"केजरीवाल"
मैंने लिखा केजरीवाल साहेब के बारे में कई बार.....भारतीय राजनीति पटल पर इस वक्त तीन लोग हैं....एक मोदी जिनके बारे मैं अलग से लिख चुका हूँ...दूसरे मेरे तेरे यानि हम जैसे लोग जो सोच तो रखते हैं लेकिन कर कुछ ख़ास कर सकने की स्थिति में नहीं सो हम जैसों की बाबत अलग से लिखूंगा..अभी ज़िक्र केजरीवाल का......और शुरुआत कर रहा हूँ जब वो पहली बार दिल्ली का चुनाव लड़ रहे थे तब से ........इससे आपको यह तस्वीर भी साफ़ हो जायेगी कि मेरा उनके बारे में आकलन कितना सही रहा है ---तो करिए एक और यात्रा मेरे साथ
(A) मूर्ख केजरीवाल----
1) जनाब कहते हैं, "झुग्गियां तब तक न तोड़ी जायेंगी, जब तक झुग्गी वालों को पक्के घर नहीं दिए जायेंगें"
मैं दिल्ली में हूँ, पश्चिम विहार में, जगह जगह झुग्गी बस्तियों से भरी थी पश्चिम दिल्ली की यह तथाकथित पॉश कॉलोनी, खुले में शौच किया जाता था, गंदगी से भरी झुग्गी बस्तियों से भरी कॉलोनी, कांग्रेस का पक्का वोट बैंक, कॉलोनी वासियों के तीव्र विरोध के चलते और बदलते राजनीतिक और सामाजिक परिवेश के चलते पिछले कुछ सालों में लगभग नब्बे प्रतिशत झुग्गियां हटाई गयीं, अब केजरीवाल जी चाहते हैं कि इन झुग्गियों को आसानी से न हटाया जाए, तब तक तो बिलकुल नहीं जब तब इनके लिए पक्के मकान नहीं दिए जाते, जैसे झुग्गियीं में रह कर कोई अहसान किया हो इन लोगों ने, जैसे झुग्गियों में रहने मात्र से वो उन जगहों के मालिक हो गए हों ये लोग....अरे, अपराधी हैं ये लोग सार्वजानिक ज़मीन के दुरूपयोग के, यदि इन पर जुर्माना नहीं लगा सकते तो इनाम के हकदार कैसे हो गए ये लोग?
ठीक है गरीब हैं...लेकिन कानून के लिए क्या गरीब क्या अमीर ....दोनों बराबर हैं.......
और यह जो घर दिए जायेंगें पक्के, किस के घर से, क्या केजरीवाल जी के घर से, अरे भये, वो सावर्जनिक संपतियां होंगें, सार्वजनिक ज़मीन पर होंगी, सार्वजनिक पैसे से बनेगीं ...
इस तरह किसी के मुहं से निवाला निकाल कर किसी को देना, क्या मतलब हुआ?
देना है तो यह सन्देश दो कि समाज ने कोई ठेका नहीं लिया आपकी ग़रीबी को झेलने का
बच्चे कम पैदा करो या पैदा ही मत करो
लेकिन ऐसा कहे कौन ...कहे तो वोट देगा कौन ...इसलिए बात वो कही जाती हैं जो अच्छी दिखती हों....अच्छी लगती हों
Giving free houses is no solution and why should a certain part of the society bear the burden of another part?
The solution lies in quality and quantity control of the human breeding and for which none is going to get votes from the society.....for that one will have to go against stupidities of the society, old stupid assumptions of the society and here Kejriwal is talking of public participation....No, all this is not going to prove very helpful....may seem superficially good but not going to help in the long run.
2) और कहते हैं श्रीमान जी, कि ठेकेदारी प्रथा ख़त्म की जायेगी और कर्मचारी पक्के किये जायेंगे...महा मूढ़ता है यह....देखा नहीं सरकारी कर्मचारी क्या हाल करते हैं काम का....बस कहने को नौकर होते हैं, आचार, व्यवहार ऐसा जैसे मालिक हों पब्लिक के...क्यों?........क्योंकि पक्के हैं......नौकरी न हुयी शादी हो गयी, सात जन्मों का बंधन, जन्म जन्म का बंधन ......समाज का एक बड़ा हिस्सा तो शादी के भी इस तरह के बंधन के खिलाफ होता जा रहा है और यहाँ श्रीमान जी चाहते हैं कि नौकरों को पक्का किया जाए.....
कभी रखे हैं नौकर?
मात्र नौकरी की है, इसलिए अनुभव एक तरफ़ा है ....
