न कोई
बस अक्ल है तुम्हारी सोई-सोई
बस अक्ल है तुम्हारी खोई-खोई

नमन......तुषार कॉस्मिक

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