“#कॉमन_सिविल_कोड/ कुछ सवाल-कुछ जवाब”
         हिन्दू ब्रिगेड हाहाकारी तरीके से  कॉमन सिविल कोड के समर्थन में खड़ी है. मानना यह है इनका कि मुस्लिम समाज ने अलग सिविल कानून की आड़ में बहुत से फायदे ले रखे हैं और समाज को असंतुलित कर रखा है. मुस्लिम एक से ज़्यादा शादी करते हैं, बिन गिनती के बच्चे पैदा करते हैं. आदि-आदि. तो क्यूँ न एक साझा कानून बनाया जाए? क्रिमिनल कोड एक ही है मुल्क में. क़त्ल करे कोई तो सज़ा एक ही है, चाहे हिन्दू हो, चाहे मुसलमान, चाहे सिक्ख. लेकिन हिन्दू बेटी को पिता की सम्पति में जो अधिकार है, वो मुसलमान बेटी को नहीं है. तलाक के बाद हिन्दू पत्नी को पति से जो सहायता मिलती है, वैसी मुस्लिम स्त्री को नहीं है.   तो क्यूँ न एक ही कानून हो? कॉमन सिविल कोड. अनेकता में एकता.   इसमें कुछ पेच हैं. अनेकता में एकता के फोर्मुले पर ही सारा जोर है जबकि एकता में अनेकता बनाए रखना  भी ज़रूरी है. जहाँ तक हो सके, किसी भी समाज के नेटिव फैब्रिक को नहीं छेड़ा जाए.   आदिवासी समाज में कुछ अलग कायदे हैं. वहां घोटुल व्यवस्था है. शादी से पहले जवां लड़के-लड़कियां एक साझे हाल में जीवन के नियम सीखते हैं. सेक्स भी. प्रैक्टिकल. आपका बड़ा से बड़ा स्कू...