Employee और Employer के बीच खुला रिश्ता होना चाहिए......कोई बंधन नहीं.....जिसको जितनी देर नौकरी करनी हो करे....जिसको जितनी देर नौकरी करानी हो कराये....मामला ख़तम
3) श्रीमान जी कहते हैं कि बिजली आधे दर पे देंगें, दें.....बहुत अच्छी बात है....सबका फायदा है......लेकिन देंगें कैसे कभी बताया नहीं......ऑडिट करेंगें बिजली कंपनियों का......वो भी ठीक बात है....हेराफेरी पकड़ी जा भी सकती है नहीं भी.......मान लेते हैं कि पकड़ी भी जाती है लेकिन कैसे कह सकते हैं कि उससे बिजली कि दर इतनी घट जायेगी कि ठीक आधी हो जायेगी.......हो भी सकती है...लेकिन सारा माजरा अभी अपरिपक्व है और चुनाव से पहले तो और भी अपरिपक्व था ....चाहे बिजली की दरें आधा करने का दावा सही भी सिद्ध हो जाए लेकिन इस तरह के अपरिपक्व मान्यताओं के आधार पे चुनाव लड़ना अतार्किक है, अनर्गल है
4) और श्रीमान जो कहते हैं कि सात सौ लीटर साफ़ पीने का पानी हर घर को मुफ्त देंगें...कैसे अनर्गल बात...यहाँ कुछ मुफ्त नहीं होता.....साफ़ पानी घरों तक पहुंचाने के लिए जल बोर्ड को पानी साफ़ करने के संयंत्र लगाने होते हैं,कर्मचारियों को वेतन देना पड़ता है, पाइप डालने पड़ते हैं ...यह सब खर्चा क्या केजरीवाल वहन करेंगें या फिर पानी तो मुफ्त देंगें लेकिन जनता की जेब से किसी और ढंग से धन निकाल लेंगें?...वैसे दूसरी ही सम्भावना प्रबल है ..
अच्छे प्रबंधन से पानी की दरें कम तो की जा सकती हैं लेकिन शून्य नहीं.
असल में शून्य दर पे कोई भी चीज़ लोगों को मुहय्या कराने की बात जो भी नेता करता है, वो लोगों को मूर्ख बना रहा है.....याद रखें, नेता कुछ न देता....वो तो पब्लिक फण्ड का मेनेजर है .....एक तरफ़ से फण्ड लेता है, दूसरी तरफ़ खर्च करता है...वो मुफ्त कोई चीज़ नहीं दे सकता...देगा तो उसका खर्च पब्लिक से ही वसूलेगा
5) और श्रीमानजी कहते हैं कि ग्राम पंचायत की मर्ज़ी के बिना कोई ज़मीन अधिग्रहित नहीं की जायेगी...कैसे अनर्गल बात....व्यक्तिगत ज़मीन सरकार को तभी अधिग्रहित करनी चाहिए जब कोई वृहतर सार्वजनिक हित सधता हो...इसके लिए किसी की मर्ज़ी की मोहताज़ नहीं होनी चाहिए सरकार...हाँ, जिसकी ज़मीन अधिग्रहित की जाए उन्हें वैकल्पिक ज़मीन देनी चाहिए और वो भी अधिग्रहित की गयी ज़मीन से थोड़ी बढ़िया या फिर ज़मीन के बाज़ार भाव से कुछ ज़्यादा भुगतान करना चाहिए और यह इसलिए क्योंकि सार्वजानिक हित के लिए व्यक्ति की ज़मीन बिना उसकी मर्ज़ी के भी अधिग्रहित की जानी है ..और यह सारी प्रक्रिया पाक साफ़ होनी चाहिए, खुले आम होनी चाहिए.
ज़मीन अधिग्रहण में गड़बड़ घोटालों को रोकने का यह है विकल्प, न कि वो जो केजरीवाल सुझाते हैं
6) और एक तरफ़ कांग्रेस की मदद से सरकार बनाना, दूसरी तरफ उसके लिए गालीनुमा शब्द प्रयोग करना....करें.....कोई दिक्कत नहीं...लेकिन दिक्कत यह है कि यदि इतनी ही दिक्कत है तो सरकार बनाने से साफ़ मना करना चाहिए...क्या पूछना जनता से ...जो होता देखा जाता.....
7) नेता का मतलब यह नहीं होता कि वो हर बात जनता से पूछेगा...नेता वो होता है जो जनता को नयी राह दिखता है....जो जनता को नहीं दिख रहा, वो दिखाता है .....
बहुत बार समाज ही गलत-सलत मान्यतायों से घिरा होता है......
