मैंने समय समय पर मोदी भाई जी के बारे लिखा है, कुछ उनके प्रधान मंत्री बनने से पहले, कुछ बाद.........कहा तो उन्होंने यही था कि प्रधान संत्री बनेंगे.......लेकिन बने हैं परिधान मंत्री........लेकिन लोग आज भी अभिमंत्रित हैं, आप सादर आमंत्रित हैं, देखिये मैं कितना सही हूँ, कितना नहीं हूँ....शुरू करता हूँ उनके प्रधान सेवक बनने से पहले के समय से ------
(1) मोदी हैं कौन..
a) भक्त जन अंधे हैं.......
बहुत तो इसलिए मोदी मोदी भजते हैं कि कांग्रेस ने सेकुलरिज्म के नाम पर मुसलमानों की फेवर ही की है.......उनको लगता है कि मोदी कम से कम हिन्दू हितों की रक्षा तो करेंगे.....लेकिन नहीं, यदि हिन्दू , मुस्लिम ही बन कर सोचते रहेंगे तो कभी भी निष्पक्ष सोच ही नहीं पायेंगे......जो सोचेंगे, कहेंगे वो असंतुलित ही होगा....वकत आ चला है, सिर्फ इंसान बनो, उतार फेंको यह सब गुलामियाँ......फिर आपको समझा आएगा कि आपके धार्मिक और सियासी नेता कितने बकवास हैं
b) मोदी हैं कौन....जो लोग मोदी को बहुत बढ़िया स्टेट्समैन मानते हैं शायद भूल जाते हैं कि गोधरा काण्ड में ट्रेन में हिन्दू जलाए गए मोदी के ही राज्य में, मोदी के मुख्यमंत्री कार्यकाल में
मोदी के ही राज्य में मुस्लिम के खिलाफ दंगे भड़के थे गुजरात में.....कोर्ट न साबित कर पाया है कुछ..लेकिन एक बात तो साबित होती है कि मोदी बढ़िया मुख्यमंत्री होते तो दंगे काबू करते
और एक हत्या भी कोई कर दे तो फांसी तक हो सकती है..लेकिन हज़ारों लोगों की हत्या हो जाए अगर किसी नेता के कार्यकाल में तो उसे प्रधान मंत्री बना दें....This can happen only in India.
और मोदी हैं आरएसएस की पैदवार...वो आरएसएस जिस की हिन्दू संस्कृति की, हिंदुत्व की अपनी ही परिभाषा है.......जो जैन, बौद्ध और सिख आदि को बिना उनसे पूछे, बिना उनकी सहमती के हिन्दू घोषित करता आया है...
और मोदी हैं आरएसएस की पैदावार जिसके किसी भी बड़े नेता ने शायद ही जनसँख्या की वृद्धि के खिलाफ ठीक से बोला हो, अभी कुछ ही दिन पहले जिसके बड़े नेता हिन्दुओं को ज्यादा बच्चे पैदा करने के लिए आह्वान कर रहे थे....चाहे कुत्ते बिल्ल्यों की तरह जीयें लेकिन आबादी बढ़नी चाहिए, जो भाजपा को सपोर्ट करती रहे
मोदी है आरएसएस की पैदावार, वो आरएसएस जो राष्ट्रवाद का दम भरता है लेकिन जब बाल ठाकरे और उनके वंशज उत्तर भारतीयों को मुंबई में पीटते है, उनके साथ गुंडागर्दी करते हैं तो कभी विरोध नहीं करता..बल्कि उनके साथ हमेशा राजनीतिक गांठ जोड़ में रहता है
मोदी है आरएसएस की पैदावार, जो आरएसएस अपनी शाखायों में व्यक्ति निर्माण का दम भरता है लेकिन जिसकी offshoot राजनीतिक पार्टी भाजपा के प्रधान बंगारू लक्ष्मण कैमरा में करेंसी नोट रिश्वत में लेते पकडे जाते हैं, जिनके दुसरे बड़े नेता गडकरी पता नहीं कैसी कैसी असली नकली कंपनी चलाते पकडे जाते हैं..जिनके तीसरे बड़े नेता अपने नौकर के साथ यौन क्रियायों में लिप्त पाए जाते हैं
और मोदी हैं आरएसएस की पैदवार...वो आरएसएस जो पार्क में बैठे प्रेमी जोड़ों की पिटाई करवाता रहा है, उनके साथ गुंडई करता रहा.....बिना यह समझे कि भारतीय संस्कृति में लिंग का पूजन होता है, खजुराहो के मर्दिरों में मैथुन मूर्तियाँ गढ़ी गयी हैं, भारत में Valentine डे जैसा ही वसंत उत्सव मनाया जाता था, इसे आसानी से समझने के लिए शूद्रक द्वारा लिखित संस्कृत नाटक "मृच्छकटीकम" आधारित हिंदी फिल्म उत्सव देखी जा सकती है , बिना यह समझे कि भारत में ही वात्सयान ने काम सूत्र रचा था , जिसे पूरी दुनिया में पढ़ा जाता है, बिना यह समझे कि यहीं पर पंडित कोक ने कोक शास्त्र रचा था, यहीं पर राजा भर्तृहरी ने शृंगारशतक लिखा था, बिना यह समझे कि भारत में वैश्य/गणिका/नगरवधू रामायण काल में भी होती थी और बुद्ध के काल में भी
और मोदी हैं बीजेपी की पैदावार, जो कल तक राम मंदिर बनवाने को ही राष्ट्र की उन्नति का आधार माने बैठी थी.......और आरएसएस को तो बस अपनी ही गलत सलत धारणायों का पोषण करना है, उसे गहराई में तो जाना नहीं है...उसे क्या मतलब कि राम कहाँ गलत है कहाँ सही इसका विवेचन किया जाए...उसे तो मतलब बस यह कि राम पूरे भारत में पूजे जाते हैं....राम के नाम पर हिन्दू को जोड़ा जा सकता है, राम के नामपर राजनीती की जा सकती है....सो कसम राम की खाते हैं मंदिर वहीं बनायेंगे...जैसे मंदिर बनने से ही हर गरीब अमीर हो जायेगा, भारत सुपर पॉवर बन जाएगा, भारत में ज्ञान विज्ञानं पसर जाएगा....बिना यह समझे कि राम के अपने समय में भी भिखारी थे.....खैर वाल्मीकि रामायण यदि पढ़ भर लें एक बार तो बहुत कुछ अनदेखा सामने आ जाएगा ....ध्यान रहे मैं वाल्मीकि रामायण कह रहा हूँ पढने को, तुलसी का मानस नहीं
कल कोई कह रहा था कि ये जो मोदी साब बच्चों को भाषण सुनवा रहे हैं न अपना...वो असल में भविष्य के वोटरों में अपनी फेस-वैल्यू पैदा करने की एक ट्रिक है .......
c) हिन्दू का दुश्मन मोदी, मुस्लिम का ओवेसी, सावधान ---
कोई आपको कहे आप मूर्ख हो, उल्लू के पट्ठे हो, आप मान लोगे क्या? गले से लगा घूमोगे इन तमगों को?
