एक मित्र ने लिखा कि मैं, तुषार, मात्र बुद्धिजीवी हूँ. मतलब था कि मैं कोई आध्यात्मिक व्यक्ति नहीं हूँ. और वो मुझे बुद्धि का पर्दा हटाने की भी सलाह दे रहे थे.
उन्होंने शायद यह कोई मेरी कमी, बुराई, मेरी सीमा बताई.
लेकिन यह सत्य है. मैंने कभी बुद्धिजीवी होने के अलावा कोई क्लेम किया भी नहीं है.
लेकिन जिन को बुद्दिजीवी होने से परहेज़ हो, उनके लिए मशवरा है. ऐसे मत सोचिये जैसे बुद्धि से जीना कोई गलत हो. कुदरत ने बुद्धि दी है तो उसे प्रयोग करना ही चाहिए. आपको नहीं करना न करें. अगली बार जब सड़क पर चलेंगे तो बिना बुद्धि के चलिए. दायें..बायें...देखना ही मत.....लाल बत्ती, हरी बत्ती की बिलकुल परवा मत करना. और सामने से आते तेज़ गति वाले ट्रक में जा भिड़ना. बिलकुल ऐसा ही करना. बिना बुद्धि से जीना. अगर जी पाओ तो.
और बुद्धिजीवी होने का अर्थ ह्रदयहीन होना नहीं है सर जी.
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