सती प्रथा के पक्ष में हुआ करता था समाज का एक बड़ा हिस्सा....लेकिन बंद करायी गयी यह प्रथा...ज़बरन....यदि रायशुमारी की जाती तो शायद और समय चलती रहती यह हैवानियत और कई औरतें और स्वाहा हो चुकी होतीं ......
रात भर माता के जागरण इतना शोर मचाते हैं कि सोना दूभर हो जाए.....बच्चा पढ़ न पाए......बुज़ुर्ग हार्ट अटैक का शिकार हो जाए.....आप करा लो रायशुमारी से इनको बंद ...दंगें हो जायेंगे ........
होमो सेक्सुअलिटी को गैर कानूनी माना है सुप्रीम कोर्ट ने अभी अभी......करा लो रायशुमारी, कभी कानूनी नहीं माना जाएगा होमो सेक्सुअलिटी को....तो क्या हुआ, मैंने आज ही लिखा है "Marriage should be one option, not the only one legal option of human sexual relationships. Live-in, group live-in, homo such kinda relations be legalized, respected. Thus humanity will move to a healthier, happier future."
जीसस को जब सूली पे चढ़ाया गया था तो बहुमत चाहता था कि सूली पे चढ़ाया जाए, तभी ऐसा हुआ था, तो क्या जीसस गलत हो गए, और वो लोग जिन्होंने सूली चढाया , वो सही हो गए?
नहीं, यह राय शुमारी की बातें बहुत माने नहीं रखतीं
8 ) और श्रीमान जी कहते हैं कि अपने लिए सुरक्षा नहीं लेनी, मत लो. सिरफिरों से भरी है दुनिया, कब कौन छुरा मार दे, गोली मार दे, पता भी न लगेगा. यदि सच में खुद को समाज के लिए किसी काम का समझते हैं तो स्वयं को सहेज कर रखें , वैसे ही जैसे बेगानी अमानत को सहेजा जाता है
9) और जब गलत, आधे अधूरे लोकपाल बिल पे कांग्रेस और भाजपा का विरोध कर सकते हैं तो फिर अन्ना और किरण बेदी का भी विरोध करें और खुले में करें. चुनाव पूर्व जो पर्चे बांटे गए, उनमें लिखा था कि अन्ना वाला लोकपाल बिल पास करायेंगे...अब अन्ना तो फिलहाल पास लोकपाल बिल के फिलहाल हक़ में हैं, आप यदि उस अंतरिम बिल के विरोध में हैं तो अन्ना टीम का भी विरोध करें, इमानदारी तो यही कहती है
10 ) अनुभवविहीन बातें हैं.....वैसे ही जैसे कल तक यह कहना कि वो न समर्थन लेंगें किसी पार्टी का, न समर्थन देंगें किसी को.....आज सरकार समर्थन लेने जा रहे हैं सरकार बनाने को ......समझ गहरी नहीं है
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
(B) मुझे केजरीवाल बस बेवकूफ लगता है, अपरिपक्व, immature...बाकी कोई चोर लुटेरा तो लगता नहीं...
चुनाव लड़ना......राजनीति सबका हक़ है.....किसी के कहने से वो देशद्रोही नहीं हो जाता
लेकिन उसका होना शुभ है भारत के लिए
अरसा हो गया बीजेपी को राजनीति में ...क्या उखाड़ लिया था इसने
आज इन्हें सुशासन याद आ गया
उसमें केजरी का भी हाथ है
बीजेपी बरसों से है न राजनीति में
क्या कर लिया था इसने
भारत की गत खराब थी या नहीं
केजरी, अन्ना, आदि की वजह से ही सुशासन देने की बात उभरी है
केजरीवाल, उसका होना शुभ है
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
(C) बहुत उछाला बीजेपी ने कि केजरीवाल भगोड़ा है, दिल्ली छोड़ गया, किसी ने यह नहीं पूछा इनसे कि तुमने क्यों नहीं बनाई दिल्ली में सरकार, तुम्हारे पास तो केजरी से बड़ा जनादेश था....तुम नहीं हो भगोड़े, केजरी से बड़े?
