इस मुद्दे में बहुत सारे पहलु ऐसे हैं जो आज तक, शायद ही किसी ने टच किये हों
वैसा सीधा सीधा काला धन वापिस लाना ही बहुत बड़ा मुद्दा लगता नहीं मुझे
धन क्या होता है........संचित प्रयास, मेहनत...उसे हमने एक कंक्रीट रूप दे दिया है
एक आदमी बीस साल मेहनत करता है, उसकी मेहनत को हमने धन के रूप में कंक्रीट रूप दे दिया
और यदि वो अपना धन सरकार नामक चोर से बचा ले तो वो धन काला हो गया..नहीं?
अब सवाल यह है कि सरकार बड़ी चोर है या आम आदमी,और जवाब है सरकार, सरकारी आदमी
काले धन की ही बात करें तो भारत में ही स्विस बैंक से ज्यादा काला धन प्रॉपर्टी मार्किट में लगा है
पूरी की पूरी प्रॉपर्टी मार्किट ही काला धन की है
प्रॉपर्टी जो लाखों से करोड़ों रुपये तक पहुँची है..वो मात्र काले धन की वजह से
भारत का स्थानीय स्विस बैंक
धन होता क्या है....धन समय का समाजिक परिप्रेक्ष्य में सदुपयोग है
धन समय का सदुपयोग है सामाजिक परिप्रेक्ष्य में
उसका कंक्रीट रूप
और जब हम यह समझ लेते हैं तो आगे यह भी समझना चाहिए कि कोई व्यक्ति या कोई मुल्क कैसे गरीब अमीर होता है
आज अमेरिका भारत से कैसे अमीर है
चूँकि उसके प्रयास भारत के प्रयासों से उसके अपने मुल्क वासियों और बाकी दुनिया के लिए भारत के प्रयासों से ज़्यादा मीनिंगफुल हैं
समय का सदुपयोग......
सामाजिक परिप्रेक्ष्य में
उसके प्रोग्राम, उसकी नीतियाँ, उसके अन्वेषण, उसके आविष्कार, लोगों को ज्यादा फ़ायदा देते हैं या देते दिखाई देते हैं
सिंपल
यह है धन
अब या तो तुम काला गोरा धन चिल्लाते रहो
या अपने प्रयास, अपने कार्यक्रम, अपने कार्य......इनको ऐसी दिशा दो कि ये धन बन जाएँ या फिर ऐसी दिशा दो कि इनका क्रियाकर्म हो जाए
और भारत यही गलती कर रहा है
जितना प्रयास किया जा रहा है..बाहर से काला धन लाने का......यदि भारत के बैंकों में पड़े सफ़ेद धन का ...ऐसा धन जिसको लेने वाला कोई नहीं...जिस धन के मालिक मर खप गए....उस धन का सामजिक कार्यों में सदुपयोग कर लिया जाए तो तस्वीर थोड़ी बेहतर हो
जितना प्रयास किया जा रहा है बाहर से काला धन लाने का यदि भारत की प्रॉपर्टी मार्किट में सर्किल रेट असली रेट के बराबर कर दिया जाए तो तस्वीर बेहतर हो और काला धन जो अनाप शनाप धन लगा है, लग रहा है प्रॉपर्टी में वो दफ़ा हो और प्रॉपर्टी की काला बाजारी, जमाखोरी बंद हो, और जिनको घर चाहिए अपने रहने को, उन्हें आसानी से नसीब हो, जिनको दूकान, ऑफिस चाहिए अपने प्रयोग के लिए, उन्हें वो सब नसीब हो
जितना प्रयास किया जा रहा है बाहर से काला धन लाने का यदि दिलवाडा के जैन मंदिर, खजुराहो के मंदिर और भारत के नए पुराने पर्यटक स्थलों को दुनिया के पर्यटकों को दिखाने के लिए और उन्हें सुरक्षित सफर प्रदान करने के लिए प्रयास किया जाता तो धन ही धन हो जाता...धनाधन
जितना प्रयास किया जा रहा है बाहर से काला धन लाने का यदि विदेशों में NRI जो धन छूट गया है उसे लाने का प्रयास किया जाता तो धनाधन हो जाता
यह है सामाजिक उर्जा का सदुपयोग जो धन बनता है
कोई एक ही पहलु नहीं है कि चिल्ला चिल्ली करते रहो ..स्विस बैंक से काला धन लाना है
वो सिर्फ एक पहलु है
आ जाए तो बेहतर
न भी आये तो यदि हम अपने खनिज, अपने रिसोर्सेज का इस्तेमाल करें तो धन ही धन हो जाएगा
हमारे वैज्ञानिक जो बेचारे यदि कुछ आविष्कार करते भी हैं तो कोई पूछता नहीं है....