लड़ पड़ोगे क्या, यदि किसी ने आपको सयाना, बुद्धिमान कह दिया?....... आपकी भावनाएं आहत हो जायेंगी क्या....पवित्र, धार्मिक भावनाएं? आप मरने, मारने पर उतारू हो जायोगे क्या?
नहीं न...फिर काहे हिन्दू, मुस्लिम, इसाई बने घूम रहे हो..... वह भी सिर्फ कहा गया है आपके कानों में ..कहा गया है कि आप हिन्दू हो या सिख या मुस्लिम आदि ....और हज़ार बार कहा गया है, बारम्बार कहा गया है कि आपका धर्म सर्वश्रेष्ठ है..कहा गया है कि आपके धर्म से जुड़ी भाषा, साहित्य, लिपि, गीत-संगीत सब सर्वश्रेष्ठ है ..और आप माने बैठे हो.......
कहीं पढ़ा मैंने कि बार बार बोला गया झूठ सच हो जाता है...असल में इंसान समझता ही नहीं आम तौर पे सच क्या है, झूठ क्या है...वो बड़ी जल्दी सम्मोहित हो जाता है.....उसकी चेतन बुद्धि बहुत थोड़ी देर ही अनर्गल बातों का विरोध करती है...यदि बोलने वाला ढीठ हो, धूर्त हो, शब्द जाल बुन सकता हो तो वो फंसा ही लेगा लोगों को ...और यही वजह तो है कि पैदा होते बच्चे को पता है पेप्सी कोक क्या है, फिर भी पेप्सी कोक दिन रात चिल्लाये जाती हैं, टीवी पे, अखबारों में, रेडियो पे .....सबके दिमागों में भरे चले जाती हैं कि पेप्सी पीओ, कोक पीओ वरना आपका जीवन असफल हो जाएगा, आपका पृथ्वी पे आना निष्फल हो जाएगा...ये कंपनियां जानती हैं बार बार बोलते चले जाने का फ़ायदा
मेरी माँ अक्सर कहती हैं कि व्यक्ति को दूसरों के कहने पे नहीं चलना चाहिए, अपनी अक्ल लगानी चाहिए.
एक अमेरिकन कंपनी है "लैंडमार्क वर्ल्डवाइड" ...इनका एक शैक्षणिक प्रोग्राम है "लैंडमार्क फोरम" नाम से ...जो कुछ भी सिखाया जाता है इस प्रोग्राम में उसका निष्कर्ष यह है कि आप को किसी ने कह दिया जीवन में कभी कि आप मूर्ख हो, सयाने हो, मज़बूत हो, कमज़ोर हो, ये हो , वो हो ..... और यदि उस परिस्थिति की वजह से, उस व्यक्ति के प्रभाव की वजह से, या किसी भी और वजह से आप ने हृदयंगम कर ली वो बात....तो आपका जीवन चल पड़ेगा उस व्यक्तिगत टिपण्णी को सच करने की दिशा में......सारा का सारा जीवन मात्र किसी और की कोई कही बात मान लेने का नतीजा ....यह है सम्मोहन....और उसका नतीजा
और सारी मानव जाति इसी तरह के अलग-अलग सम्मोहनों से ग्रस्त है ..और सबसे बड़ा सम्मोहन है धर्म का, मज़हब का....व्यक्ति कोई और आड़ी-टेड़ी बात सुन भी लेगा लेकिन उसके धर्म के बारे में कह भर दो कुछ, चाहे कितना ही तर्कयुक्त हो, चाहे कितना ही वास्तविक हो, कितना ही उचित हो, कोई फर्क नहीं..व्यक्ति रिश्ते ख़राब कर लेगा.....मरने मारने पे उतारू हो जाएगा. ...इतना ज़्यादा जकड़ा है धर्मों के सम्मोहन ने इंसानियत को....इंसान की आत्मा को...असल में इस तरह की मान्यतायें इंसान की आत्मा ही बन चुकी हैं
मैंने कहीं पढ़ा था कि ईश्वर इंसान के पिछवाड़े पे लात मार के जब उसे पृथ्वी पे भेजता है तो उससे पहले एक मज़ाक करता है उसके साथ...वो हरेक के कान में कहता है कि मैंने तुझ से बेहतर इंसान नहीं बनाया आज तक...तू सर्वश्रेष्ठ कृति है मेरी..बाकी सब निम्न....गधे..उल्लू के पट्ठे.....अब होता यह है कि बहुत कम लोग उम्र भर के सफ़र में समझ पाते हैं कि उस खुदा ने, ईश्वर ने यह सब मज़ाक में कहा था......ज्यादातर इंसान उस मज़ाक को सीने से लगा घूमते हैं सारी उम्र ...और उम्र गवां देते है अपने आप को दूसरों से बड़ा, बेहतर साबित करने में......इतना धन दौलत इकठा करेंगे जिस का कभी उपयोग नहीं कर सकते...सुना नहीं एक नेता सुखराम के घर छापे पड़े तो गद्दों में करेंसी मिली ...एक और नेत्री जय ललिता के यहाँ से जूते चप्पल का अम्बार मिला... ..और बाकी सब लोग भी यही करते रहते है सारी उम्र, मिलता जुलता .....
ईश्वर मज़ाक करता है या नहीं, वो तो पता नहीं लेकिन वैसा ही मज़ाक हम सब के साथ हमारे माँ बाप, रिश्तेदार, परिवार के लोग, शिक्षक, नेता गण, सब करते हैं.. सब फूंकते जाते हैं शुरू से ही बच्चे के कानों में.....तुम अमुक धर्म के हो, अमुक जाति के, अमुक प्रदेश के, अमुक शहर के..... और तुम्हारा धर्म, जाति, प्रदेश, शहर सबसे महान हैं ....