उसने 49 दिन तो चलायी सरकार तुमने तो 49 मिनट भी नहीं
दिल्ली ने वोट क्या केजरी को ही दिया था, बीजेपी को भी दिया था और केजरी से ज़्यादा दिया था
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
(D) मोदी को वोट इसलिए मिले हैं क्योंकि क्योंकि केजरीवाल दिल्ली छोड़ने की महान गलती कर चुके थे, दिल्ली के लोग जिन्होंने केजरीवाल के वायदों पर वोट दिया था उन्हें कुछ भी न मिला था और इसी बात को भाजपा ने भुना लिया
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
(E) जो लोग बहुत खुश हो रहे हैं कि केजरीवाल हार गए हैं...उन्हें बता देना चाहता हूँ कि आरएसएस 1925 में बना था लगभग 90 साल लगे हैं उनकी सरकार बनने में
नई शक्तियां आयेंगी, आनी चाहिए, समय लग सकता है, इतना उतावले न हों, भारत कोई आरएसएस पर ही अटका न रहेगा
एक भविष्यवाणी-------बहुत कम भविष्य वाणियाँ करता हूँ.......आज एक करता हूँ....जिन लोगों को लगता है केजरीवाल से पिंड छूटा, वो लोग गलतफ़हमी में हैं.....केजरीवाल दुबारा आयेंगें......पहले से ज़्यादा ताकतवर होकर
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
(F) "अहिंसा" को भारतीय नेता कैसे एक टूल की तरह प्रयोग करते हैं इसका एक नमूना अरविन्द केजरीवाल हैं जो सार्वजनिक तौर पर आम लोगों से निर्विरोध थप्पड़ खाते हैं लेकिन उनके अपने साथी उनका विरोध कर रहे हों तो उन्हें गलीछाप गालियाँ देते हैं
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
(G) प्रियंका एनेर्जिक मुझसे पूछ रही थी कि प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव को जो निकाला गया AAP से, मेरी क्या राय है?
मेरा ख्याल यह है कि पार्टी केजरीवाल की नहीं, सबकी है.....उसे सार्वजानिक करना था, सबूत सहित कि उन लोगों की क्या गलती है.......तब करवाता खुली वोटिंग....वो भी बराबर समय मिलता सब को अपनी बात कहने का पहले.......पार्टी किसी के बाप की नहीं.......सब का खून पसीना लगा होता है
एक और बात है जो मैंने कुछ ही समय पहले हसन निसार साहेब से सीखी है कि बढ़िया आदमी वह होता है जिसने अपने पुराने रिश्ते बरकरार रखे हैं......मैं बहुत परवाह नहीं करता था पहले , कितने लोग आये सम्पर्क में, कितने चले गए.......लेकिन आज लगता है कि नहीं, कई लोग बहुत छोटी बातों पर बिछुड़ गए, कुछ को मना भी चुका हूँ, फिर से मित्र हैं.....
सो यही रवैया पार्टी में भी होना चाहिए...रिश्ते बरकरार रखने चाहिए.....और न हो सके तो फिर सब की राय सर मत्थे .....क्या है ऐसा AAP में? शायद नहीं, एक वजह यह भी हो सकती है कि लोग छोड़ छोड़ भाग रहे हैं पार्टी
IPP में ऐसा कभी नहीं होगा, जो नियम मुल्क के लिए वो ही पार्टी के लिए, अजेंडा पढ़ लीजिये, समझ आ जायेगा
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
(H) !!! Why I say Kejriwal is not very wise !!!
Kejriwal was declaring that BJP has no face for Delhi Chief Minister except Jagdish Mukhi.
It was Kejriwal, who was pasting the posters on the back of the 3-wheelers, asking public, who should be the CM of Delhi, Jagdish Mukhi or he, himself.
It was he, who was telling TV anchors that BJP has no CM candidate for Delhi except Jagdish Mukhi.
I wonder, why Jagdish Mukhi did not sue him for pasting so ugly and sad pics of himself !
I wonder, why BJP did not sue him for pasting Jagdish Mukhi's pics without any official declaration about him as a Delhi CM material !
I wonder, none asked Kejriwal that who was he to declare a CM candidate of the opponent party !
Now as we see, the super intelligence and "super intelligence services" of Mr. Kejriwal failed and instead of Mukhi , Kiran Bedi was declared a CM material for Delhi.
Great and they say, I should never doubt his intelligence.
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
(I) !!! Why I say Kejriwal is not very wise--2 !!!
Only a few days back , I wrote that Kejriwal committed a mistake by pasting photos of Jagdish Mukhi on Auto Rickshaws as CM candidate of BJP.
He had to remove those posters because Kiran Bedi was announced as CM candidate of BJP.
Now he got Kiran Bedi's posters pasted on the backs of auto-rickshaws.
Now do you know I was wondering why, Jagdish Mukhi or BJP did not sue him for using/misusing Mukhis's photos?
But this time I am not wondering. Kiran Bedi has sent him a legal notice to remove her photos.
What an intelligent man, Kejriwal is !
And they say, I should not doubt his intelligence.
