Thursday, 18 June 2015

फेसबुकिंग

यद्यपि आपने बुकिंग नहीं कराई, तथापि यह फेसबुकिंग आपके लिए उपस्थित है--

(1) क्यों न हम अपनी पोस्ट के साथ अपना बैंक अकाउंट नंबर दें और अपील करें कि जिनको भी हमारी पोस्ट पसंद आयी हो, वो हमारे अकाउंट में कुछ भी पैसे डालें, ऐसा वो मोबाइल फ़ोन से अपने कॉल बैलेंस से भी कर सकते हैं, "गूगल वालेट" करके एक सर्विस है गूगल की उसमें पैसे डाल सकते हैं...........सच बताएं, कैसा है आईडिया

हर पोस्ट के साथ, गूगल वॉलेट की जानकारी, लिंक सहित दी जा सकती है....वो वैसे भी काम की चीज़ है

चाहे जतना भी हो सहयोग राशी दी जाए, नो मिनिमम लिमिट

और पोस्ट को फेसबुक तक ही क्यों सीमित रखना, पूरा इन्टरनेट मौजूद है, जहाँ मर्ज़ी हो पोस्ट डाली जा सकती हैं.......कॉपीराइट रखने के लिए हर पोस्ट, हर कमेंट को साथ साथ अपनी वेबसाइट, ब्लॉग पर डाला जा सकता है........यह सब अब न तो महंगा है और न ही मुश्किल

मेरा मानना यह है कि बहुत लोग हमारे जेन्युइन प्रयास को समझ भी सकते हैं, हमारी मंशा, हमारे विचार से सहमत भी हो सकते हैं, और समझ सकते हैं कि धन की आवश्यकता सभी को होती है सो हम कोई अनर्गल बात नहीं कह रहे

विशुद्ध व्यक्तिगत डिमांड...आप यूँ समझिये विकिपीडिया जैसे डोनेशन मांगता है.....भाई पैसे नहीं होंगे तो कब तक चलेगा...ठीक वैसे ही...हम लोग दिन रात खपते हैं.....समाजिक विषयों पर लिखते हैं....ठीक है, अपनी इच्छा से लिखते हैं..लेकिन पैसे भी मिल सकें तो और ज़्यादा समय दे सकते हैं और उत्साह से लिख सकते हैं

(2) जिस प्रकार वृक्ष अपने फल स्वयं नहीं खाते और नदियाँ अपना पानी स्वयं नहीं पीती, ठीक उसी प्रकार फेसबुक पे दूसरों को नसीहत देने वाले खुद कभी उस पर अमल नहीं करते

फिर भी इन्सनियात लम्बी अंधेरी गुफा से निकल रही है.........यह जो फेसबुक और whatsapp हैं न.....अभी शायद इसकी अहमियत भविष्य ही आंकेगा....यही है जो दुनिया बदलेगा

(3) ह्म्म्म............तो आप राजनैतिक पार्टी विशेष के भोंपू हो?...नहीं, नहीं....अपने को क्या....वो तो ऐसे ही पूछ रहे थे अपुन .....वैसे फेसबुक का बेस्ट प्रयोग तो आप ही करते हैं....जी, बिलकुल .....अब जब कोई सुविधा हो तो सदुपयोग तो होना ही चाहिए ....बिलकुल......जय हो

महान हस्तियाँ खुद को प्रमोट करने को फेसबुक पेज चलाती हैं, और मित्रवर वहां अपनी उपस्थिति दर्ज़ कर आते हैं खुद को प्रमोट करने को ....सदुपयोग......फ्रेंड्स विद बेनिफिट

(4) फेसबुक मित्रता मात्र एक सम्भावना है मित्रता की.....सो बहुत सावधान रहें, ख़ास करके शुरू में....सावधानी हटी और ब्लॉकिंग घटी