अब कोई बोल भर दे इस सम्मोहन के खिलाफ़......आपकी धार्मिक, पवित्र भावनाएं आहत हो गयी......आप समझ ही नहीं रहे.....आपको आगाह किया रहा है कि आप मूर्ख बनाये गए हो, गधे बनाये गए हो... उल्लू के पट्ठे बनाये गए हो
एक कहानी सुनी होगी बचपन में आपने भी...एक लकडहारे ने नेवला पाल रखा था.....वो गया बाहर...पीछे पालने में उसका बच्चा सो रहा था.....और एक सांप आया उस बच्चे की ताक में .....लेकिन नेवले ने देख लिया उसे......घमासान युद्ध हुआ....नेवले ने काट दिया सांप को..सांप खतम......अब थोड़ी देर में वापिस आया लकडहारा.....नेवला भाग के गया अपने मालिक का स्वागत करने.....लकडहारे ने नेवले के मुंह पे खून लगा देखा तो समझा कि नेवला खा गया उसके बच्चे को......आव देखा न ताव, नेवले को काट दिया कुल्हाड़ी से....जब अन्दर गया तो हँसते खेलते बच्चे को देख और पास पड़े मरे सांप को देख सब माजरा समझ गया ...लगा मत्था पकड़ के रोने..जिसे दुश्मन समझा वो मित्र निकला....अपनी जान पे खेल के उसके बच्चे की रक्षा करने वाला निकला
अब बात यह है कि जिसे आप दुश्मन समझते हैं ..वो ही सबसे बड़ा मित्र हो सकता है...वो ही सब से बड़ा खैरख्वाह हो सकता है ...लेकिन आप उस नेवले की तरह उसे मारने को दौड़ते हैं....उसे दुश्मन समझते हैं....और जिसे आप अपना दोस्त, शुभचिंतक समझते हैं वो ही आपका सबसे बड़ा दुश्मन हो सकता है.....
अब आज आरएसएस हिन्दुओं की, तालिबान मुसलमानों की, पोप लीला ईसाओं की सबसे बड़ी दुश्मन है ...ये चाहते हैं कि आप लोग हिन्दू, मुस्लिम, इसाई वगैहरा बने रहें....आप उल्लू के पट्ठे बने रहें...ये आपके हर तरह के अंधविश्वासों को पोषित करते रहेंगें.....आपको धर्म के नाम पे लड़वाते, मरवाते रहेंगें...धर्म के नाम पे आप से वोट लेते रहेंगें...धर्म के नाम पे आपकी जनसंख्या बढ़वाते रहेंगें.....
और यदि खुद को हिन्दू मानते हैं तो आपको मुस्लिम का डर दिखाते रहेंगें और यदि मुस्लिम मानते हैं तो हिन्दू का डर दिखाते रहेंगें .......
और आप भी सोचते हैं कि बात तो ठीक है, इनके सिवा कौन है जो हिन्दुओं की रक्षा करेगा, हिन्दुओं का हित सोचेगा और ऐसा ही कुछ मुस्लिम भी सोचते हैं या कहें कि उनसे सोचवाया जाता है ......हिन्दू, मुस्लिम, इसाई सबसे ऐसा ही कुछ सोचवाया जाता है .......
आप यह सोच ही नहीं पाते कि आप हिन्दू, मुस्लिम आदि हैं ही नहीं
याद है वो मशहूर डायलाग नाना पाटेकर का, जिसमें वो बताता है कि यदि हिन्दू का खून और मुस्लिम का खून निकाल लिया जाए तो दुनिया की कोई ताकत नहीं बता सकती कि हिन्दू का खून कौन सा है, मुस्लिम का कौन सा ........
बच्चा क्या हिन्दू, मुस्लिम की तरह पैदा होता है, हिन्दू घर में जन्मा बच्चा यदि मुस्लिम घर में पाला जाए तो वो निश्चित ही मुस्लिम होगा...मतलब आपका हिन्दू, मुस्लिम होना बस सिखावन है, ऊपर से थोपी गयी चीज़ है .......
ध्यान रहे मुस्लिमों के सबसे बड़े दुश्मन हैं ओवेसी जैसे लोग और तालिबान, हिन्दुओं के सब से बड़े दुश्मन हैं मोदी जैसे लोग और इसाईओं के सबसे बड़े दुश्मन हैं पोप जैसे लोग
ये आपको सिखाते रहेंगें कि गर्व से कहो आप हिन्दू हैं, ये हैं, वो हैं ...इनका असल मकसद है आपकी लगाम अपने हाथों में थामे रखना ....सो ये तमाम कोशिश करेंगें कि आप में बुद्धि का कोई अंश जागृत न हो पाए.....चूँकि यदि ऐसा हो गया तो इनका सब मायाजाल ख़त्म हो जाएगा....इनका सम्मोहन आप पे से टूट जाएगा......और आप रोबोट से असल इंसान बन जायेंगें......और तब आप गर्व नहीं, शर्म करेंगें कि आप अब तक हिन्दू, मुस्लिम, सिख वगैहरा बने रहे ..
और आपके दोस्त हैं ..तसलीमा नसरीन जैसे, मलाला युसुफजई जैसे...नरेंदर दाभोलकर जैसे लोग..लेकिन आप इन्हें सम्मान कहाँ देंगें?....वो याद है न नेवले सांप वाली कहानी...इन्हें तो आप गाली देंगें या गोली
चाहे ओवेसी हो, चाहे नरेंदर मोदी, चाहे तालिबान, चाहे चर्च, इनके हाथ में कभी कोई सत्ता नहीं आनी चाहिए.....
एक समय था सारी शक्ति मंदिर, चर्च के पास थी..सियासी, क़ानूनी, मज़हबी...सब....धीरे धीरे सब अलग अलग हुआ.....न्याय पालिका अलग हुयी, सियासत अलग, मज़हब अलग...
लेकिन पूरी तरह से अलग कुछ भी नहीं हुआ.. ..मज़हब सब पहलुओं पे हावी है.....
और मज़ा यह है कि मज़हब बस पीढी दर पीढी चलने वाला सम्मोहन है....चालाक, धूर्त लोगों द्वारा पोषित किया जाने वाला सम्मोहन, और कुछ भी नहीं
आज ज़रुरत है इस सम्मोहन को तोड़ने की..
हिन्दू, मुस्लिम के केंचुल को छोड़ने की.....
और शक्ति में ऐसे लोगों को लाने की जो अच्छे प्रबंधक हों, जो कुछ काबिलियत रखते हों....आविष्कारक बुद्धि रखते हों..
ओवैसी और मोदी जैसे लोग एक दूसरे के पूरक हैं.....तालिबान और आरएसएस जैसे संगठन एक दूसरे को कॉम्पिलमेंट करते हैं....आरएसएस हिन्दू तालिबान है और तालिबान मुस्लिम आरएसएस....आरएसएस थोड़ा सॉफ्ट है, लेकिन कब मुर्दा इमारतों पर जिंदा लोगों की लाशों का कारोबार खड़ा कर दे कुछ नहीं पता.....
(2) दो बड़ी धाराएं हैं राजनीतिक.....कांग्रेस और भाजपा ...दोनों प्रदूषित.....
कांग्रेस ने बेईमान और अकर्मण्य सरकारें दी हैं...
भाजपा कट्टर हिन्दुवादी है ....साम्प्रदायिक है...हिंदुत्व से जुड़े हर अंधविश्वास, हर बकवास की पोषक है .....