इन सबका सदुपयोग धन बनता है
IPP का एजेंडा क्रियान्वित होगा तो धन बनेगा
यह जो समय और उर्जा कांवड़ यात्रा जैसे बकवास कामों में व्यर्थ होता है वो यदि किसी तरह से कोई आविष्कार करने में लगे तो धन बनता है
व्यक्तिगत उर्जा का सामाजिक परिप्रेक्ष्य में सदुपयोग ही धन है
और यदि किसी ने टैक्स नहीं दिया तो वो धन काला हो गया यह भी मैं कतई नहीं मानता....
तुम चोरों जैसा टैक्स लगायो और फिर कहो कि जिसने नहीं दिया वो चोर है, उसका धन काला....क्या बकवास है
तुम दिए गए टैक्स को चुरा लो और फिर जिसने टैक्स नहीं दिया और कहो कि वो चोर है, उसका धन काला....क्या बकवास है
तुम दिए गए टैक्स को प्रयोग करना ही न जानते हो और फिर जिसने टैक्स नहीं दिया और कहो कि वो चोर है, उसका धन काला....क्या बकवास है
नहीं.......स्विस बैंक से काला धन वापिस लाना हमारी इकॉनमी को थोड़ा सम्बल दे सकता है , लेकिन असली सुधार तो होगा यदि हम अपना सारा ताम झाम सुधार पाएं, सामजिक सुधार ही इकनोमिक सुधार लाता है, सामाजिक सुधार ही इकोनोमिक सुधार है
अरे आप एक शराबी, एक बेअक्ल को धन पकड़ा दो क्या होगा.......बन्दर के हाथ में उस्तरा
थोड़ा धन आ भी गया स्विस बैंक से....क्या होगा
आपके प्रोग्राम, आपके सिस्टम ठीक नहीं तो क्या होगा
थोड़ा बहुत फर्क आएगा बस
लेकिन यदि आप अपने सिस्टम ठीक कर लो.....तो धन ही धन है
अमेरिका या किसी भी मुल्क में अमीरी मात्र इसलिए है चूँकि उनके सिस्टम हमारे से बेहतर हैं
कॉपी राईट, चुराएं न, शेयर करें जितना मर्ज़ी
वैसा सीधा सीधा काला धन वापिस लाना ही बहुत बड़ा मुद्दा लगता नहीं मुझे
धन क्या होता है........संचित प्रयास, मेहनत...उसे हमने एक कंक्रीट रूप दे दिया है
एक आदमी बीस साल मेहनत करता है, उसकी मेहनत को हमने धन के रूप में कंक्रीट रूप दे दिया
और यदि वो अपना धन सरकार नामक चोर से बचा ले तो वो धन काला हो गया..नहीं?
अब सवाल यह है कि सरकार बड़ी चोर है या आम आदमी,और जवाब है सरकार, सरकारी आदमी
काले धन की ही बात करें तो भारत में ही स्विस बैंक से ज्यादा काला धन प्रॉपर्टी मार्किट में लगा है
पूरी की पूरी प्रॉपर्टी मार्किट ही काला धन की है
प्रॉपर्टी जो लाखों से करोड़ों रुपये तक पहुँची है..वो मात्र काले धन की वजह से
भारत का स्थानीय स्विस बैंक
धन होता क्या है....धन समय का समाजिक परिप्रेक्ष्य में सदुपयोग है
धन समय का सदुपयोग है सामाजिक परिप्रेक्ष्य में
उसका कंक्रीट रूप
और जब हम यह समझ लेते हैं तो आगे यह भी समझना चाहिए कि कोई व्यक्ति या कोई मुल्क कैसे गरीब अमीर होता है
आज अमेरिका भारत से कैसे अमीर है
चूँकि उसके प्रयास भारत के प्रयासों से उसके अपने मुल्क वासियों और बाकी दुनिया के लिए भारत के प्रयासों से ज़्यादा मीनिंगफुल हैं
समय का सदुपयोग......