 (5) फेसबुक मित्रता मात्र मौका है एक दूजे के विचारों को समझने का, यदि कोई लिस्ट में आ गया और उसके बाद निष्क्रिय रहता है किसी को ख्वाब नहीं आ जाएगा कि वो पढ़ रहा है या नहीं....... निष्क्रिय लोगों का सीधा सीधा मतलब यह है वो लोग हमारे विचारों में कुछ ख़ास उत्सुक नहीं हैं....विदा कर देना चाहिए....इसमें कोई भी नाराज़गी की बात ही नहीं......वो अपने रास्ते हम अपने रास्ते.....विदा मात्र इसलिए किया जा रहा है कि वो लोग हमारी लिस्ट में होते भी न होने जैसे थे...इसमें काहे कि नाराज़गी?

(6) हरेक का फेसबुक अकाउंट उसका घर है और किसी के घर में गंद डालने का कोई हक़ नहीं किसी को ......इसीलिए फेसबुक ने ब्लाक करने का प्रावधान दिया है...

(7) मेरी बला से....
हम तो फेंके गए पत्थरों से घर की दीवाल बना लेते हैं,
फेसबुक की दीवाल सजा लेते हैं,
एक और पोस्ट बना लेते हैं

(8) मुद्दे को पटरी से उतारने का प्रयास किया जाता है, भटकाने, भरमाने का प्रयास किया जाता है......

व्यक्तिगत आक्रमण किये जाते हैं, बहस को विचारगत से व्यक्तिगत किया जाता है
उससे भी काम न चलता दीखे तो फिर गाली गलौच आखिरी हथियार

वैसे इन सबसे बचने का आसान तरीका है.......एक आध बार समझाओ...वैसे समझना होता नहीं किसी ने, फिर भी प्रयास ज़रूर करो....न समझे तो विदा करो.....बेहतर है ब्लॉक करो...क्या चक्कर में पड़ना अमित्र करने के...ब्लोकास्त्र सर्वोतम है...न बचेगा बांस, न बजेगी बांसुरी

(9) मुफ्त की चीज़ हज़म नहीं होती, ज़िंदगी के तजुर्बे बताओ, बताओ कि आप वो गलतियाँ न करें, जो हमने करी हैं.......बताओ कि समाज की कुछ बेहतरी हो सके. पहले लिखने में समय लगाओ, फिर कमेंट के जवाब देने में समय लगाओ और जनाब/ मोहतरमा ऐसे पेश आते हैं जैसे हम पर अहसान कर रहे हैं, गले आ आ पड़ेंगे...अरे, आप से कोई पैसे ले लिए क्या फेसबुक पर अपना लेखन पढवाने के?  जिसे समझना हो, उसे एक आध बार में बात समझ आ जाती है, न समझना हो तो मैराथन बहस कर लो तो न समझ आये. नहीं जमता तो लिस्ट में ही मत रहो, यदि फिर भी रहना है और ऐसी ही हरकते करनी हैं तो ध्यान रहे यहाँ भी ब्लोकास्त्र तैयार है

(10) टैगिंग से अक्सर परेशान रहते हैं मित्रवर, टैगासुर कहा जाता है टैग करने वालों को.
लेकिन मैं फिर भी टैग करता हूँ.... करता बहुत कम लोगों को हूँ....चुनिन्दा...और वो भी सॉफ्ट टैग...बस एक सूचना जाती है ... timeline पर नहीं आता कभी कुछ....अब फिर भी मुझे कोई कहे कि टैग क्यों किया तो मैं उसे लिस्ट से बाहर कर देता हूँ.....जो मुझे नहीं पढना चाहता न सही......जाने देना चाहिए बशर्ते कि मैं खुद बहुत उत्सुक न होवूं उसे पढने में.....लोग इसलिए लिस्ट से बाहर करते हैं कि टैग क्यों किया, मैं इसलिए कर देता हूँ कि टैग से इन्कार क्यों किया. उन्हें इनकार का हक़ है, मुझे विदा करने का हक़ है.