मोदी यदि प्रधानमंत्री बन गए, जिसकी बहुत आशंका है बनने की चूँकि जो माहौल कांग्रेस के खिलाफ अन्ना टीम और बाबा राम देव ने खड़ा किया था उसका फायदा मोदी को मिलना निश्चित है, तो होगा यह कि हिन्दू कट्टरता और उजागर होगी, समाज में वैमनस्य बढ़ेगा
प्रयास किया जाना चाहिए कि किसी भी एक धारा के लोगों के हाथ में सत्ता न आये ...सरकारें मिली जुली हों...और ज़्यादा मिली जुली..पहले से भी ज़्यादा मिली जुली तो फिलहाल और अच्छा....तब तक जब तक कोई और बेहतर विकल्प न आये सामने
(3) किसी मित्र ने कहा गुजरात में मुस्लिम हत्याओं का ही ज़िक्र करना गलत है ...उसके साथ गोधरा भी याद किया जाना चाहिए.....
मेरा उत्तर था,"असल में तो मोदी साब गोधरा के लिए भी ज़िम्मेदार हैं......किसी भी प्रधान सेवक के होते हुए कोई भी मारा काटा जाए तो वो व्यक्ति उस ओहदे के लायक ही नहीं .....नहीं?"
(4) आरएसएस सिर्फ एक मरी मरी मराई सोच का पोषक है और कुछ नहीं...और मोदी एक थर्ड क्लास संस्था का पैसे के दम पर खड़ा किया गया प्रोडक्ट
(5) यह मोदी उसी आरएसएस की पैदावार है जिससे जुड़े बंदे ने ओशो पर जहर बुझा छुरा फेंका था...और पूछ लीजिये चाहे अगेह जी से....ओशो को आरएसएस कभी पसंद नहीं था...आरएसएस को ओशो हमेशा खतरनाक मानते थे
(6) नस्त्रदमस को ले आया गया है और साबित किया जा रहा है कि उसने मोदी के आने की भविश्यवाणी कर दी थी.....मित्रवर नस्त्रदमस की किताब CENTURIES सांकेतिक भाषा में लिखी है,जिसका कोई मतलब नहीं या यूँ कहें कि कुछ भी मतलब निकाल सकते हैं ...जैसा आप की मर्ज़ी हो.........
(7) मोदी "जी" को लोगों ने वोट दिए हैं या उन्होंने बड़े बैनर लगा, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया खरीद, फेसबूकिया फ़ौज खडी कर लोगों से वोट लिए हैं ?
कमेंट प्लीज..........
(8) जिस मुल्क में "नमो नमो" और "हर हर" के जाप के साथ वोट बटोरे गए हों, उस मुल्क के निजाम को प्रजातंत्र
कहना प्रजातंत्र का अपमान है.
यह षड्यंत्र था, धामिक उन्माद का यंत्र था, यह भयंकर था, तंत्र मन्त्र छू उड़नतर था.
यह जो कुछ भी था, लेकिन हरगिज़ प्रजातंत्र न था, न है
(9) श्री मोदी जी का पैसा है जो शपथ ग्रहण पर बर्बाद करना है..उन्हें एक नौकरी दी गयी...तुरंत बिना ताम झाम, बिना हील हुज्जत काम शुरू करना था...यह सब शपथ ग्रहण का इतना बड़ा ताम झाम क्या है?
जनता(मालिक) से पूछना नहीं चाहिए नौकर को इस तरह का खर्च करने से पहले
(10) !!!! मेरा इनकार है, इस लोकतंत्र को और इस तरह बने प्रधान मंत्री मोदी को !!!!
असल मुद्दों के आगे गौण मुद्दों को कैसे फैलाया जाता है इसकी जिंदा मिसाल है अमरीका की मोदी विजिट....राजदीप सरदेसाई वाला किस्सा.......
कर क्या रहे हैं श्रीमान मोदी, क्या फर्क पड़ा आम जन-जीवन में, सरकारी निजाम में.....?
अगर कोई कांग्रेस के राज में सोया हो और आज उठे तो समान्य जन जीवन देख कर बता नही पायेगा कि फर्क कहाँ है?
और यहाँ मोदी जी के चमचे लगे हैं दिन रात बात का बतंगड़ बना बना पेश करने.हैरानी तो तब होती है जब कोई मोदी का विरोध करे, आरएसएस का विरोध करे तो ये महान लोग फटाक से उसे देशद्रोही का खिताब दे देते है, इन मूर्खों को यह तक नही पता कि किसी भी तरह की राजनितिक, सामजिक विचारधारा रखने का हरेक को हक़ है
कुछ तो शर्म करो, जा के बाहर देखो,
गरीब आज भी गरीब है,
स्त्री कल भी असुरक्षित थी, आज भी असुरक्षित है,
काला धन कल भी बाहर था आज भी बाहर है,
सरकारी कर्मचारी कल भी हरामखोर था, रिश्वतखोर था, आज भी है.
भाई जी, न तो यह लोकतंत्र कोई लोकतंत्र है, न ही इस तरह से बने मंत्री संतरी कोई लोगों का भला कर सकते हैं, अरबों रुपये खर्च कर के बने प्रधान मंत्री आम जनता का क्या भला करेंगे?
मैं इस तरह के लोकतंत्र को इनकार करता हूँ,
मैं इस तरह के सरकारी तंत्र को इनकार करता हूँ,
मैं इस तरह से बने संतरी, मंत्री, प्रधान मंत्री को इनकार करता हूँ
(11) सुना है नरेंदर मोदी ने कोई फॉर्म ज़ारी किया है जिसमें पूछा गया है कि आप राष्ट्र के क्या काम आ सकते हैं....ठीक है मोदी जी, मैं आपसे बेहतर प्रधानमंत्री साबित हो सकता हूँ, मेरे पास आपसे बेहतर प्लान और समझ है राष्ट्र की बेहतरी के लिए जिसे मैं खुले में राष्ट्र के सामने रखना चाहता हूँ, आप अपना प्लान रखें , मैं अपना रखता हूँ,,,देखते है राष्ट्र किसी चुनता है
(12) सुना है मोदी नेपाल के पशुपति मंदिर को बड़ा दान कर आये हैं.....और वो भी सरकारी खजाने से
एक फूटी कौड़ी नहीं जाने देनी चाहिए...न मन्दिर को ..न मस्जिद को.....न किसी भी और धर्म को....धर्म खुद की खोज है बाक़ी सब गिरोह्बाज़ी है...पूरा इतिहास खून से लाल कर दिया इस मजहब बाज़ी ने....
(13) वह भाई वाह, मोदी ने करोड़ों रूपया दे दिया कश्मीर बाढ़ राहत के लिए, जवान लगा दिए लोगों को बचाने के लिए......वाह!
इडियट्स, कमी नहीं है तुम्हारी.
मोदी ने करोड़ों दिए हैं अपने घर से दिए हैं, मेरा तेरा पैसा है.....
और
जो जवान लगाये हैं, उनको भी सैलरी मिलती है, और जिस पैसे से मिलती है, वो भी मेरा तेरा पैसा है
(14) यदि आज हमारे फ़ौज द्वारा कश्मीर में लोगों की जान बचाए जाने का श्रेय श्री मान मोदी भाई गुजराती को जाता है तो फिर गुजरात में उनके कार्यकाल में हुए क़त्ल-ए-आम का श्रेय भी उनको जाना चाहिए.
