न कोई गौरी मां है, न काली
न झाड़ों वाली, न पहाड़ों वाली
न डंडे वाली, न झंडे वाली,
न अवतार, न कोई पीर, न पैगम्बर,
खाली है अम्बर, खाली है अम्बर
न जहनुम, न जन्नत
न पूरी होगी कोई मन्नत
सब व्यर्थ है
अनर्थ है, अनर्थ है
बस कोरी कथा है
तुम्हारी व्यथा है
न अल्लाह है, न भगवान है
पागल इन्सान है
कायनात हैरान है
न कोई देवता है, न देवी कोई
बस अक्ल है तुम्हारी खोई-खोई
न कोई चुड़ैल, न परी
बात खरी है, खरी-खरी
न कोई प्रेत, न है जिन्न कोई
बस अक्ल है तुम्हारी सोई-सोई
बस अक्ल है तुम्हारी खोई-खोई
नमन......तुषार कॉस्मिक
बेहतरीन
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