"आधे इधर जाओ, आधे उधर जाओ, बाकी मेरे पीछे आओ" असरानी का फेमस डायलाग है शोले फिल्म में. मेरी पोस्ट पर आये कमेंट देख याद आता है.
शब्दों की भीड़ में मैं जो कहना चाहता हूँ, वो ऊपर-नीचे, दायें-बायें से निकल जाता है कुछ मित्रों के. मैं तो बस यही क्लियर करता रहता हूँ कि किस बात से मेरा मतलब क्या है.
बहुत मित्र तो 'सवाल चना और जवाब गंदम' टाइप कमेंट करते हैं.
खैर, कोई मित्र बुरा न मानें, मैं कोई अपने लेखन की महानता का किस्सा नहीं गढ़ रहा. अपुन तो वैसे भी हकीर, फ़कीर, बे-औकात, बे-हैसियत के आम, अमरुद, केला, संतरा किस्म के आदमी हैं. बस जो सही लगा लिख दिया.

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