नहीं?
(15) चलो मैं घोषित करता हूँ कि मोदी का स्वच्छता अभियान मात्र शिगूफा है, बकवास है, उथला है और इसका नतीज़ा लगभग सिफर आने वाला है....कारण लिखता हूँ, मुलाहिजा फरमाएं
(a) यदि सच में ही गन्दगी दूर करने का मोदी का इरादा होता तो दशहरे पर यह जो पुतले दहन करने की सामाजिक बकवास है इसका भी विरोध करते, पार्क, सड़क सब गंदे होते हैं, हवा गन्दी होती है...लेकिन यहाँ तो हिम्मत ही नही बोलने की....
(b) यदि सच में ही गन्दगी दूर करने का मोदी का इरादा होता तो दीवाली पर जो पैसों को आग लगाने की कुप्रथा है इसका विरोध करते....पार्क, सड़क सब गंदे होते हैं, हवा गन्दी होती है...लेकिन यहाँ तो हिम्मत ही नही बोलने की....
(c) यदि सच में ही गन्दगी दूर करने का मोदी का इरादा होता तो होली पर जो पार्क, सड़क, गली सब गंदे होते हैं,इसका भी विरोध ...लेकिन यहाँ तो हिम्मत ही नही बोलने की....
(d) यदि सच में ही गन्दगी दूर करने का मोदी का इरादा होता तो दुर्गा और गणेश मूर्ती विसर्जन से जल प्रदूषित होता है , इसका भी विरोध ...लेकिन यहाँ तो हिम्मत ही नही बोलने की....
(e) यदि सच में ही गन्दगी दूर करने का मोदी का इरादा होता तो जो मुर्दे जलाए जाते हैं, हर लाश के साथ कितने ही पेड़ों को शहीद होना पड़ता है जो, उसका विरोध करते........प्रदूषण फैलता है.......वातावरण ख़राब होता है उसका विरोध करते......लेकिन यहाँ तो हिम्मत ही नही बोलने की....
(f) यदि सच में ही गन्दगी दूर करने का मोदी का इरादा होता तो पहले खुले खत्ते बंद करवाते
(g) यदि सच में ही गन्दगी दूर करने का मोदी का इरादा होता तो लोगों को सडक पर कूड़ा न फेंकने की शपथ दिलाने से पहले उचित इंतज़ाम भी किया होता कि सडक पे चलता आदमी कूड़ा फेंके तो कहाँ फेंके...अक्सर सडक पे पेशाब करते आदमी का मजाक उड़ाया जाता है, ......लेकिन भय्ये ये भी तो बताओ कि क्या उचित इंतज़ाम है कि आदमी यदि शौचक्रिया से निपटना चाहे तो कैसे निपटे...अव्वल तो सार्वजनिक शौचालय पाए नही जायेंगे जल्दी...और मिल भी जाएँ तो दुर्गन्ध और गन्दगी से बुरा हाल...और औरतें तो बेचारी सफर में डर के मारे पानी ही नही पीती क्योंकि सरकारी इंतज़ाम की असलियत उनको आदमीयों से भी भारी पड़ती है
(h) यदि सच में ही गन्दगी दूर करने का मोदी का इरादा होता तो बजाये हरेक के हाथ में झाडू पकडाने के, कचरे के निपटान में हरेक की भागीदारी सुनिश्चित करने का कोई प्रोग्राम पेश करते
लेकिन ऐसा कुछ नही है, तभे मैं घोषित करता हूँ कि मोदी का स्वच्छता अभियान मात्र शिगूफा है, बकवास है, उथला है
(16) सफाई दिवस------ सुना है कोई सफाई दिवस है मोदी सरकार की तरफ से......मोदी जी, हर रोज़ सड़क सफाई करेंगे, फिर कभी नाली भी साफ़ करेंगे, फिर कभी सीवर भी.........हां, आप बिलकुल फोटू शोटू ले सकते हैं....सच है क्या?
खैर, मज़ाक नहीं करता.
लेकिन यह सफाई दिवस है मोदी जी की सतही सोच का नमूना ......कहता ही हूँ थर्ड क्लास लोगों को सत्ता दोगे तो कभी समस्या के गहरे में न जा पाओगे और जब समस्या न समझोगे तो हल कहाँ से लाओगे, जो लाओगे हल के नाम पर, बस झुनझुना होगा
अरे इस मुल्क में सिर्फ सफाई की समस्या है क्या? कभी सोचा है कि गंदगी है क्यों, चूँकि सारा निजाम गंदा है, चूँकि सारा समाज गंदा है, क्योंकि सारी सोच समझ गन्दी है....वहां है हिम्मत कूदने की...चले हैं हाथ में झाडू पकड़ सफाई करने
जनसंख्या कम करो और जो है उसे शिक्षित करो और पहले तो शिक्षा को ही शिक्षित करो, तुम्हारी शिक्षा ही अशिक्षित है.
गरीबी कम करो, देखो कैसे नहीं गन्दगी कम होती.
इस तरह के बचकाने कामों से कुछ नहीं होने वाल, नहीं यकीन तो देख लेना नतीज़ा, कल ही तुम्हें पता लग जाएगा कितनी गंदगी घट गयी है
मैं देता हूँ कुछ सुझाव, हो सके तो प्रयोग कर देखो और फिर फर्क भी देखो, पहले के लिखे हैं इस लिए बिन कांट-छांट ऐसे ही पेश कर रहा हूँ.
IPP के एजेंडा में शामिल हाँ, उठा लाया हूँ, जिन मित्रों को नहीं पता IPP क्या है, थोड़ी झलक मिल जायगी-
Agenda#1--- सिर्फ रिश्वत लेना ही नहीं होता...जिम्मेवारी लेकर न निभाना भी भ्रष्ट-आचार है...
यदि पब्लिक को लगे कि सड़कों पर गड्ढे हैं, नालियाँ साफ़ नहीं, कूड़े के ढेर जमा हैं....विडियो बनाएं.......जिम्मेवार कार्यवाहक और नेता को काम करना सिखाया जाएगा, समझाया जाएगा....नहीं मानते तो हटा दिया जाएगा |
AGENDA #75---सभी के द्वारा निम्नतम श्रेणी की नौकरियाँ बारी-बारी से किया जाना !!!
