Saturday 20 June 2015

मंदिर कैसे कैसे

"चूतड़ टेका मंदिर" गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा के लगभग मध्य में हनुमान का मंदिर है, नाम है "चूतड़ टेका मंदिर". यहाँ पर परिक्रमा करने वालों के लिए अपने चूतड़ टेकना अनिवार्य माना जाता है "लम्बे लिंग वाले इलोजी के मंदिर " वहीं राजस्थान में इलोजी के मंदिर भी हैं......यह कोई मूछड़ देवता है ...लम्बा लिंग लिए नंग धडंग ....स्त्रियों,पुरुषों दोनों में प्रिय.........पुरुष इसके जैसा लिंग चाहते हैं, काम शक्ति चाहते हैं और बेशक स्त्रियाँ भी.....सुना है इसके गीत गाये जाते हैं, फाग....नवेली दुल्हन को दूल्हा अपने साथ ले जा इसे पेश करता है, वो इसका आलिंगन करती है , असल में पहला हक़ नयी लड़की पर उसी का जो है ....ब्याहता औरतें भी उसके लिंग को आ-आ कर छूती हैं लड़के की प्राप्ति के लिए भी "योनि मंदिर" यह मंदिर है असम में... कामाख्या मंदिर.... यहाँ देवी की योनि की पूजा होती है, अब यह मत कहियेगा कि मात्र शिव लिंग की पूजा होती है, हालंकि वह भी मात्र शिवलिंग नहीं पारवती की योनि भी है.....लेकिन यहाँ मात्र योनि रूप है माता का ...हर साल मेला भी लगता है ...कोई मूर्ती नहीं है..योनि की आकृति को छू कर नमन किया जाता है "वीज़ा वाले हनुमान जी का मंदिर" अहमदाबाद के इस चमत्कारिक हनुमान जी के मंदिर में लोग विदेश जाने के लिए भगवान से वीजा दिलाने की प्रार्थना करते हैं. मान्यताओं में आस्था रखने वाले लोग बड़ी संख्या में यहां आते हैं और कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, यूरोप जाने के लिए भगवान से वीजा मांगते हैं. "कुतिया महारानी मां का मंदिर" बुंदेलखंड क्षेत्र के झांसी जनपद में स्थित रेवन और ककवारा गांवों के बीच लिंक रोड पर कुतिया महारानी मां का एक मंदिर है, जिसमें काली कुतिया की मूर्ति स्थापित है. आस्था के केंद्र इस मंदिर में लोग प्रतिदिन पूजा करते हैं. झांसी के मऊरानीपुर के गांव रेवन और ककवारा के बीच लगभग तीन किलोमीटर का फासला है. इन दोनों गांवों को आपस में जोड़ने वाले लिंक रोड के बीच सड़क किनारे एक चबूतरा बना है. इस चबूतरे पर एक छोटा सा मंदिरनुमा मठ बना हुआ है. इस मंदिर में काली कुतिया की मूर्ति स्थापित है. मूर्ति के बाहर लोहे की जालियां लगाई गई हैं, ताकि कोई इस मूर्ति को नुकसान न पहुंचा सके. "बुलेट बाबा का मंदिर" जयपुर, राजस्थान के पाली इलाके में एक ऐसा मंदिर है जहां भगवान नहीं बल्कि बुलेट की पूजा होती है. लड्डुओं की जगह शराब चढ़ाई जाती है. लोगों की मान्यता है की ऐसा करने से एक्सीडेंट नहीं होता है और यहां के बाबा उनकी रक्षा करते हैं. "सती माता के चौरे" वैसे तो पूरे मुल्क में, लेकिन ख़ास राजस्थान में आपको बहुत से मंदिर मिल जायेंगे, सती माता के मंदिर, चौरे....बाकायदा मेले लगते हैं वहां पर...अब वो अलग बात कि सतियाँ हुई लेकिन सता एक भी न हुआ....उनके मंदिर तो नज़र नहीं आते.....सुना तो यही है कि बेचारी औरत को ज़बरदस्ती नशा पिलाया जाता था और फिर भीड़ उसे ठेलती ठालती पति की चिता तक ले जाती थी...उसकी चीखें ढोल नगाड़ों के शोर में दबा दी जाती थी और जिंदा जला दिया जाता था ज़बरन और फिर शुरू होती थी उसकी पूजा...