COPY RIGHT, STEALING IS AN OFFENCE, SHARING IS WELCOME
मैंने लिखा केजरीवाल साहेब के बारे में कई बार.....भारतीय राजनीति पटल पर इस वक्त तीन लोग हैं....एक मोदी जिनके बारे मैं अलग से लिख चुका हूँ...दूसरे मेरे तेरे यानि हम जैसे लोग जो सोच तो रखते हैं लेकिन कर कुछ ख़ास कर सकने की स्थिति में नहीं सो हम जैसों की बाबत अलग से लिखूंगा..अभी ज़िक्र केजरीवाल का......और शुरुआत कर रहा हूँ जब वो पहली बार दिल्ली का चुनाव लड़ रहे थे तब से ........इससे आपको यह तस्वीर भी साफ़ हो जायेगी कि मेरा उनके बारे में आकलन कितना सही रहा है ---तो करिए एक और यात्रा मेरे साथ
(A) मूर्ख केजरीवाल----
1) जनाब कहते हैं, "झुग्गियां तब तक न तोड़ी जायेंगी, जब तक झुग्गी वालों को पक्के घर नहीं दिए जायेंगें"
मैं दिल्ली में हूँ, पश्चिम विहार में, जगह जगह झुग्गी बस्तियों से भरी थी पश्चिम दिल्ली की यह तथाकथित पॉश कॉलोनी, खुले में शौच किया जाता था, गंदगी से भरी झुग्गी बस्तियों से भरी कॉलोनी, कांग्रेस का पक्का वोट बैंक, कॉलोनी वासियों के तीव्र विरोध के चलते और बदलते राजनीतिक और सामाजिक परिवेश के चलते पिछले कुछ सालों में लगभग नब्बे प्रतिशत झुग्गियां हटाई गयीं, अब केजरीवाल जी चाहते हैं कि इन झुग्गियों को आसानी से न हटाया जाए, तब तक तो बिलकुल नहीं जब तब इनके लिए पक्के मकान नहीं दिए जाते, जैसे झुग्गियीं में रह कर कोई अहसान किया हो इन लोगों ने, जैसे झुग्गियों में रहने मात्र से वो उन जगहों के मालिक हो गए हों ये लोग....अरे, अपराधी हैं ये लोग सार्वजानिक ज़मीन के दुरूपयोग के, यदि इन पर जुर्माना नहीं लगा सकते तो इनाम के हकदार कैसे हो गए ये लोग?
ठीक है गरीब हैं...लेकिन कानून के लिए क्या गरीब क्या अमीर ....दोनों बराबर हैं.......
और यह जो घर दिए जायेंगें पक्के, किस के घर से, क्या केजरीवाल जी के घर से, अरे भये, वो सावर्जनिक संपतियां होंगें, सार्वजनिक ज़मीन पर होंगी, सार्वजनिक पैसे से बनेगीं ...
इस तरह किसी के मुहं से निवाला निकाल कर किसी को देना, क्या मतलब हुआ?
देना है तो यह सन्देश दो कि समाज ने कोई ठेका नहीं लिया आपकी ग़रीबी को झेलने का
बच्चे कम पैदा करो या पैदा ही मत करो
लेकिन ऐसा कहे कौन ...कहे तो वोट देगा कौन ...इसलिए बात वो कही जाती हैं जो अच्छी दिखती हों....अच्छी लगती हों
Giving free houses is no solution and why should a certain part of the society bear the burden of another part?
The solution lies in quality and quantity control of the human breeding and for which none is going to get votes from the society.....for that one will have to go against stupidities of the society, old stupid assumptions of the society and here Kejriwal is talking of public participation....No, all this is not going to prove very helpful....may seem superficially good but not going to help in the long run.
2) और कहते हैं श्रीमान जी, कि ठेकेदारी प्रथा ख़त्म की जायेगी और कर्मचारी पक्के किये जायेंगे...महा मूढ़ता है यह....देखा नहीं सरकारी कर्मचारी क्या हाल करते हैं काम का....बस कहने को नौकर होते हैं, आचार, व्यवहार ऐसा जैसे मालिक हों पब्लिक के...क्यों?........क्योंकि पक्के हैं......नौकरी न हुयी शादी हो गयी, सात जन्मों का बंधन, जन्म जन्म का बंधन ......समाज का एक बड़ा हिस्सा तो शादी के भी इस तरह के बंधन के खिलाफ होता जा रहा है और यहाँ श्रीमान जी चाहते हैं कि नौकरों को पक्का किया जाए.....
कभी रखे हैं नौकर?
मात्र नौकरी की है, इसलिए अनुभव एक तरफ़ा है ....