(DIRTY JOBS TO BE DONE BY ALL ON ROTARY BASIS)
सदियों से भारतीय समाज में दलितों / शूद्रों शोषण होता आया है. इन लोगों को जानबूझ कर अनपढ़ रखा गया, गरीब रखा गया, ताकि वे समाज का कचरा उठाते रहें, शौचालय और गन्दी नालियां साफ करते रहें, और चमड़े के जूते चप्पलें बनाते रहें. ये सब सत्ता की धूर्तता थी जो अभी भी चल रही है। आपने मुश्किल से ही कभी किसी ब्राह्मण को किसी के घर का शौचालय और गन्दी नालियों या सड़क की सफाई करते देखा होगा । इन सभी नौकरियों को तथाकथित नीच या छोटी जातियों (दलितों/शूद्रों) के लोगों द्वारा किया जाता है। IPP व्यावहारिक रूप से इस प्रणाली को खत्म कर देगी | समाज के सभी वर्गों के सदस्यों, अमीर या गरीब, किसी को भी, इन गंदी नौकरियों को एक रोटरी-प्रणाली के आधार पर यानी कि बारी बारी से करना होगा । भला क्यों कोई अन्य हमारे लिए ये गंदे कार्य करता रहे? नहीं, अब और नहीं. अब से हम सबको एक-दूसरे के लिए इस प्रकार के कार्य करने चाहिए |
Dirty जॉब से मुक्ति सही तकनीक से संभव है|
आजकल ऐसी मशीने उपलब्ध हैं जो सीवर साफ़ कर देती हैं.. किसी व्यक्ति को अन्दर उतरने की जरुरत नहीं |
विज्ञानं और तकनीक ने ही बहुत तरह की आजादी दी है |
IPP सोसायटी की पूरी संरचना को बदल देगी ।
AGENDA#11--- फुटपाथ चलने के लिए होते हैं न कि दुकानें सजाने के लिए.......पदयात्रियों का तो जैसे हक़ ही छीन लिया गया सडक पर चलने का.........फुटपाथ की सब दुकानें हटा दी जायेंगी, उन्हें आस पास पक्की दुकाने दी जायेंगी, सस्ती मासिक किश्तों पर .......साफ़ सुथरे फुटपाथ दिए जायेंगे, पदयात्रियों का हक़ वापिस लौटाया जाएगा |
AGENDA #68---मेरे मोहल्ले में झाड़ू लगाने वाली ने आगे लड़के रखे हैं.......मुझे पता लगा ऐसा लगभग हर जगह है......सरकार तनख्वाह देती है पच्चास हज़ार रूपए महीना और खुद काम न करके इन सरकारी मातहतों ने आगे पांच दस हज़ार रूपए महीना पर कामगार रखे हैं....
इसका मतलब.... यह कि सरकारी कर्मचारियों में से बहुत को दस गुना ज्यादा तनख्वाह मिल रही है
और मैंने तो ऐसे भी सरकारी कर्मचारी देखें हैं जो लगभग फुल टाइम अपना बिज़नस करते हैं...उनकी सेटिंग है...वहां एक दूसरे की हाजरियां लग जाती है.
इसका मतलब .....यह कि सरकार ने जितना स्टाफ रखा है शायद उससे आधे से काम चल जाए..
IPP देखेगी यह सब कुछ.....ठीक करेगी यह सब कुछ....
हम वोट लेने के लिए खामख्वाह तनख्वाह या भत्ते बढाने के पक्ष में बिलकुल नहीं हैं...
(17) मोदी साब ने...कहा था कि उनकी सरकार बन जाए बस...वो विदेशों से काला धन वापिस ला देंगे.. पन्द्रह-बीस लाख हरेक भारतीय को मिल ही जाएगा
कोई मित्र मुझे मात्र पांच लाख दे दे अभी और मेरे हिस्से का 15-20 लाख वो ले सकता है...हर लिहाज से फ़ायदे का सौदा ..मेरी ऑफर मोदी जी के असीम भक्तों को तुरत स्वीकार कर लेनी चाहिए.....
अकाउंट नम्बर इनबॉक्स में ले सकते हैं
(18) जैसे कांग्रेसिये हर तरह से दुष्प्रयोग करते थे सरकारी मशीनरी का, वही मोदी सरकार कर रही है....
दूरदर्शन पर संघ प्रमुख मोहन भगवत का भाषण का प्रसारण इसी का उदाहरण है
फिर कोई कह रहा था कि मोदी संघ के नही, भारत के प्रधानमंत्री हैं....यदि ऐसा है तो बताएं किस अधिकार से श्रीमंत भागवत की भागवत कथा दूरदर्शन पर प्रसारित की?
भैया, इस मुल्क में बहुत तरह की विचारधाराएं बहती हैं, पी एम् तुम्हें अच्छे गवर्नेंस के लिए बनाया है न कि मुल्क को संघी बनाये जाने के लिए......
(19) मोदी का भाषण सुना, ताज़ा वाला, रामलीला मैदान वाला....रामलीला का रावण याद आ गया, स्टेज पर दहाड़ता हुआ,"सीते तुम मेरे पंजे में हो, हहहहहह्हा"
लग रहा था, मोदी भाई गुजराती कह रहे हों, "इंडिया, तुम मेरे पंजे में , अगले सवा चार साल तक तो बिलकुल हो, हाहहहा "
इतना आत्म -विश्वास
चेहरे से तेज टपक रहा था
पर शायद कसूर मेरा ही है, खोट मेरी ही सोच में है ..मुझे शेक्सपियर के शब्द याद आ रहे थे ....Much Ado About Nothing
(21) ये जो संघी मित्र गोडसे को श्रधा सुमन अर्पित करते फिर रहे हैं, इनको कोई याद दिलाओ यार अभी थोड़े दिन पहले ही मोदी भाई गुजराती गांधी को नमन कर रहे थे
(22) जब पट्रोल डीज़ल का रेट अंतर-राष्ट्रीय रेट से घटता बढ़ता है तो फिर मोदी ने इस मामले में क्या करना था? क्या कर लिया?
(23) आरएसएस मतलब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ. स्वयंसेवक होने का सही मतलब मोदी जी ने प्रधान मंत्री बनते ही साकार कर दिखाया. जो स्वयम की सेवा करे, वो स्वयम सेवक. प्रधान से परिधान मंत्री बन गए. देश से विदेश मंत्री बन गए. सारे जहाँ का दर्द हमारे ज़िगर में है. सौन्दर्य कपड़ों से ढकी हमारी फिगर में है. जय हो
जिस बंदे को कल तक पहनने की तहजीब नहीं थी....एक अजीब सा कुरता पहनता था अक्सर...उसे आज कपड़े पहनने का शऊर आ गया....आज तो भाई लोग मजाक में उसे "परिधान मंत्री" कहते हैं....जैसे PM बनते ही अपनी दबी इच्छा पूर्ती करने का जूनून हो....अच्छे कपड़े पहनने का....घूमने का , फिरने का......नहीं?
