Saturday, 20 June 2015

मुस्लिम आतंक का आसान इलाज़

------  बोको हराम , हरामी लोग -----
नाइजीरिया का मुस्लिम आतंकी संगठन , पीछे स्कूल  में से कोई ढाई सौ लड़कियां अगवा कर ली इन्होने....

पूरी दुनिया में चिल्लपों मचती रही, "BRING BACK OUR GIRLS" लेकिन नतीज़ा हुआ सिफर..अब कल पढ़ रहा था कि बोको हराम के नेता ने कहा है कि उन सारी लड़कियों ने मुस्लिम धर्म अपना लिया है और उनकी शादियाँ कर दी गयी हैं, किन से , बिला शक इन्ही हरामियों के साथ......

क्या कोई मुस्लिम दानिशमंद मुझे बतायेगा कि यह कहाँ तक ठीक है ?

यह भी पढ़ा कि बोको हराम का मतलब है "पश्चिमी शिक्षा हराम है" शायद ऐसा कुछ  , चलो बढ़िया है , फिर शायद इस ग्रुप ने जो शिक्षा ली हो लड़कियां अगवा करने की वो शिक्षा हलाल है, पवित्र हो...कृपया मुझ नासमझ को समझायें 

खैर......मैं उन लड़कियों और उनके मां, बाप सगे सम्बन्धियों के प्रति ह्रदय से संवेदना व्यक्त करता हूँ!!!!!!


--------  हरामी ISIS का हरम  ----- 


कल एक विडियो देखा, मुस्लिम लड़ाके यज़ीदी औरतों को आपस में खरीद बेच रहे थे...............समझ नहीं आया .... क्या हम सभ्य हैं...क्या हम जंगलों से बाहर आ चुके हैं.....क्या  हम कोई सभ्यता हैं....क्या हम कोई समाज हैं......?


क्या वो औरतें सिर्फ शरीर हैं, मांस की बोटियाँ, उनमें दिल नहीं, दिमाग नहीं...वो किसी की माँ नहीं, किसी की बहन नहीं ?


क्या वो इंसान नहीं, कोई चीज़ हैं, खरीद लो, बेच लो?

पढ़ता  हूँ कि अहमद शाह अब्दाली जब यहाँ भारत पर हमला करता था तो यहाँ की औरतों भी को लूट ले जाता था...और वहां अपने मुल्क की गलियों में टके टके बिकवाता था.....सिख लड़ाके  देर रात छुप छुपा कर वार करते थे और इन औरतों को छुडवा उनके घर पहुंचाते थे......सिक्खों का जो मज़ाक उड़ाया जाता है कि बारह  बज गए, वो शर्म की नहीं गर्व की बात है............रात के बारह बजे सिक्ख आक्रमण करते थे और गुलाम, बदनसीब औरतों को छुडवा लेते थे  

अब हैरानी यह है कि आज दुनिया कहाँ से कहाँ पहुँच गयी .....चाँद , मंगल तक हमारी पहुँच हो गयी ......क्या हमारे शक्तिशाली नेता, पूरी दुनिया के नेता इस बारे में कुछ भी नहीं कर सकते?

हमारी यह दुनिया आगे बढी है या पीछे खिसकी है ?

क्या मात्र इसलिए किसी का भी क़त्ल कर दिया जाना चाहिए कि वो आपके दीन/मज़हब को नहीं मानता, क्या इसलिए किसी औरत को गुलाम बना लिया जाना चाहिए कि वो किसी और धर्म को मानती है ?

यदि ISISI इतने ही महान काम कर ही है तो इसके मेम्बर अपने चेहरे क्यों छुपा रखते हैं...........गर्व से करें जो करना है


क्या मज़हब के नाम पर इस तरह की गुंडागर्दी का कोई इलाज़ ,फ़ौरन  इलाज नहीं होना चाहिए  ?

क्या पूरी दुनिया को एकजुट हो, राक्षसों के खात्मे के लिए प्रयासरत नहीं हो जाना चाहिए ?

मित्रगण सुझाव दें, जवाब दें


---------- मुस्लिम आतंक का आसान इलाज़ -----------

जब पंजाब सन अस्सी से चौरासी के दौर में आतंकवाद झेल रहा था तो रोज़ बुद्धिजीवी/ बुद्धुजीवी ये लम्बे आर्टिकल लिखते थे पंजाब समस्या हल करने को......पर आतंकी थे कि सम्भलते ही नहीं थे.


फिर काल चक्र-घूमा, सरकार को ताकत का इस्तेमाल करना पड़ा, आज आपको पंजाब में आतंकी बस लोगों के ज़ेहन में दफन मिलता है.....कडवी यादें  

ठीक वैसे ही जैसे आज  मुस्लिम आतंकी सम्भल नहीं पा रहे...बोको हराम हो, हमास हो ...तालिबान हो, ISIS हो..........दुनिया का जीना हराम कर रखा है 

एक ही इलाज है इनका ..........छित्तर

छित्तर पंजाबी का लफ्ज़ है...शाब्दिक अर्थ तो जूता है......लेकिन आप यहाँ इससे तोप, मिसाइल, बन्दूक, ड्रोन आदि कोई भी मतलब समझ सकते हैं 

हर जगह बात नहीं चलती ....बहुत जगह लात भी चलानी  होती है..........छितर समेत ......

पुराना जुमला है ..."लातों के भूत बातों से नही मानते"....

संस्कृत में कुछ यूँ कहा जाता है .."शठे शाठ्यम समाचरेत" ....दुष्ट के साथ दुष्टता का आचरण करो.....

अंग्रेज़ी में "TIT FOR TAT" कहा गया है 

जुमले पुराने हैं लेकिन शायद दुनिया को याद दिलाने की ज़रूरत है

"कॉपीराइट"

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