Employee और Employer के बीच खुला रिश्ता होना चाहिए......कोई बंधन नहीं.....जिसको जितनी देर नौकरी करनी हो करे....जिसको जितनी देर नौकरी करानी हो कराये....मामला ख़तम
3) श्रीमान जी कहते हैं कि बिजली आधे दर पे देंगें, दें.....बहुत अच्छी बात है....सबका फायदा है......लेकिन देंगें कैसे कभी बताया नहीं......ऑडिट करेंगें बिजली कंपनियों का......वो भी ठीक बात है....हेराफेरी पकड़ी जा भी सकती है नहीं भी.......मान लेते हैं कि पकड़ी भी जाती है लेकिन कैसे कह सकते हैं कि उससे बिजली कि दर इतनी घट जायेगी कि ठीक आधी हो जायेगी.......हो भी सकती है...लेकिन सारा माजरा अभी अपरिपक्व है और चुनाव से पहले तो और भी अपरिपक्व था ....चाहे बिजली की दरें आधा करने का दावा सही भी सिद्ध हो जाए लेकिन इस तरह के अपरिपक्व मान्यताओं के आधार पे चुनाव लड़ना अतार्किक है, अनर्गल है
4) और श्रीमान जो कहते हैं कि सात सौ लीटर साफ़ पीने का पानी हर घर को मुफ्त देंगें...कैसे अनर्गल बात...यहाँ कुछ मुफ्त नहीं होता.....साफ़ पानी घरों तक पहुंचाने के लिए जल बोर्ड को पानी साफ़ करने के संयंत्र लगाने होते हैं,कर्मचारियों को वेतन देना पड़ता है, पाइप डालने पड़ते हैं ...यह सब खर्चा क्या केजरीवाल वहन करेंगें या फिर पानी तो मुफ्त देंगें लेकिन जनता की जेब से किसी और ढंग से धन निकाल लेंगें?...वैसे दूसरी ही सम्भावना प्रबल है ..
अच्छे प्रबंधन से पानी की दरें कम तो की जा सकती हैं लेकिन शून्य नहीं.
असल में शून्य दर पे कोई भी चीज़ लोगों को मुहय्या कराने की बात जो भी नेता करता है, वो लोगों को मूर्ख बना रहा है.....याद रखें, नेता कुछ न देता....वो तो पब्लिक फण्ड का मेनेजर है .....एक तरफ़ से फण्ड लेता है, दूसरी तरफ़ खर्च करता है...वो मुफ्त कोई चीज़ नहीं दे सकता...देगा तो उसका खर्च पब्लिक से ही वसूलेगा
5) और श्रीमानजी कहते हैं कि ग्राम पंचायत की मर्ज़ी के बिना कोई ज़मीन अधिग्रहित नहीं की जायेगी...कैसे अनर्गल बात....व्यक्तिगत ज़मीन सरकार को तभी अधिग्रहित करनी चाहिए जब कोई वृहतर सार्वजनिक हित सधता हो...इसके लिए किसी की मर्ज़ी की मोहताज़ नहीं होनी चाहिए सरकार...हाँ, जिसकी ज़मीन अधिग्रहित की जाए उन्हें वैकल्पिक ज़मीन देनी चाहिए और वो भी अधिग्रहित की गयी ज़मीन से थोड़ी बढ़िया या फिर ज़मीन के बाज़ार भाव से कुछ ज़्यादा भुगतान करना चाहिए और यह इसलिए क्योंकि सार्वजानिक हित के लिए व्यक्ति की ज़मीन बिना उसकी मर्ज़ी के भी अधिग्रहित की जानी है ..और यह सारी प्रक्रिया पाक साफ़ होनी चाहिए, खुले आम होनी चाहिए.
ज़मीन अधिग्रहण में गड़बड़ घोटालों को रोकने का यह है विकल्प, न कि वो जो केजरीवाल सुझाते हैं
6) और एक तरफ़ कांग्रेस की मदद से सरकार बनाना, दूसरी तरफ उसके लिए गालीनुमा शब्द प्रयोग करना....करें.....कोई दिक्कत नहीं...लेकिन दिक्कत यह है कि यदि इतनी ही दिक्कत है तो सरकार बनाने से साफ़ मना करना चाहिए...क्या पूछना जनता से ...जो होता देखा जाता.....
7) नेता का मतलब यह नहीं होता कि वो हर बात जनता से पूछेगा...नेता वो होता है जो जनता को नयी राह दिखता है....जो जनता को नहीं दिख रहा, वो दिखाता है .....
बहुत बार समाज ही गलत-सलत मान्यतायों से घिरा होता है......