(24) किसी भी मुल्क के लीडर द्वारा कोई भी जंगी सामान की खरीद से पहले पब्लिक से पूछा जाना चाहिए, न सिर्फ अपने मुल्क की बल्कि पड़ोसी मुल्क की पब्लिक से भी, बल्कि पूरी दुनिया की पब्लिक से.....वक्त बदल चुका है, इन्टरनेट का ज़माना है.........विश्व बन्धुत्व, वसुधैव कुटुम्बकम साकार हुआ ही जाता है.......इसलिए बजाए जंगी सामन खरीदने के जंगी सामान को दुनिया से दफा करने की दिशा में कदम बढाए जाने चाहिए...
सन्दर्भ ---मोदी जी का जंगी जहाज खरीदना
(26) ये जो आज Presstitute कहते लिखते फिर रहे हैं, इनको पूछिए तो ज़रा मोदी साहेब पॉवर में आये कैसे थे........तब तो मीडिया का हर रूप इनको माँ दुर्गा लग रही थी
(27) कभी आपने फुकरे टाइप लड़के देखें हैं जो अपनी महबूबा को पहले तो आसमान पर बिठाते हैं, फूलों से तौलते हैं, उसके लिए चाँद सितारे तोड़ लाने के हिम्मत दिखाते हैं, उसके साथ जीने मरने की कसमें खाते हैं और काम निकल जाए तो फिर उसी को "साली, रंडी, कुतिया" आदि कहते हैं
नहीं, नहीं, मैं आपके किन्ही दोस्तों की बात नहीं कर रहा...मैं मोदी जी की बात कर रहा हूँ...सन्दर्भ भारतीय मीडिया है
(28) मोदी शेर हैं, वाह, वो सिर्फ मिटटी के शेर हैं, किया क्या है जब से आये हैं ?
काला धन, काल धन लायेंगे...ले आये?
रिश्वत कम करेंगे...कर ली?
महंगाई कम करेंगे.....कर ली?
बलात्कार रोकने के लिए टास्क फाॅर्स बनायेंगे, बलात्कार लगभग खत्म कर देंगे, शायद याद होगा मित्रों को चंद महीने पहले के मोदी भाषण और बड़े बड़े होर्डिंग....बलात्कार तो मेरे ख्याल से मुल्क में हुआ ही नहीं जब से मोदी जी ने गद्दी सम्भाली है, नहीं?
बुलेट ट्रेन लायेंगे.....एक भूखे नंगे मुल्क की प्राथमिकता रोटी कपड़ा और मकान और शिक्षा और स्वास्थ्य और जन संख्या कण्ट्रोल होना चाहिए.....न कि फ़िज़ूल के काम...?
कश्मीर बाढ़ से त्रस्त लोगों को बचाया है...बढ़िया......खुद जा के बचाया होगा न बारिश में भीगते हुए, नहीं
(29) अच्छे दिन!!
क्या किसी को कांग्रेस वाले और मोदी वाले दिनों में कोई फर्क दिखता है?
क्या चौराहे पे खड़ा पुलसिया, आज भी रिश्वत नहीं ले रहा?
क्या सब्जियां आज भी मंहगी, पहले से भी महंगी नहीं हैं?
क्या सरकारी आदमी आज भी बदतमीज़ नहीं है?
क्या सरकारी कम्पनी का फ़ोन, इन्टरनेट आज भी बुरी तरह से ख़राब नहीं रहता?
क्या सरकारी मशीनरी में आज भी जंग नहीं लगा?
क्या महिलाओं के बलात्कार घट गये हैं?
क्या महिला अकेले सुरक्षित हैं?
अच्छे दिन!!
(30) "एक कहानी- अच्छे दिन की "
एक डॉक्टर के क्लिनिक के बाहर बोर्ड लगा था," एड्स, कैंसर, पागलपन और दुनिया की हर बीमारी का मात्र बीस हज़ार रूपए में मात्र दो महीने में इलाज. फायदा न होने पर पैसे वापिस"
दूर से लोग आ गए, लाखों लोगों ने बीस बीस हज़ार दिए, फिर दो महीने बाद लोगों की भीड़ वापिस आयी , किसी को कोई फायदा नहीं हुआ था .
केस कोर्ट में चला गया, सबने मुद्दा बनाया कि साहेब इस डॉक्टर ने लिखा था फायदा न होने पर पैसे वापिस. अब दे नहीं रहा वापिस.
डॉक्टर बोला साहेब, बिलकुल लिखा था, लेकिन फायदा किसका यह तो किसी ने पूछा नहीं. देखिये, मेरे पास ढंग के कपड़े नहीं थे, मैं एक मात्र आधी बाजू का कुरता पहनता था, लोग अक्सर मजाक में मोदी कुरता कहते हैं इसे.....अब मैं दस लाख का सूट पहनता हूँ, विदेशों में घूम आया हूँ....चेहरे पर लाली आ गयी है और ये लोग कहते हैं कि फायदा नहीं हुआ ...साहेब केस गलत है...इनको फायदा हुआ न हुआ मुझे तो हुआ, मेरे तो न सिर्फ दिन अच्छे आये, बल्कि रातें भी अच्छी हो गयी
(31) !!! मोदी सरकार की साल भर की उपलब्धियां !!!
किसी ने आर टी आई से मोदी साहेब की एक साल की उपलब्धियां प्राइम मिनिस्टर ऑफिस से पूछी हैं, जवाब नदारद.मैंने कुछ ही दिन पहले यह आर्टिकल लिखा था, कृपया जिन्होंने न पढ़ा हो पढ़ लें और जिन्होंने पढ़ा हो दुबारा पढ़ लें, शायद अब और भी संदर्भित लगे. सुस्वागतम.
"सूटनीति, बूटनीति, कूटनीति"
जिसे समाजनीति पता नहीं, जिसे घर सम्भालना आता नहीं....वो विदेश नीति समझा रहे हैं, वो कूट नीति समझा रहे हैं.....अबे, वो सिर्फ दुनिया घूम रहा है, मौज मार रहा है, उसे पता है दुबारा मौका मिले न मिले .....
और यह कूटनीति होती क्या है?....कोई coded नीति. मतलब ऐसी छुपी हुई नीति जिसे सामने वाला न समझ सके. मूर्ख है न सामने वाला? तुम जो अपना मुल्क सम्भाल नहीं पा रहे....जहाँ आधे से ज़्यादा लोग गरीब हैं.....तुम ज़्यादा अक्ल वाले हो? अगले जो तुम्हारे मुल्क से मीलों आगे हैं, वो गधे हैं, अक्ल के अंधे हैं, घोंचू हैं?
या इसे आम भाषा में कहा जाए, "सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे"......"तेरी भी जय, मेरी भी जय"......"You Win, I Win", a "Win Win Game".
चलो ठीक है, लेकिन रुपैया तुम्हारा दम तोड़ रहा है, GDP हांफ रही है.......गरीब आत्महत्या कर रहा है, मध्यम वर्ग महंगाई से त्रस्त है, उच्च वर्ग को वैसे ही कोई फर्क नहीं पड़ता, "कोई हो नृप हमें क्या हान".....
