!!! फर्क IPP और AAP का !!!

मुझ से कुछेक मित्रों ने पूछा था कि IPP और AAP में फर्क क्या है......बताता हूँ....केजरीवाल कहते हैं कि उन्हें गणतंत्र दिवस की परेड में बुलाया नहीं गया....उनके साथी लोग भी यहाँ पोस्ट कर रहे हैं कि भई यह तो अन्याय है..गलत है....यह दिवस कोई भाजपा का थोड़ा है, यह तो पूरे राष्ट्र का दिवस है.

अब फर्क यह है कि मैंने IPP एजेंडा मे सिफारिश की है कि इस तरह के सब दिवस मानना बंद कर देना चाहिए.....इतना तामझाम, सब बंद, आपको मानना है, सिंबॉलिक आयोजन करें और फिर काम शुरू रोज़ की तरह बल्कि उससे भी ज़्यादा जोश से .....लेकिन यह गाजा बाजा हर साल....साल में दो बार छुटी बंद .

जब केजरीवाल कह ही रहे हैं कि वो आजादी की दूसरी लड़ाई लड़ रहे हैं तो फिर ठीक है.....करो विरोध कि यह सब गणतन्त्र-स्वतंत्र दिवस बंद होना चाहिए....सुना है कि शायद किया भी था विरोध लेकिन लगता है कि विरोध उपरी था

मैं करता हूँ विरोध IPP एजेंडा पढ़ लीजिये, लिखा है मैंने .. लिखा है कि जन समर्थन से ऐसा होना चाहिए ....चूँकि जब वर्षों से कोई परम्परा चली आ रही हों तो यकायक बदलाव पब्लिक को नागवार गुज़र सकता है...सो पब्लिक की राय से ऐसा किया जाना चाहिए

मेरा मानना है कि इस तरह के आयोजन पाखंड हैं, ढकोसला हैं.....राष्ट्र की सम्पति का, समय का, उर्जा का गलत इस्तेमाल है....

क्या हासिल है इन आयोजनों से.....?

यह मजाक है, मजाक है भारत के उन तमाम लोगों का जो आज तक दाल रोटी की हद से बाहर नहीं हो सके

इसे गणतन्त्र कहते हैं?

जब यह गणतन्त्र है ही नहीं तो फिर काहे का आयोजन और फिर यदि सच में विरोध किया था तो फिर काहे का विरोध कि हमें नहीं बुलाया, आपको तो आज और जोर-शोर से यह कहना चाहिए कि ऐसे आयोजन होने ही नहीं चाहिए ?

यह है फर्क IPP और AAP का और ऐसे ही बहुत और फर्क हैं साफ़ करेंगे कि IPP और AAP एक नहीं, न एक जैसी हैं

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