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हिन्दू फल की दूकान लिखने पर FIR -सही है क्या?

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बिहार और झारखण्ड से खबरें हैं कि फल की दुकान पर भगवा झंडे लगने पर या हिन्दू शब्द का बैनर लगाने पर FIR लिख दी गईं. चूंकि इससे समाज में शांति भंग हो सकती ही। समाज के विभीन्न  हिस्सों में दुशमनी बढ़ सकती है। धार्मिक भावनाएँ आहत हो सकती हैं। और पता नहीं क्या क्या?  कमाल है भाई! धन्य हैं कंप्लेंट देने वाले और धन्य-धन्य हैं कंप्लेंट लिखने वाले. मैं  हैरान हूँ सामान्य बुद्धि का इस्तेमाल भी नहीं किया गया. किसी ने झंडा लगाया अपने ठेले पे, या बैनर लगाया अपने ठेले पे या अपनी दुकान पे हिन्दू फल की दुकान लिख दिया तो उससे किसी की धार्मिक भावनाएं आहात हो रही हैं या दंगा बलवा होने का खतरा है. वाह! शाबाश कल यह भी तय कर देना कि कौन से रंग की शर्ट कब पहननी है चूंकि उससे भी तो भार्मिक भावनाएं हर्ट हो सकती हैं.  यदि कोई मुस्लिम से सब्ज़ी फल नहीं नहीं ले रहा तो वो वो अफसरान से मिल रहा है, ज्ञापन दे रहा है. देखिये .....  मतलब मजबूर करोगे कि तुम से सब्ज़ी फल लिया ही जाए?  और मुस्लिम जो सिर्फ हलाल प्रोडक्ट ही प्रयोग कर रहे हैं, तो किसी जैन, किसी बौध, किसी सिक्ख ...

भक्त कौन है?

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भक्त गोबर-भक्त अंध-भक्त  अँड-भक्त, मोदी-भक्त ... बहुत से शब्द है जो भाजपा  को, मोदी को  सपोर्ट करने वालों के  खिलाफ प्रयोग होते  हैं।  कहा जाता है कि भक्ति-काल चल रहा है. हर हर महादेव सुना था लेकिन हर-हर मोदी, घर-घर मोदी भी सुना फिर।  भक्त मतलब जड़बुद्धि. जिसे तर्क से नहीं समझाया जा सकता. जो तर्क समझता ही नहीं. और  कौन कहता है इनको भक्त? मुस्लिम....... तथाकथित सेक्युलर. लिबरल.  विरोधी पोलिटिकल दल. और कोई भी जिसका मन करे।  गुड. वैरी गुड. तो सज्जन और सज्जननियो।  आईये खुर्दबीनी कर लें. सबसे पहले मुस्लिम को देख लेते हैं. भाई आप से बड़ा भक्त कौन है दुनिया में?  आप तो क़ुरआन, इस्लाम और  मोहम्मद श्रीमान  के खिलाफ  कुछ सोच के, सुन के राज़ी ही नहीं होते. मार-काट हो जाती है. बवाल हो जाता है. दंगा हो जाता है.  पाकिसतन में ब्लासफेमी कानून है.  इस्लाम, क़ुरान, मोहम्मद श्रीमान के खिलाफ बोलने, लिखने पर मृत्यु दंड  है. आप किस मुंह से यह भक्त भक्त चिल्ल पों मचाये रहते हो भाई? और बाकी धर्म-पंथ को मानने वाल...

फल सब्ज़ी बेचने वालों की ID मांगना सही है क्या?

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कल से खबर  तैर रही है  वो यह है कि इंग्लैंड में कोई रेस्टॉरेंट था, जिसके खाने में मानव मल पाया गया और इसे खा कर  कई लोग बीमार हो गए. मूल बात इस रेस्त्रां के मालिक दो मुस्लिम थे, पकड़े गए और इनको सज़ा भी मिली. मैंने  देखा  बीबीसी की साइट पर है. खबर पुराणी है. २०१५ की. अभी क्यों ऊपर आई. सिम्पल चूँकि भारत में कई वीडियो आए जिनमें मुस्लिम सब्ज़ी-फल पर थूकते दिख रहे हैं. कुछ विडियो सच्चे कहे जा रहे हैं, कुछ झूठे. अब आप इस वीडियो देखें. देखा आपने?  मुस्लिम सब्ज़ी विक्रेता डेप्युटी CM को ज्ञापन दे रहे हैं कि लोग उनके मुस्लिम होने की वजह से उनसे सब्ज़ी  नहीं खरीद रहे. मैं  कुछ पॉइंट रख रहा हूँ, आप सोचें, विचारें कि बात कहाँ तक सही है. जिस ने पैसे खर्च करने है, क्या उसका कानूनी अधिकार नहीं कि वो जाने कि  उसने कहाँ खर्च करने हैं कहाँ नहीं? क्या उसका अधिकार नहीं कि वो जाने कि उसने किसे बिज़नेस देना है किसे नहीं? क्या आपको पता नहीं होना चाहिए  कि किस से डील करना है किस से नहीं? क्या होटल में रुकने से पहले हमारी ID  नहीं मांगी जाती?...