"अम्मीजान कहतीं थीं, धंधा कोई छोटा नहीं होता"
     शाहरुख़ खान फरमाते हैं, अपनी ताज़ा-तरीन फिल्म 'रईस' में, "अम्मीजान कहतीं थीं, धंधा कोई छोटा नहीं होता और धंधे से बड़ा कोई धर्म नहीं होता."    तो ठीक, स्मगलिंग हो चाहे गैंग-बाज़ी, धंधा कोई छोटा नहीं होता, खोटा नहीं होता. जाएँ और 'रईस' फिल्म देखें. फिल्म बनाना, एक्टिंग करना उसका धंधा है और धंधे से बड़ा कोई धर्म-ईमान होता नहीं, तो वो एक टैक्सी चलाने वाली गुमनाम औरत को भी अपनी फिल्म की प्रोमोशन में शामिल कर लेता है. लेकिन  उनसे  'तू'...'तू' करके बात करता है, जबकि वो उसे 'सर', 'सर' कह कर सम्बोधित कर रही हैं. इडियट! तमीज नहीं. अगर वाकई वो टैक्सी ड्राईवर न होकर कोई बड़ी तुख्म चीज़ होतीं तो फिर करके दिखाता....'तू...तू'. हू--तू---तू ...न करा देतीं तो. वो 'तू'  इसीलिए निकल रहा है मुंह से कि उन्हें  छोटी औरत समझ रहा है. उनके धंधे को छोटा समझ रहा है.   एक और प्रमोशनल वीडियो में श्रीमान शाहरुख़ बताते हैं कि रईस कौन है. उनके मुताबिक रईस कोई पैसे वाला नहीं है, वो सब रईस हैं, जो खुश हैं, जिंदा-दिल हैं, कुछ-कुछ ऐसा. ठीक है, मैं सहमत...