भक्त गोबर-भक्त अंध-भक्त अँड-भक्त, मोदी-भक्त ... बहुत से शब्द है जो भाजपा को, मोदी को सपोर्ट करने वालों के खिलाफ प्रयोग होते हैं। कहा जाता है कि भक्ति-काल चल रहा है.
हर हर महादेव सुना था लेकिन हर-हर मोदी, घर-घर मोदी भी सुना फिर।
भक्त मतलब जड़बुद्धि. जिसे तर्क से नहीं समझाया जा सकता. जो तर्क समझता ही नहीं.
और कौन कहता है इनको भक्त?
मुस्लिम....... तथाकथित सेक्युलर. लिबरल. विरोधी पोलिटिकल दल. और कोई भी जिसका मन करे।
गुड. वैरी गुड.
तो सज्जन और सज्जननियो। आईये खुर्दबीनी कर लें.
सबसे पहले मुस्लिम को देख लेते हैं. भाई आप से बड़ा भक्त कौन है दुनिया में? आप तो क़ुरआन, इस्लाम और मोहम्मद श्रीमान के खिलाफ कुछ सोच के, सुन के राज़ी ही नहीं होते. मार-काट हो जाती है. बवाल हो जाता है. दंगा हो जाता है. पाकिसतन में ब्लासफेमी कानून है. इस्लाम, क़ुरान, मोहम्मद श्रीमान के खिलाफ बोलने, लिखने पर मृत्यु दंड है. आप किस मुंह से यह भक्त भक्त चिल्ल पों मचाये रहते हो भाई?
और बाकी धर्म-पंथ को मानने वाले भी भक्त ही होते हैं. ज़्यादातर. कोई नहीं सुन के राज़ी अपने देवी, देवता, गुरु, ग्रंथ के खिलाफ. बचपन से दिमाग में जो जड़ दिया गया सो जड़ दिया गया. माँ ने दूध के साथ धर्म का ज़हर भी पिला दिया, बाप ने चेचक के टीके के साथ मज़हब का टीका भी लगवा दिया ? दादा ने प्यार-प्यार में ज़ेहन में मज़हब की ख़ाज-दाद डाल दी ? नाना ने अक्ल के प्रयोग को ना-ना करना सिखा दिया? बड़ों ने लकड़ी की काठी के घोड़े दौड़ाना तो सिखाया लेकिन अक्ल के घोड़े दौड़ाने पर रोक लगा दी?
अब सब भक्त हैं, सब तरफ भक्त हैं, कोई छोटा, कोई बड़ा और कोई सबसे बड़ा.
भक्त सिर्फ मोदी के ही नहीं है. भक्ति असल में खून में है लोगों के. आज तो सचिन तेंदुलकर को ही भगवान मानने लगे. अमिताभ बच्चन, रजनी कान्त और पता नहीं किस-किस के मंदिर बन चुके.
सो सवाल मोदी-भक्ति नहीं है, सवाल 'भक्ति' है. सवाल यह है कि व्यक्ति अपनी निजता को इतनी आसानी से खोने को उतावला क्यूँ है?
जवाब है कि इन्सान को आज-तक अपने पैरों पर खड़ा होना ही नहीं आया, बचपन से ही उसके पैर कुछ दशक पहले की चीन की औरतों की तरह लोहे के जूतों में बांध जो दिये।
खैर, भक्त कैसा भी हो. आज़ाद सोच खिलाफ है. और जो भी ज्ञान-विज्ञान आज तक पैदा हुआ है, वो भक्तों की वजह से पैदा नहीं हुआ है, भक्तों के बावजूद पैदा हुआ है.
भक्त होना सच में ही गलत है लेकिन दूसरों पर ऊँगली उठाने से पहले देख लीजिये चार उंगल आपकी तरफ भी उठती हैं.
राइट?
थैंक्यू.
#भक्त, #गोबरभक्त, #अंधभक्त, #अँडभक्त, #मोदीभक्त, #भक्तिकाल
अबे भगवान और नेताओं के बीच का फर्क भूल गए हो क्या बे। अब क्या मोदी को अवतार घोषित कर के ही मानोगे?
ReplyDeleteअबे दुबारा पढ़, दुबारा विडियो देख. यह पोस्ट मोदी भक्ति के पक्ष में नहीं है. बल्कि हर तरह की भक्ति के खिलाफ है, चाहे वो किसी नेता की हो, चाहे किसी अभिनेता की और चाहे किसी तथा-कथित धार्मिक-मज़हबी शख्सियत की. ठीक से समझ.
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