जय हो सती माता तेरी और तेरे मंदिरों की......राजस्थान में झुंझुनू नमक की जगह पर तो बहुत बड़ा मंदिर है सती माता का, मेला भरता है हर साल "डकैत ददुआ का मंदिर" पाठा की सरजमीं में लगभग चार दशक से भी ज्यादा लम्बे समय तक आतंक का पर्याय रहे दस्यु सम्राट ददुआ की मूर्ति का अनावरण अंततः धाता (फतेहपुर) में कर दिया गया। अब वो मरणोपरांत भगवान् की श्रेणी में आ गए हैं, जबकि अपने सम्पूर्ण जीवनकाल में ददुआ का दूसरा अर्थ दहशत ही था। "राजमंदिर" जयपुर में एक बहुत प्रसिद्ध जगह है "राजमंदिर" ........यहाँ कोई राम, कृष्ण या शिव आदि के दर्शन करने नहीं आते लोग....यहाँ अक्सर आमिर खान, सलमान खान, शाहरुख़ खान या अमिताभ बच्चन आदि के दर्शन करने आते हैं लोग.......चूँकि यह एक सिनेमा हाल है... वैसे ठीक इसी नाम से दिल्ली में जहाँ मैं रहता हूँ, पश्चिम विहार में एक बहुत बड़ी दूकान है दाल, चावल चीनी आदि की, मतलब डिपार्ट-मेंटल स्टोर "राजामंदिर" वैसे मैंने अपने पिछले राजस्थान के टूर में मंदिर तो राजा का भी देखा था, शायद जोधपुर में, बाकायदा पूजा होती है आज राजा के मरने के दशकों बाद भी, राजतन्त्र खत्म होने के बाद भी "बिरला मंदिर" पहले मंदिर राम, कृष्ण, शिव आदि के हुआ करते थे, लेकिन आज आपको बिरला मंदिर भी मिलते हैं,बिरले ही मिलते हैं, भारत के प्रमुख शहरों में मिलते हैं लेकिन मिलते हैं..अब यह बिरला कोई भगवान नहीं हैं लेकिन भगवान से कम भी नहीं हैं, अरे, वही बड़े व्यपारी, भारत के अम्बानी से पहले के सबसे बड़े अमीर जिन्हें हम भारतीय "टाटा-बिरला" इकट्ठा कहा कर अक्सर याद करते थे और आज भी करते हैं "खजुराहो" खजुराहो और कोणार्क मंदिर आज भी बहुत से नीतिवादी भक्तजनों के लिए सिरदर्द हैं, कमाल की कोशिश करते हैं इन मंदिरों की दीवारों पर खुदे सम्भोग दृश्यों को कोई नीतिवादी जामा पहनाने की.....लेकिन ये मूर्तियाँ हैं कि आज भी नग्न खड़ी हैं "शिवलिंग" भक्तजन अक्सर प्रयास करते हैं कि यह शिव के लिंग का पूजन नहीं है, यह तो प्रकृति के सृजन की पूजा है....यह है....वह है ....लेकिन मेरा तो कहना मात्र इतना ही है कि मित्रगण यह न सिर्फ शिव के लिंग की पूजा है बल्कि पारवती की योनी की भी पूजा है, यह दोनों के सम्भोग की पूजा है .......मात्र इसकी शकल देखिए और नाम पर गौर फरमाएं और कोई ग्रन्थ देखने की ज़रुरत ही नहीं है वैसे लिंग की पूजा तो जापान में भी होती है और रजनीकांत भगवान का एक चलचित्र भी आ गया है "लिंग" "रावण और दुर्योधन मंदिर" लाख समझा-समझाया जाता हो कि रावण और दुर्योधन तो विलन हैं....... बुराई के प्रतीक....आप जलाते रहो हर साल रावण को....लेकिन मंदिर है रावण के, बाकायदा पूजन होता है.....और मंदिर है दुर्योधन का भी "खिलाडियों और एक्टरों के मंदिर" अब मंदिरों की क्या बात साहेबान, सुना है मंदिर तो सचिन तेंदुलकर, अमिताभ बच्चन, रजनी कान्त और भी कुछ दक्षिण के फ़िल्मी कलाकारों के बने हैं....मंदिर का क्या है भाई "राजनेताओं के मंदिर" यहाँ तक तो ठीक था लेकिन हैरानी तब है कि नेताओं तक के मंदिर बने हैं भारत में, मायावती तक का मंदिर बना है ..मंदिर का क्या है भाई, जिसका मर्ज़ी बना दो © Copy Right

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