Monday, 29 June 2015

"करप्शन"


एक फिल्म थी A WEDNESDAY जिसमें नसीरुद्दीन शाह मेन रोल में थे, उसमें एक आम आदमी की पॉवर दिखाई थी, वो सारे सिस्टम से आगे चलता हुआ, अपनी पहचान छुपाता हुआ, आतंकियों को खत्म करता है....

कुछ कुछ वैसे ही सलाह दे रहा हूँ.....आप, मैं और हम...करप्शन खतम कर सकते हैं, जड़ से

आप कहेंगे, कैसे? हम तो बिलकुल साधरण लोग हैं, आम आदमी

मेरा प्लान पढ़ लीजिये, समझ आ जायेगी

हमें पता है कि पुलिस वाले हमारे आपके झगड़े में खुद ही, वकील, जज बन जाते हैं और दोनों तरफ से पैसे खाते हैं, हम समझौते पर राज़ी हो भी जाएँ तब भी जब तक उनका पेटा न भरा जाए, वो समझौता तक नहीं करने देते..अपना रौब , दबदबा बनाये रखते हैं........

आपको राज़ की बात बताता हूँ, ये जितने सरकारी कर्मचारी हैं , ये बर्फ के बने हैं, इनकी सख्ती, इनकी कठोरता, ज़रा सा गर्मी लगते ही और पिघलना, गलना शुरू ........

तो नाज़रीन, हाज़िर हैं कब्ज़ नाशक......... अरे अरे, नहीं, नहीं ..... करप्शन नाशक चूर्ण

आप एक नकली लड़ाई करो आपस में और 100 नम्बर पर काल कार दो, कॉल एंड्राइड फ़ोन से करो, रिकॉर्डिंग सब रखो....... पुलिस देर सवेर आएगी ......आपस में एक दूजे के खिलाफ खूब बोलो......धीरे धीरे पुलिस मामला सुलटाने पे आएगी....और किसी न किसी ढंग से पैसे भी लेगी....सारे मामले की ऑडियो विडियो जैसी भी रिकॉर्डिंग हो सके करते जाओ......और अंत में इसे whatsapp, या ईमेल से अपने ख़ास दोस्तों, रिश्तेदारों को भेज दो....फिर अपने प्यारे पुलिस वालों को बता दो कि आपके पास उनके लिए कितना बड़ा सुसमाचार है.... पुलिस वाले आपको वापिसी पैसे देने को राज़ी होंगे और कई गुणा ज़्यादा .......हज़ारों लिए होंगे तो लाखों रुपये वापिस देंगे

आगे क्या करना है, खुद समझो, लेकिन इससे रिश्वत तो निश्चित ही कम होगी

इससे मिलती जुलती ट्रिक आप हर महकमे में प्रयोग कर सकते हैं .........बस याद रखें... ये जितने सरकारी कर्मचारी हैं , ये बर्फ के बने हैं, इनकी सख्ती, इनकी कठोरता, ज़रा सा गर्मी लगते ही और पिघलना, गलना शुरू ........

ये सरकार से तनख्वाह भी लेते हैं, पब्लिक से रिश्वत भी लेते हैं, बदतमीजी भी करते हैं और जो थोड़ा बहुत काम भी करते हैं वो भी ऐसे जैसे पब्लिक पर अहसान कर रहे हों ........इन्हें सबक सिखाना शुरू कीजिये....बस थोड़ी हिम्मत की ज़रुरत है

No comments:

Post a Comment