भगवान परशुराम ने इक्कीस बार धरती को क्षत्रिय-विहीन किया.
वैरी गुड.
अबे, ओये, जब एक बार कर दिए थे तो फिर बीस बार और करने की का ज़रूरत थी? और फिर अब जो बचे हैं ई क्षत्रिय या खत्री, वो का हैं बे ?
झूट्टे कहीं के!
राम भगवान ने रावण मारा था. अबे, जब मार ही दिए थे एक बार, फिर हर साल काहे मारते हैं, हर साल काहे जलाते हैं? अगर सच में रावण मर गया था तो बार-बार-हर-बार का ज़रूरत यह सब नाटक-नौटंकी करने की?
बेखूफ़ समझ रक्खे हो का बे?
झूट्टे कहीं के!
इस पोस्ट का श्रेय ससम्मान ओशो को.
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