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Thursday 29 December 2016

"गरीब का भला करना गुनाह है"

ये जो लोग गरीब घरों के बच्चों को पढ़ा रहे हैं मुफ्त, या फिर उनको मुफ्त कपड़े-लत्ते दे रहे हैं, खाना दे रहे हैं और समझ रहे हैं, समझा रहे हैं कि बहुत भला कर रहे हैं दुनिया का, इडियट हैं. यह सब दुनिया का भला नहीं, बुरा है गहरे में. ऊपरी तौर पर यह सब बहुत अच्छा लग सकता है बस.
असल भला आप तभी करेंगे, जब आप साथ- साथ नसबंदी कार्यक्रम चलायें. मतलब जबरन नसबंदी से नहीं है.मतलब ऐसा अभियान चलाने से है जो इनको समझाए कि आप आ गए इस दुनिया में तो यह ज़रूरी नहीं कि आगे अपनी कापियां छोड़ के जाओ. "उल्लू मर गए, औलाद छोड़ गए", यह न ही हो तो अच्छा. खुद का वज़न नहीं झेल पा रहे तो आपके बच्चों का वज़न कैसे झेलोगे? आपका और आपके बच्चों का वज़न इस समाज को ही झेलना पड़ेगा.
और उसके लिए सरकार को और ज़्यादा टैक्स वसूलने पडेंगे. जिन लोगों का आपके और आपके बच्चों के जन्म में कोई हाथ-पैर या कोई भी अंग प्रत्यंग (?) नहीं है, उनको पालने के लिए सरकार दूसरों की जेबें काटेगी.
यह सब इन लोगों समझाए बिना, बड़े पैमाने पर समझाए बिना, किसी भी गरीब का कैसा भी भला करना गुनाह है. इस धरती के प्रति अपराध है. आने वाली नस्लों की बर्बादी है.
एक फोटो देखी होगी आपने सोशल मीडिया पर, एक भिखमंगी औरत को दूसरी औरत भीख दे रही है, लेकिन क्या दे रही हैं? कंडोम. चूँकि उस भिखमंगी के इर्द-गिर्द चार-पांच छोटे बच्चे हैं. और तो और पेट भी फूला है. यह फोटो कमाल की है, इसमें पूरा भविष्य छुपा है मानव जाति का. अगर ऐसा न किया गया तो मानव और उसके साथ- साथ पूरी पृथ्वी तबाह होनी निश्चित है.