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इस्लाम- संघ- भारत- दुनिया

मुझे आरएसएस मुस्लिम मुद्दे पर सही लगने लगा है मैं जैसे-जैसे समझ रहा हूँ ..इस्लाम दुनिया को अगले विश्व युद्ध की और धकेल रहा है तौबा! यहाँ भारत का बुद्धिजीवी अभी भी नहीं समझता और मुझे लगता है कि गांधी भी गलत थे...इस मुद्दे पर और सावरकर सही थे, मुस्लिम मुद्ददे पर संघी मुस्लिम के बारे में जो कहते हैं, आज सारी दुनिया लगभग वो ही कह रही है जबकि यहाँ संघ को गाली पड़ती है आज लगता है कि गोडसे सही था गांधी का ईश्वर अल्लाह तेरो नाम गाना....बकवास! उन्हें पता ही नहीं था कि मुसलमान होना क्या है. इस्लाम कोई पूजा पद्धति मात्र नहीं है. जैसा संघी आज भी कहते हैं कि पूजा पद्धति कोई भी हो, लेकिन निष्ठा भारतीय मूल्यों और भारतीय पूर्वजों पर हो बकवास! वो भी ठीक ठीक नहीं समझते यह हो ही नहीं सकता इस्लाम सोशल आर्डर है इस्लाम राजनीतिक आर्डर है और पूजा पद्धति तो है ही इस्लाम कभी किसी मुल्क का कायदा कानून नहीं मान सकता उसके कायदे कानून इस्लाम में ही अंतर्निहित हैं नहीं...संघ मुस्लिम मुद्दे पर बहुत सही है......बहुत. संघ और सौ जगह गलत है ...इस मुद्दे पर नहीं मैं कह रहा था कि इस्लाम पूरा आ...