Sunday 28 May 2017

----:वकालतनामा:----

कोई वकील hire करते हैं तो सबसे पहला काम वो करता है आपसे वकालतनामा साइन करवाने का. यहीं बहुत कुछ समझने का है. पहले तो यह समझ लें कि आप वकील को hire करते हैं, वो आपको hire नहीं करता है. आप एम्प्लोयी नहीं हैं, एम्प्लायर हैं. चलिए अगर एम्प्लोयी और एम्प्लायर का नाता थोड़ा अट-पटा लगता हो तो समझ लीजिये कि आप दोनों एक अग्रीमेंट के तहत जुड़ने जा रहे हैं. और वो अग्रीमेंट है, वकालतनामा. अब यह क्या बात हुई? वकील तो आपको वकालतनामा थमा देता है, जिसे आप बिना पढ़े साइन कर देते हैं. यहीं गड़बड़ है. वकालतनामा कुछ ऐसा नहीं है कि जिसे आपने बस साइन करना है. वो आपका और वकील के बीच का इकरारनामा है, अग्रीमेंट है. उसे आप उसी तरह से ड्राफ्ट कर-करवा सकते हैं जैसे कोई भी और अग्रीमेंट. उसमें सब लिख सकते हैं कि आप क्या काम सौंप रहे हैं वकील को, कितने पैसे दे रहे हैं उसे और आगे कब-कब कितने-कितने देंगे. उसमें दोनों तरफ से लिखा जा सकता है कि कौन कब उस अग्रीमेंट से बाहर आ सकता है. मतलब आपने अगर तयशुदा पेमेंट वकील को नहीं दी तो उसकी ज़िम्मेदारी खत्म और अगर वकील तयशुदा काम नहीं करता, तो आप उसे आगे पैसे नहीं देंगे और चाहेंगे तो उससे केस वापिस लेंगे. अपना केस तो आप कभी भी वकील से वापिस ले सकते हैं. आप अपना केस खुद लड़ सकते हैं या फिर कोई भी अन्य वकील hire कर सकते हैं. लेकिन असल में होता यह है कि वकील ऐसे इम्प्रैशन देते हैं जैसे वो एम्प्लोयी न हों, जैसे वो सर्विस देकर कोई अहसान कर रहे हों. एक-मुश्त मोटी रकम पहले ही ले लेते हैं. जैसे स्कूल वाले नर्सरी एडमिशन में मोटे पैसे पहले ही ले लेते हैं. अब ऐसे में व्यक्ति जल्दी से न तो वकील बदलने की हिम्मत करता है और न ही स्कूल. और तो और सारी केस फाइल भी वकील के पास ही होती है. मुद्दई के पास तो अपने केस का एक भी कागज़ नहीं होता. फिर अधिकांश वकील साथ-साथ केस की सर्टिफाइड कॉपियां भी नहीं निकलवाते, जो कि बहुत ज़रूरी हो जाती हैं यदि आपकी फाइल कोर्ट से गुम हो जाए. और गर वकील कोर्ट से सर्टिफाइड कॉपियां लेते भी हैं तो निकालने के ही बहुत पैसे ऐंठ लेते हैं, जबकि कोर्ट फ़ी मात्र दो या तीन रुपये प्रति पेज होती है. यह सब आप वकालतनामा में पहले ही डाल सकते हैं कि सारी कारवाई की सर्टिफाइड कॉपी साथ-साथ आपके वकील साहेब कोर्ट से लेंगे और आपको सौपेंगे और खुद फोटो-कॉपी रखेंगे और यदि आप उनको बरखास्त करते हैं तो आपसे आगे कोई पैसा नहीं मांगेंगे. लेकिन इस सारे मामले में अनपढ़ तो अनपढ़ हैं हीं, पढ़े-लिखे भी अनपढ़ हैं, सो वकील जायज़-नाजायज़ फायदा उठाते हैं. मेरी नज़र में तो डॉक्टर, शिक्षक, CA और वकील सब एम्प्लोयी ही हैं......एम्प्लोयी शब्द का अर्थ है जो पैसा लेकर कोई निश्चित कार्य करे......असल में पंचर लगाने वाला भी एम्प्लोयी ही है...थोड़ी देर के लिए hire किया गया एम्प्लोयी.....प्रॉपर्टी डीलर भी एम्प्लोयी ही है.......इसमें कुछ भी अच्छा-बुरा मानने समझने जैसा नहीं है. पैसा चाहे आप श्रम, समय और लागत की वजह से ले रहे हों और चाहे ज्ञान और अनुभव की वजह से....क्या फर्क है? पंचर लगाने में भी श्रम के साथ ज्ञान लगता है. मुझे कल ही एक पंचर वाले ने बताया कि कोई मशरूम पंचर भी होता है, जो tubeless टायर में अंदर की तरफ से लगता है. अब इसे कैसे ज्ञान न कहें? उसने वो पंचर मुझे दिखाया भी. यह वकील, डॉक्टर, CA आदि की ज़्यादती है जो सिर्फ खुद को प्रोफेशनल कहते हैं. जैसे बाकी लोग प्रोफेशनल न हों. असल में तो हर व्यक्ति प्रोफेशनल होता है. सेक्स बेचने वाली औरतों को तो हम कहते भी हैं "धंधे वाली". और यह भी समझना चाहिए कि सब वकील तो नहीं लेकिन बहुत से वकील कमीशन एजेंट का ही काम कर रहे होते हैं. उनको इस बात से क्या मतलब कि उनके क्लाइंट को इन्साफ मिले या न मिले? उन्हें तो बस अपने पैसे से मतलब. और अधिकांश वकील वो तो चाहते ही नहीं कि ऐसे व्यक्ति का केस भी लिया जाए जो कुछ कायदा कानून जानता हो....ऐसे व्यक्ति का केस तो वो ले के ही राज़ी नहीं होते..उन्हें तो अक्ल का अँधा और गाँठ का पूरा क्लाइंट चाहिए होता है. असल में वकील को लोग बहुत विश्वास के साथ hire करते हैं, इतना विश्वास कि आप इसे अंध-विश्वास कह सकते हैं. मित्रवर, केस आपका है, वकील का भी है लेकिन उस तरह से नहीं जिस तरह से आपका है. कोर्ट में जीत हार आपकी होती है, वकील की भी होती है लेकिन उस तरह से नहीं जैसे आपकी होती है. आप हारो, चाहे जीतो, वकील ने अपने पैसे ले ही लेने हैं. सो ये कुछ सावधानियां है, कुछ जानकारियाँ हैं, कुछ समझदारियां हैं जो आपको वकालतनामा साइन करने से पहले ही ध्यान में रखनी चाहियें. खतरनाक वकील नमन.....तुषार कॉस्मिक.

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