सामाजिक परिप्रेक्ष्य में
उसके प्रोग्राम, उसकी नीतियाँ, उसके अन्वेषण, उसके आविष्कार, लोगों को ज्यादा फ़ायदा देते हैं या देते दिखाई देते हैं
सिंपल
यह है धन
अब या तो तुम काला गोरा धन चिल्लाते रहो
या अपने प्रयास, अपने कार्यक्रम, अपने कार्य......इनको ऐसी दिशा दो कि ये धन बन जाएँ या फिर ऐसी दिशा दो कि इनका क्रियाकर्म हो जाए
और भारत यही गलती कर रहा है
जितना प्रयास किया जा रहा है..बाहर से काला धन लाने का......यदि भारत के बैंकों में पड़े सफ़ेद धन का ...ऐसा धन जिसको लेने वाला कोई नहीं...जिस धन के मालिक मर खप गए....उस धन का सामजिक कार्यों में सदुपयोग कर लिया जाए तो तस्वीर थोड़ी बेहतर हो
जितना प्रयास किया जा रहा है बाहर से काला धन लाने का यदि भारत की प्रॉपर्टी मार्किट में सर्किल रेट असली रेट के बराबर कर दिया जाए तो तस्वीर बेहतर हो और काला धन जो अनाप शनाप धन लगा है, लग रहा है प्रॉपर्टी में वो दफ़ा हो और प्रॉपर्टी की काला बाजारी, जमाखोरी बंद हो, और जिनको घर चाहिए अपने रहने को, उन्हें आसानी से नसीब हो, जिनको दूकान, ऑफिस चाहिए अपने प्रयोग के लिए, उन्हें वो सब नसीब हो
जितना प्रयास किया जा रहा है बाहर से काला धन लाने का यदि दिलवाडा के जैन मंदिर, खजुराहो के मंदिर और भारत के नए पुराने पर्यटक स्थलों को दुनिया के पर्यटकों को दिखाने के लिए और उन्हें सुरक्षित सफर प्रदान करने के लिए प्रयास किया जाता तो धन ही धन हो जाता...धनाधन
जितना प्रयास किया जा रहा है बाहर से काला धन लाने का यदि विदेशों में NRI जो धन छूट गया है उसे लाने का प्रयास किया जाता तो धनाधन हो जाता
यह है सामाजिक उर्जा का सदुपयोग जो धन बनता है
कोई एक ही पहलु नहीं है कि चिल्ला चिल्ली करते रहो ..स्विस बैंक से काला धन लाना है
वो सिर्फ एक पहलु है
आ जाए तो बेहतर
न भी आये तो यदि हम अपने खनिज, अपने रिसोर्सेज का इस्तेमाल करें तो धन ही धन हो जाएगा
हमारे वैज्ञानिक जो बेचारे यदि कुछ आविष्कार करते भी हैं तो कोई पूछता नहीं है....
इन सबका सदुपयोग धन बनता है
IPP का एजेंडा क्रियान्वित होगा तो धन बनेगा
यह जो समय और उर्जा कांवड़ यात्रा जैसे बकवास कामों में व्यर्थ होता है वो यदि किसी तरह से कोई आविष्कार करने में लगे तो धन बनता है
व्यक्तिगत उर्जा का सामाजिक परिप्रेक्ष्य में सदुपयोग ही धन है
और यदि किसी ने टैक्स नहीं दिया तो वो धन काला हो गया यह भी मैं कतई नहीं मानता....
तुम चोरों जैसा टैक्स लगायो और फिर कहो कि जिसने नहीं दिया वो चोर है, उसका धन काला....क्या बकवास है
तुम दिए गए टैक्स को चुरा लो और फिर जिसने टैक्स नहीं दिया और कहो कि वो चोर है, उसका धन काला....क्या बकवास है
तुम दिए गए टैक्स को प्रयोग करना ही न जानते हो और फिर जिसने टैक्स नहीं दिया और कहो कि वो चोर है, उसका धन काला....क्या बकवास है
नहीं.......स्विस बैंक से काला धन वापिस लाना हमारी इकॉनमी को थोड़ा सम्बल दे सकता है , लेकिन असली सुधार तो होगा यदि हम अपना सारा ताम झाम सुधार पाएं, सामजिक सुधार ही इकनोमिक सुधार लाता है, सामाजिक सुधार ही इकोनोमिक सुधार है
अरे आप एक शराबी, एक बेअक्ल को धन पकड़ा दो क्या होगा.......बन्दर के हाथ में उस्तरा
थोड़ा धन आ भी गया स्विस बैंक से....क्या होगा
आपके प्रोग्राम, आपके सिस्टम ठीक नहीं तो क्या होगा
थोड़ा बहुत फर्क आएगा बस
लेकिन यदि आप अपने सिस्टम ठीक कर लो.....तो धन ही धन है
अमेरिका या किसी भी मुल्क में अमीरी मात्र इसलिए है चूँकि उनके सिस्टम हमारे से बेहतर हैं
कॉपी राईट, चुराएं न, शेयर करें जितना मर्ज़ी