(11) !!!!!निंदक नियरे राखिये, आंगन कुटी छवाए----बकवास!!!!!!

निंदक सिर्फ निंदा ही करता रहेगा, जोंक की तरह व्यक्ति के उत्साह को चूस जाएगा, ऐसे व्यक्ति को ब्लाक कर देना चाहिए..चाहे फेसबुक हो चाहे जीवन

हाँ, आलोचक का स्वागत होना चाहिए, आलोचक, जिसके पास लोचन, यानि बुद्धि की आँखें हैं...जो अच्छा बुरा देख समझ सकता है .....और जो अच्छे पर उत्साह बढाता भी है, ताली भी बजाता है और गलत दिखने पर गलती भी समझाता है...

इसे समझने के लिए आसान मिसाल हाज़िर है, क्या आप हमेशा अपनी माँ, या बीवी के हाथ के बने खाने में कमियां ही निकालते हैं या अच्छा बना हो तो प्रशंसा भी करते हैं?
उम्मीद है समझ गए होंगे, इससे आसान मिसाल अभी तो मुझे नहीं मिल रही

(12) मेरे फेसबुकिया नियम----

a) फेसबुक की दुनिया में बहुत प्यारे प्यारे और जहीन लोग हैं लेकिन जाहिल उससे कहीं ज्यादा हैं सो कुछ नियम हैं मेरे, अपने सब नये पुराने और आने वाले मित्रों के लिए, मुलाहिज़ा फरमाएं. जमे तो ही मेरे साथ रहें

b) ऐसे ऐसे ढीठ भरे पड़े हैं फेसबुक की दुनिया में....मेरे अकाउंट में हैं ऐसे मित्र (?), जिन्होंने न कभी कोई लाइक दिया, न कोई कमेंट, लेकिन डुबकी मार मार मेरे दो दो साल पुराने स्टेटस चोरी कर रहे हैं, और तो और कमीनगी की हद्द यह है कि समझाये जाने पर समझाने वाले को समझा रहे हैं, चोरी और सीना जोरी....मैं अपने किसी भी स्टेटस या कमेंट की चोरी बर्दाश्त नही करता, आप शेयर करें, जितना मर्ज़ी

b) मेरे दस बीस स्टेटस पढ़ लीजिये. आपके किसी भी पवित्र ख्यालात पर मेरी लात पड़ सकती है कभी भी. रहना हो रहें यहाँ अन्यथा नही. जहाँ आपने गालीनुमा शब्द प्रयोग किये आप की छुट्टी.....आपको हक़ है मेरे लिखे हर शब्द पर एतराज़ ज़ाहिर करने का.....लेकिन व्यक्तिगत आक्षेप करने का बिलकुल नहीं....सो बेहतर होगा कि आप अपने एतराज़ ज़ाहिर करते हुए संतुलित शब्दों का प्रयोग करें अन्यथा मुझे ब्लाक करने में ज्यादा वक्त नहीं लगता........अब बात यह है कि आप मेरे बिना रह नहीं पाएंगे....आपको फिर से नया अवतार लेकर यानि नए  फेसबुकिया अकाउंट के साथ मुझ तक आना पड़ेगा...सो बेहतर है शुरू से ही साथ बने रहें बस थोड़ा सयंम बनाये रखें...हाँ जैसे वो कहते हैं न सवारी अपने सामान की खुद ज़िम्मेदार है....सो आप भी मेरे साथ सफर में अपने ख्यालात की सुरक्षा के लिए खुद ज़िम्मेदार हैं.