सती प्रथा के पक्ष में हुआ करता था समाज का एक बड़ा हिस्सा....लेकिन बंद करायी गयी यह प्रथा...ज़बरन....यदि रायशुमारी की जाती तो शायद और समय चलती रहती यह हैवानियत और कई औरतें और स्वाहा हो चुकी होतीं ......
रात भर माता के जागरण इतना शोर मचाते हैं कि सोना दूभर हो जाए.....बच्चा पढ़ न पाए......बुज़ुर्ग हार्ट अटैक का शिकार हो जाए.....आप करा लो रायशुमारी से इनको बंद ...दंगें हो जायेंगे ........
होमो सेक्सुअलिटी को गैर कानूनी माना है सुप्रीम कोर्ट ने अभी अभी......करा लो रायशुमारी, कभी कानूनी नहीं माना जाएगा होमो सेक्सुअलिटी को....तो क्या हुआ, मैंने आज ही लिखा है "Marriage should be one option, not the only one legal option of human sexual relationships. Live-in, group live-in, homo such kinda relations be legalized, respected. Thus humanity will move to a healthier, happier future."
जीसस को जब सूली पे चढ़ाया गया था तो बहुमत चाहता था कि सूली पे चढ़ाया जाए, तभी ऐसा हुआ था, तो क्या जीसस गलत हो गए, और वो लोग जिन्होंने सूली चढाया , वो सही हो गए?
नहीं, यह राय शुमारी की बातें बहुत माने नहीं रखतीं
8 ) और श्रीमान जी कहते हैं कि अपने लिए सुरक्षा नहीं लेनी, मत लो. सिरफिरों से भरी है दुनिया, कब कौन छुरा मार दे, गोली मार दे, पता भी न लगेगा. यदि सच में खुद को समाज के लिए किसी काम का समझते हैं तो स्वयं को सहेज कर रखें , वैसे ही जैसे बेगानी अमानत को सहेजा जाता है
9) और जब गलत, आधे अधूरे लोकपाल बिल पे कांग्रेस और भाजपा का विरोध कर सकते हैं तो फिर अन्ना और किरण बेदी का भी विरोध करें और खुले में करें. चुनाव पूर्व जो पर्चे बांटे गए, उनमें लिखा था कि अन्ना वाला लोकपाल बिल पास करायेंगे...अब अन्ना तो फिलहाल पास लोकपाल बिल के फिलहाल हक़ में हैं, आप यदि उस अंतरिम बिल के विरोध में हैं तो अन्ना टीम का भी विरोध करें, इमानदारी तो यही कहती है
10 ) अनुभवविहीन बातें हैं.....वैसे ही जैसे कल तक यह कहना कि वो न समर्थन लेंगें किसी पार्टी का, न समर्थन देंगें किसी को.....आज सरकार समर्थन लेने जा रहे हैं सरकार बनाने को ......समझ गहरी नहीं है
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
(B) मुझे केजरीवाल बस बेवकूफ लगता है, अपरिपक्व, immature...बाकी कोई चोर लुटेरा तो लगता नहीं...
चुनाव लड़ना......राजनीति सबका हक़ है.....किसी के कहने से वो देशद्रोही नहीं हो जाता
लेकिन उसका होना शुभ है भारत के लिए
अरसा हो गया बीजेपी को राजनीति में ...क्या उखाड़ लिया था इसने
आज इन्हें सुशासन याद आ गया
उसमें केजरी का भी हाथ है
बीजेपी बरसों से है न राजनीति में
क्या कर लिया था इसने
भारत की गत खराब थी या नहीं
केजरी, अन्ना, आदि की वजह से ही सुशासन देने की बात उभरी है
केजरीवाल, उसका होना शुभ है
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
(C) बहुत उछाला बीजेपी ने कि केजरीवाल भगोड़ा है, दिल्ली छोड़ गया, किसी ने यह नहीं पूछा इनसे कि तुमने क्यों नहीं बनाई दिल्ली में सरकार, तुम्हारे पास तो केजरी से बड़ा जनादेश था....तुम नहीं हो भगोड़े, केजरी से बड़े?
