काटजू साहेब की मूर्खता के चंद नमूने
   मार्कंडेय काटजू नब्बे प्रतिशत से ज़्यादा भारतीयों को मूर्ख कहते हैं.  मैं सहमत हूँ उनसे शत-प्रतिशत. बस एक बात है. उन मूर्खों  में काटजू साहेब को भी शामिल करता हूँ.   पहली मिसाल देता हूँ उनकी मूर्खता की.  हाल-फिलहाल  सौम्या मर्डर केस में कोर्ट की जजमेंट पर टिप्पणी करने के लिए बेशर्त माफी माँगनी पड़ी उनको.    दूसरी मिसाल. वो समझते हैं कि पाकिस्तान और बांगला-देश भारत के साथ दुबारा मिल जायेंगे. मेरे से लिखवा लो, ग्र्र्रर...बल्कि मैं लिख ही रहा हूँ, ये दोनों मुल्क तैयार हो भी जाएं, आज भारतीय खुद इनके साथ जुड़ना पसंद नहीं करेंगे.   और यदि एक करना ही है तो पूरी दुनिया को एक करने की कोशिश क्यूँ की न जाए? दुनिया वैसे भी एक ही है. लकीरें इंसानी बेफकूफियों ने ही तो डाली हैं. उस दिशा में काम क्यूँ न किया जाए? यह आधा-अधूरा क्यूँ सोचना?  तीसरा मिसाल.  जनवरी सोलह, दो हजार सत्रह को लिखा उन्होंने, "My prediction about the forthcoming Punjab Assembly elections is based on reason, not emotion. If Punjab elections had been held an year back, AAP would have got a majority. But in the past year its ima...