c) मुझे आप टैग कर सकते हैं, लेकिन मैंने सेटिंग कर रखी है, वो मैं तभी देखता हूँ यदि देखना चाहूं और ज़्यादातर मैं नही देखता. आप यदि कोई ख़ास विषय मुझे दिखाना चाहते हैं तो बेहतर है मेसेज कर दीजिये

d) मैं टैग करता हूँ, वो भी सॉफ्ट टैग, आपको बस एक Notification जायेगी, आपको अपनी Timeline पर  मेरा टैग कभी नहीं दिखेगा. यह सॉफ्ट टैगिंग भी मैं  ज़्यादातर चुने हुए मित्रों को ही करता हूँ , यदि आप कभी भी मेरे टैग से परेशान हों तो कृपया मेसेज करें, आइन्दा टैग नही होगा

e) मैं किसी के लिए उतरदायी नहीं तब तक नहीं जब तक मैंने किसी से उत्तर देने की कोई फीस नहीं ली.....पोस्ट करना एक स्वतंत्र अभिव्यक्ति है, समझ में आए, पसंद आए बढ़िया...वरना कमेंट करने वालों को किसी मुगालते में नहीं रहना चाहिए कि जवाब इसलिए नहीं दिया कि दिया नहीं जा सकता था. ...जवाब आपको इसलिए नहीं दिया कि आपके साथ समय लगाना उचित नहीं समझा गया, हाँ, यदि आपको फिर भी समय लेना ही हो तो फीस देकर ले सकते हैं....तब भी आपको जवाब जमेगा, नहीं जमेगा, इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं है
हिंदी को देवनागरी लिपि  में लिखें, अन्यथा यकीन जानिए आपके लेखन को मैं तो बहुत नहीं पढ़ पाऊंगा....हाँ, अंग्रेज़ी लिख सकते हैं लेकिन वो भी रोमन  में. दुरंगी, बदरंगी भाषा मुझे गवारा नहीं

f) मैं सबको एक बार तो आने देता हूँ लेकिन सब न मेरे काम के हैं, न मैं सबके काम का. सो जैसे मित्रगण आते हैं, वैसे ही बहुत से वापिस जाते हैं. तथागत. आपको मौका है, मुझे मौका है एक दूसरे का लेखन पढ़ सकें. एक तरफ़ा रिश्ता मैं अक्सर नहीं रखता. कुछ समय तक देखता हूँ, महीन दो महीना. यदि कोई मित्र फेसबुक पर होते हुए भी सदैव से मेरे प्रति निष्क्रिय हैं तो विदा कर देता हूँ

g) मैं ज्यादातर लोगों को ब्लाक करता हूँ न कि अमित्र. जो मेरे साथ रहते हुए साथ न रह पाए, क्या दिखानी उनको अपनी दुनिया? फेसबुक बड़ा डेमोक्रेटिक है.....सबको बराबर की आज़ादी है......ऐसी जैसी अभी वास्तविक दुनिया में सम्भव नहीं हो पायी....जो पसंद हो अपनी फसबूकिया लाइफ में रखो, जिसे चाहो निकाल दो.......बिंदास. क्या हम जीवन में भी लोग नहीं चुनते...क्या हरेक को मित्र मान लेते हैं...हरेक, जिससे एक बार हेल्लो हो गयी, मित्र हो गया? नहीं न.  यहाँ भी वही नियम है. जो ठीक लगे उन्हें ही साथ रखो....अरे फेसबुक पर यदि आपको किसी के विचार नहीं पसंद तो संवाद करो........लड़ने से क्या होगा, कौन सा कोई ज़बरदस्ती है किसी के साथ कि किसी का लिखा पढना ही होता है? हम सबका पाला पड़ता है फेसबुक पर ऐसे लोगों से जो बस परेशानी का सबब बनते हैं......बेस्ट है ब्लॉकिंग, खुल कर प्रयोग करो.....छुट्टी.  न रहेगा बांस न बजेगी बेसुरी, मतलब बांसुरी

h) उम्मीद है थोड़ा कहा, ज्यादा समझा जाएगा, अक्लमंद को इशारा ही काफी होता है, बेवकूफ के लिए धुनाई भी कम होती है और आप तो मेरे मित्र हैं, अक्लमंद होगें सब न कि मंद अक्ल वाले

(12) शब्द सम्भाल के लिखें, अन्यथा फेसबुक बड़ा समझदार है, कमेंट डिलीट करने का, अमित्र करने का, ब्लाक करने का अख्तियार उसने सबको दिया है .
क्या फायदा होगा इस तरह से?