उसने 49 दिन तो चलायी सरकार तुमने तो 49 मिनट भी नहीं
दिल्ली ने वोट क्या केजरी को ही दिया था, बीजेपी को भी दिया था और केजरी से ज़्यादा दिया था
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
(D) मोदी को वोट इसलिए मिले हैं क्योंकि क्योंकि केजरीवाल दिल्ली छोड़ने की महान गलती कर चुके थे, दिल्ली के लोग जिन्होंने केजरीवाल के वायदों पर वोट दिया था उन्हें कुछ भी न मिला था और इसी बात को भाजपा ने भुना लिया
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
(E) जो लोग बहुत खुश हो रहे हैं कि केजरीवाल हार गए हैं...उन्हें बता देना चाहता हूँ कि आरएसएस 1925 में बना था लगभग 90 साल लगे हैं उनकी सरकार बनने में
नई शक्तियां आयेंगी, आनी चाहिए, समय लग सकता है, इतना उतावले न हों, भारत कोई आरएसएस पर ही अटका न रहेगा
एक भविष्यवाणी-------बहुत कम भविष्य वाणियाँ करता हूँ.......आज एक करता हूँ....जिन लोगों को लगता है केजरीवाल से पिंड छूटा, वो लोग गलतफ़हमी में हैं.....केजरीवाल दुबारा आयेंगें......पहले से ज़्यादा ताकतवर होकर
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
(F) "अहिंसा" को भारतीय नेता कैसे एक टूल की तरह प्रयोग करते हैं इसका एक नमूना अरविन्द केजरीवाल हैं जो सार्वजनिक तौर पर आम लोगों से निर्विरोध थप्पड़ खाते हैं लेकिन उनके अपने साथी उनका विरोध कर रहे हों तो उन्हें गलीछाप गालियाँ देते हैं
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
(G) प्रियंका एनेर्जिक मुझसे पूछ रही थी कि प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव को जो निकाला गया AAP से, मेरी क्या राय है?
मेरा ख्याल यह है कि पार्टी केजरीवाल की नहीं, सबकी है.....उसे सार्वजानिक करना था, सबूत सहित कि उन लोगों की क्या गलती है.......तब करवाता खुली वोटिंग....वो भी बराबर समय मिलता सब को अपनी बात कहने का पहले.......पार्टी किसी के बाप की नहीं.......सब का खून पसीना लगा होता है
एक और बात है जो मैंने कुछ ही समय पहले हसन निसार साहेब से सीखी है कि बढ़िया आदमी वह होता है जिसने अपने पुराने रिश्ते बरकरार रखे हैं......मैं बहुत परवाह नहीं करता था पहले , कितने लोग आये सम्पर्क में, कितने चले गए.......लेकिन आज लगता है कि नहीं, कई लोग बहुत छोटी बातों पर बिछुड़ गए, कुछ को मना भी चुका हूँ, फिर से मित्र हैं.....
सो यही रवैया पार्टी में भी होना चाहिए...रिश्ते बरकरार रखने चाहिए.....और न हो सके तो फिर सब की राय सर मत्थे .....क्या है ऐसा AAP में? शायद नहीं, एक वजह यह भी हो सकती है कि लोग छोड़ छोड़ भाग रहे हैं पार्टी
IPP में ऐसा कभी नहीं होगा, जो नियम मुल्क के लिए वो ही पार्टी के लिए, अजेंडा पढ़ लीजिये, समझ आ जायेगा
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
(H) !!! Why I say Kejriwal is not very wise !!!
Kejriwal was declaring that BJP has no face for Delhi Chief Minister except Jagdish Mukhi.
It was Kejriwal, who was pasting the posters on the back of the 3-wheelers, asking public, who should be the CM of Delhi, Jagdish Mukhi or he, himself.
It was he, who was telling TV anchors that BJP has no CM candidate for Delhi except Jagdish Mukhi.
I wonder, why Jagdish Mukhi did not sue him for pasting so ugly and sad pics of himself !
I wonder, why BJP did not sue him for pasting Jagdish Mukhi's pics without any official declaration about him as a Delhi CM material !
I wonder, none asked Kejriwal that who was he to declare a CM candidate of the opponent party !
Now as we see, the super intelligence and "super intelligence services" of Mr. Kejriwal failed and instead of Mukhi , Kiran Bedi was declared a CM material for Delhi.
Great and they say, I should never doubt his intelligence.
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
(I) !!! Why I say Kejriwal is not very wise--2 !!!
Only a few days back , I wrote that Kejriwal committed a mistake by pasting photos of Jagdish Mukhi on Auto Rickshaws as CM candidate of BJP.
He had to remove those posters because Kiran Bedi was announced as CM candidate of BJP.
Now he got Kiran Bedi's posters pasted on the backs of auto-rickshaws.
Now do you know I was wondering why, Jagdish Mukhi or BJP did not sue him for using/misusing Mukhis's photos?
But this time I am not wondering. Kiran Bedi has sent him a legal notice to remove her photos.
What an intelligent man, Kejriwal is !
And they say, I should not doubt his intelligence.
COPY RIGHT, STEALING IS AN OFFENCE, SHARING IS WELCOME
No comments:
Post a Comment