ये जो लोग अपने बच्चों के CBSE एग्जाम 90-95% नम्बरों से पास होने की पोस्ट डाल रहे हैं और जो इनको बधाईयों के अम्बार लगा रहे हैं, उनको ताकीद कर दूं कि टॉपर बच्चे ज़िन्दगी की बड़ी दौड़ में फिसड्डी निकलते हैं.
ये लोग अच्छी दाल-रोटी/ मुर्गा-बोटी तो कमा लेते हैं लेकिन दुनिया को आगे बढ़ाने में इनका योगदान लगभग सिफर रहता है चूँकि ये सिर्फ लकीर के फ़कीर होते हैं, रट्टू तोते होते हैं, अक्ल के खोते होते हैं, सिक्के खोटे होते हैं.
दिमाग लगाना इनके बस की बात नहीं होती. और इनको जो इंटेलीजेंट समझते हैं, उनकी इंटेलिजेंस पर मुझे घोर शंका है. इडियट लोग. इंटेलिजेंस यह नहीं होती कि आपने कुछ घोट के पी लिया. इंटेलिजेंस होती है कुछ भी पीने से पहले अच्छे से घोटना, छानना और सही लगे तो ही पीना, नहीं तो कूड़े में फेंक देना.
एक टेप रिकॉर्डर अच्छी रिकॉर्डिंग कर लेता है, तो क्या कहोगे कि यह बहुत इंटेलीजेंट है, स्मार्ट है? इसे गोल्ड मैडल मिलना चाहिए? इडियट. इससे ज़्यादा स्मार्ट तो तुम्हारा स्मार्ट फ़ोन होगा, वो कितने ही जटिल काम कर लेगा.
ज़्यादा कुछ नहीं लिखूंगा. समझदार को इशारा ही काफी है और अक्ल-मंद, अक्ल-बंद को दुल्लती भी कम है.
नमन....आपका शत्रुनुमा मित्र...तुषार कॉस्मिक.
No comments:
Post a Comment