मेहनत ज़ाया होगी ....पहले अपशब्द लिखने वाले की, फ़िर कमेंट डिलीट करने वाले के....
बेहतर हो प्रयास इस तरह से किये जाएँ कि कुछ सार्थक नतीजे आ पाएं
असहमति इस तरह से दर्ज करें कि वार्तालाप को गति मिले न कि इस तरह कि वार्तालाप या तो दिग्भ्रमित हो जाए या फ़िर बाधित.....
सप्रेम नमन

(13) संवाद करें, विवाद नहीं
अन्यथा
कोलाहल तो होगा, हल नहीं
हलाहल तो होगा, हल नहीं
बस हल्ला हल्ला होगा, पर कोई हल नहीं
सो
संवाद करें , विवाद नहीं

(14) फेसबुक पर मित्र जोड़ने का विकल्प सबसे बढ़िया है
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अगला बढ़िया विकल्प ब्लॉक करने का है

(15) !!!लेखन चोरी!!!

कृष्ण  माखन चोरी करते थे, फेसबुकिये  लेखन चोरी करते हैं.
अक्सर मेरे लेखन की चोरी तो मैंने पकड़ी ही है, उस के अलावा मैंने कई पोस्ट एक से अधिक लोगों के द्वारा प्रेषित देखी हैं ... फेसबुक पे लोग अक्सर दूसरों का लिखा चेप कर वाहवाही लूटने को बहादुरी समझते हैं....
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बहुत कम लोगों को समझ आता है " "Intellectual property Rights" ......समझायो तो उन्हें ऐसा लगता है जैसे उनका हक़ मार लिया किसी ने....हक़ चोरी का...हक़ सीना जोरी का

मैंने हमेशा लेखन चोरी का विरोध किया है, विभिन्न समयों पर मेरे लिखे कुछ नोट्स हैं, इक्कठे कर पेश कर रहा हूँ.कानूनी, गैर कानूनी जानकारी और राय दे रहा हूँ, स्वागत है ---

(16) वहां मौद्रिक चोरी करते हैं
यहाँ बौधिक चोरी करते हैं

न वहां साध है
न यहाँ साध है

वहां भी घाघ हैं
यहाँ भी घाघ हैं

दूसरों को अक्ल देते फिरते हैं,
खुद को अक्ल है नहीं

अक्ल तो नकली है ही,
शक्ल भी असली है नहीं

मूर्ख हैं और चोर हैं
बेईमान घनघोर हैं

चोरी, चोरी है
चाहे मौद्रिक हो, चाहे बौधिक
चोर, चोर है
चाहे मौद्रिक हो, चाहे बौधिक

बड़े मज़े से चोरी करते हैं
पकडे जाने पे सीना जोरी करते हैं

पर जान लें, ये दंडनीय अपराध हैं
ऐसे लोग भीतर से चोर, ऊपर से साध हैं

(17) वैसे जिनको  भी  कॉपी राईट पर बहुत एतराज़ है, उन्हें ऑस्कर वाइल्ड का Picture of Dorian Gray, मैक्सिम गोर्की का Mother, तुर्गनेव का Father and sons, शेक्सपियर का Macbeth, मुंशी प्रेम चंद का गोदान, अमृता प्रीतम का रसीदी टिकेट , Balwant Gargi का  Naked Triangle और खुशवंत सिंह, टॉलस्टॉय, आदि का लेखन हुबहू अपने नाम से प्रकाशित करवा लेना चाहिए
कॉपी राईट, यह क्या होता है?
हुंह!

