बाहुबली और संघी सोच
बाहुबली...संघी सोच को हवा देती है. भारतीय योद्धाओं का महिमा-मंडली-करण. भारतीय योद्धा लड़े थे लेकिन अधिकांश हारे हैं. युद्ध "बाहुबल" से कम और युद्ध-विद्या और अस्त्र-शस्त्रों की आधुनिकता से अधिक जीते जाते हैं, "बुद्धिबल" से अधिक जीते जाते हैं. देर-सबेर हार ही पल्ले पड़नी थी चूँकि हम आविष्कारक नहीं थे. पोरस मुझे लगता है कि अगर जीता नहीं तो हारा भी नहीं था. युद्ध में उसका बेटा, जिसका नाम भी पोरस था, वो मारा गया था, लेकिन इन्होने मिल कर सिकन्दर को आगे बढ़ने से रोक दिया था, तो इसे हार नहीं कह सकते. शिवाजी, गुरु गोबिंद, बन्दा बहादुर, हरी सिंह नलुआ, रणजीत सिंह जैसे योद्धाओं ने सख्त टक्कर दी. जहाँ तक मैंने पढ़ा, पृथ्वीराज के सत्रह बार गौरी को हराने की बात विवादित है. हाँ, एक बार ज़रूर गौरी उससे हारा था. मेरा पॉइंट यह नहीं है कि एक बार हारा या कितनी बार हारा. एक बार भी हारा तो भी हारा तो था. मेरा पॉइंट यह है कि एक बार भी हारने पर उसे क्यूँ छोड़ा? युद्ध युद्ध होता है, इसमें कोई गहरी फिलोसोफी ढूँढना बकवास है. पृथ्वीराज ने बेवकूफी की जिसे गौरी ने नहीं दोहराया. गौरी ने ...