खैर कूटनीति है भाई, coded नीति..... आसानी से पल्ले थोड़ा न पड़ जायेगी, दुनिया के महानतम कोड ब्रेकर बुलवाने पडेंगे
यह कूट नीति मात्र अच्छा समय कूटने की नीति है....तुम्हारा नहीं, अपना
अच्छे दिन, तुम्हारे नहीं, अपने
तुम्हारे तो पहले भी दिन कच्चे थे और कच्चे ही रहेंगे
तुम पहले भी कच्छे में थे ...कच्छे में ही रहोगे
सूट बूट, बढ़िया चश्मा न तुम्हारे हिस्से में पहले था, न आगे रहेगा
और तुम्हें तो अगले की सीधी सीधी नीति समझ न आ रही होगी.... सूटनीति, बूटनीति न समझ आ रही होगी, कूट नीति कैसे समझ आयेगी?
मुल्क चाहे आधा भूखा नंगा हो, लेकिन विदेशों में प्रधानमंत्री चमकता दमकता दिखना चाहिए, बेइज़्ज़ती थोड़ा करवानी है दूसरों के सामने, आखिर इतनी भी ग़रीबी नहीं कि मुल्क एक दर्शनीय प्रधानमंत्री अफ्फोर्ड न कर सके ....समझे सूटनीति ....या बूट नीति से समझाया जाए फिर?
अबे, सीधी नीति ही इतनी कूट है, कूट नीति तो और ज़्यादा कूट है, क्या खा कर समझोगे?
यह सब समझने के लिए फ्रांस का पानी पीना पड़ता है, अमरीका का पिज़्ज़ा खाना पड़ता है, कनाडा का टोस्ट खाना पड़ता है....चीन की चीनी खानी पड़ती है ..आया कुछ समझ में? ..इडियट!
तुम साले दाल रोटी खाने वाले, नमक प्याज़ से रोटी खाने वाले, हैण्ड पंप का पानी पीने वाले तुम समझोगे कूट नीति?
अभी तो वैसे भी नहीं समझोगे, लगेंगे तकरीबन चार साल समझने में, चुनाव के आस पास तुम्हें स्पेशल क्लासें लगा आकर समझाया जायेगा .....तुम्हें चाय पर भी बुलाया जायेगा...चाय पर चर्चा होगी....तुम्हें सूट बूट और कूट नीति विस्तार से समझाई जायेगी
तब तुम्हें समझ आएगा कि कूटनीति क्या होती है? नहीं समझोगे तो टीवी पर समझाया जायेगा, रेडियो से बतिया जायेगा, अख़बार से पढवाया जाएगा, कैसे नहीं समझोगे, तुम्हें समझना ही होगा....हर दीवार, हर खम्बा तुम्हें समझाएगा......खैर, अभी फ़ालतू बातों के लिए वैसे ही समय नहीं है.
अभी तो जहाँ कूटे जा रहे हो वहां मलहम लगाने की नीति पर अमल करो, तुम्हारे लिए कूट नीति का बस इतना ही मतलब है
(32 ) "साहेब जी को प्रणाम"
हम ठहरे निपट आम लोग
बस निपटे निपटाए हुए लोग
हमें कहाँ समझ कि आप क्या डील कर रहे हैं
हमें तो बस लग रहा कि आप ढ़ील कर रहे हैं
शुरू में ही बता देते प्रभु, कि अगले दो चार साल तक
या कि आशा न रखी जाए अगले पांच साल तक
न रखते आशा
न होती निराशा
आपने कहा अच्छे दिन आने वाले हैं
हमें लगा बस आने ही वाले हैं
बस थोड़ा गलतफहमी हो गयी सरकार
करेंगे, साहेब, करेंगे, अगली बार, सुधार
अगली बार
कोई नई सरकार
(33) अंधेर नगरी, चौपट राजा
टके सेर भाजी, टके सेर खाजा
(ओनली इन संसद कैंटीन)
(34) एक सीक्रेट वोटिंग करवा लो कि यदि मौका दिया जाए तो कितने लोग अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया के नागरिक बनना चाहेंगे......आपको पता लग जाएगा कितने लोगों को आज भी मोदी जी के "अच्छे दिन" वाले नारे में यकीन है
(35) तगड़े को मंदे की मदद करनी चाहिए, अच्छी बात है...लेकिन तगड़ा
खुद तगड़ा हो तभी न....खुदे आधा भूखा हो,नंगा हो, बीमार हो, अधमरा
हो और भागा फिरे दूसरे की मदद को.....क्या कहेंगे इसे? क्या? यह
महान आध्यात्मिकता है!
एक बार अपनी जनता से भी पूछ लेते प्रभु, जिसने आपको वोट खुद के
अच्छे दिनों के लिए दिए थे न कि पड़ोसियों के
(36) "मन की बात "
क्या कोई बात बिना मन की भी होती है? मन का मतलब ही है बात,
विचार
या शायद यह कहना चाहते हों कि आज सच में ही जो मन में है, वो कह
रहे हैं तो फिर शायद बहुत कुछ ऐसा भी कहते होंगे जो मन की बात नहीं
होता होगा, मन होता कुछ और होगा कहते कुछ और होंगे
या कहना चाहते होंगे कि मन में जो सच है, उसे कह रहे हैं, जो झूठ है वो
छोड़ रहे हैं
खैर साफ़ है कि अपनी बात कहने के लिए ठीक ठीक शब्दावली भी नहीं चुन
सकते
(36) मैं मोदी सरकार को खुली चुनौती देता हूं......मोदी या उनके कोई भी नुमाइन्दा......मुझ से खुली बहस कर कर सकता है....मैं चुनौती देता हूँ, मेरे पास उनसे बेहतर कार्यक्रम है इस देश की बेहतरी के लिए....और मेरा मानना है कि किसी भी सरकार को चुने जाने के बावजूद 5 साल तक का मुल्क को बंधक बनाए रखने जो चलन है वो भी गलत है....यदि आधे से ज्यादा लोग मानें कि सरकार गिरनी चाहिए तो सरकार गिरनी चाहिए और सरकारें मात्र मुद्दों के दम पर चुनी जानी चाहिए...बाक़ी सब बातें गौण हैं.
मैंने चुनाव के पहले भी लिखा था...फिर लिखता हूँ , मैं तैयार हूँ मोदी से बहस करने को.......खुले में....बेहतर व्यवस्था देता हूँ भारत के लिए....अपना एजेंडा ले आयें......पॉइंट दर पॉइंट......एक पॉइंट वो कहें एक मैं कहता हूँ......बराबर समय मिले दोनों के.....सब कुछ रिकार्डेड और शक्ल ...आवाज़ न मेरी पता लगे देखने सुनने वालों को न मोदी की......और एजेंडा पर ही वोटिंग करवा लीजिये...आपको पता लग जाएगा विकल्प
वोटिंग मुद्दों को और उनके हल को मिलनी चाहिए न कि शक्ल को....
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