(18) चोरी की पोस्ट से करप्शन दूर करने का सन्देश देने वालो तुम्हारी जय हो ..जी मैंने तुम्हारी क्षय हो नहीं लिखा है....जय हो लिखा है

(19) भारत जहाँ बैंक में पेन को धागे से बाँध कर रखना पड़ता है, जहाँ प्याऊ के लोटे पर चैन लगाने पड़ती है, जहाँ अपने हर लेख के साथ पाठकों को चोरी न करने के लिए आगाह करना पड़ता है, वहां भ्रष्टाचार मुक्त समाज की परिकल्पना को साकार करना असम्भव न हो चाहे लेकिन मुश्किल ज़रूर है

(20) फेसबुक पर जो लोग दूसरों का लिखा चुराना सही  समझते हैं, मेरे  तेरे  में यकीन   नहीं करते  उनको अपना अकाउंट नंबर देता हूँ अपना सारा धन मेरे अकाउंट में ट्रान्सफर कर दें......क्या मेरा तेरा, नहीं?

(21) ये जो लोग दूजों का लेखन चोरी करके विचार फैलाने का तर्क देते हैं, इन बेवकूफों को कोई समझाओ यारो कि शेयर का बटन भी देता है फेसबुक
ज़्यादा समझदार!
चवन्नी किलो भी नहीं बिकती ऐसी समझदारी

(22) क्या आपने नोट किया कि मित्र मंडली में पोस्ट चोर वो होते हैं, जो लगभग अदृश्य और निर्लेप रहते हैं आपके प्रति.............न कभी लाइक, न कभी डिसलाइक, न कभी कैसा भी कमेंट.......लेकिन ये चोट्टे, मन के खोटे.......अक्ल के अंधे, गंदे बंदे......आपका लेखन उड़ाने में सबसे आगे.......मेरी सबसे गुज़ारिश, जिस भी मित्र को ज़रा भी शंका हो कि लेखन चोरी का है.....तो यदि जानते हों तो ओरिजिनल लेखक को सूचित करें

जब मैं कोई बढ़िया सी पोस्ट एक से ज़्यादा मित्रों द्वारा अपने खाते में डाली गई देखता हूँ...तो सोचता हूँ, शायद कहीं किसी गरीब का दिल जला होगा..

खैर मैं तो तुरत नाम रोशन करने में यकीन रखता हूँ चोरों का........नहीं, मानते, मैं क्या करूं........फिर अंत में ब्लोकास्त्र

(23) पता नहीं भाई लोग चोरी क्यों करते हैं
अपुन तो अपने कमेंट में से स्टेटस बना लेते हैं
और अपने स्टेटस में से कमेंट

(24) अब पता लगा कहाँ से स्टेटस लाते हैं,
शक्ल से ही बाखुदा चोर नज़र आते हैं

(25) "स्टेटस चोरी"

पहली  बात --लेखन एक कला है, विज्ञान है.....हर कलाकार को, वैज्ञानिक को उसका श्रेय मिलना चाहिए, नाम दाम मिलना चाहिए .........कोई न लेना चाहे उसकी मर्ज़ी

दूसरी बात------जैसे ही व्यक्ति लिखता है, यदि सच में ही खुद का लिखा हो, तो पटल पर आते ही लेखन कॉपी राईट होता है......लेखन के लिए पेटेंट नहीं, कॉपी राईट कराया जाता है....पेटेंट, कॉपी राईट, ट्रेडमार्क आदि इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स माने जाते हैं, इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी को प्रॉपर्टी इसलिए कहा गया है कि इसे पैदा करने में समय लगता है, मेहनत लगती है.......इसे पैदा करने वाले से, यदि वो बेचना चाहे तो धन देकर खरीदा जा सकता.....यह  निजी सम्पति है, जिसे चुराना दंडनीय अपराध है, आपको नहीं यकीन, मेरा लेखन चोरी कीजिये, मुझे अपना एड्रेस दीजिये, आपको दो चार दिन में मेरा नोटिस मिलेगा, फिर चक्कर काटना कचहरी के.

तीसरा बात----- किसी की पोस्ट चोरी कर आप सिर्फ यह साबित करते हैं कि आप अक्ल से बाँझ है, नपुंसक है......और यदि आप चोरी के हिमायती हैं तो चोर तो हैं ही सीना जोर भी हैं....अजीब तर्क देते हैं..."क्या मेरा क्या तेरा"........इनको कहता हूँ कि अपनी प्रॉपर्टी मेरे नाम कर दो, "क्या मेरा क्या तेरा", फिर उस पॉइंट पर जवाब नहीं देते....इनको कहता हूँ कि आप अपने घर खुले छोड़ते होंगे शायद.....क्या मेरा क्या तेरा.......फिर उस पॉइंट पर जवाब नहीं देते

चौथी बात----यदि आप अच्छा लिखते हैं तो चोरी होती है, यह निश्चित है,  लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि चोर सही हैं, कोई भी लेखक यदि चाहे तो अपने कॉपी राईट अधिकार प्रयोग कर सकता है, यह कानूनी भी है और नैतिक भी है

पांचवी बात----- लोग शेक्सपियर को अपने नाम से क्यों नहीं छापते? चूँकि वो प्रसिद्ध है. सो बेहतर है कि अपना लेखन, फेसबुक के साथ साथ, E-mail पर डालें, ब्लॉग पर डालें अपनी वेबसाइट पर डालें, विभिन्न आर्टिकल साईट पर डालें, इसके मल्टीप्ल फायदे हैं, आपको बहुत लोग पढेंगे और जल्दी से चोरी की कोई हिम्मत ही नाही करेगा, और यदि करेगा भी तो झगड़े में आपका मुकाबला नहीं कर पायेगा

चोरी पकड़ने के लिए आप अपने लेखन के हिस्से सीधे गूगल कर सकते हैं.....खुली साईट पर गूगल वैसे ही पकड़ दिखा देगा...."गूगल अलर्ट" भी काम आ सकता है

और फेसबुक जैसी बंद साईट के अंदर भी विभिन्न अकाउंट बना आप अपने लेखन को इसी तरह पकड़ सकते हैं, वैसे  फेसबुक पागल नहीं है जो शेयर का आप्शन देता है, उसे  चोरी और शेयर  करने  का फर्क पता है .......और यदि आपका स्टेटस कोई चोरी करता है और कहने के बावजूद नहीं हटाता है तो आप फेसबुक को रिपोर्ट भी कर सकते हैं.........बहुत लोग फेस बुक पर होने का मतलब समझते हैं दूसरों का लेखन  चुरा कर  छापना, "कौन सा कोई देख रहा है",.....गलतफहमी में हैं.....अब शायद समझ में आये कि फेसबुक पर होने का मतलब यह नहीं है कि दूसरों के लेखन उठा उठा अपने नाम से छापते फिरो

कुल मतलब यह है कि यदि आप अच्छा लिखते हैं और नहीं चाहते कि आपका लेखन कोई चुराए तो यह आपका अधिकार है. जिसे आप थोड़ी जानकारी और प्रयासों से काफी कुछ सुरक्षित कर सकते हैं

आखिरी बात----- सब मित्रों के लिए, कुतर्क   मत कीजिये कि   चोरी  करके  आप   दूसरों  के अच्छे   विचारों   को फैलाने   का शुभ  काम कर रहे  हैं, नहीं , आप कोई शुभ  कार्य  नहीं कर रहे हैं, चोरी मत कीजिये, दूसरों  के अच्छे  विचारों  को फ़ैलाने  का सही  तरीका   चोरी नहीं, शेयर करना है, शेयर कीजिए और अपना लिखिए, जैसा भी. एक वक्त आएगा कि आप देखेंगे कि आप इतना कुछ लिख सकते हैं जिसके लिए एक जीवन कम है ......सो अपने आप को काहे क्षुद्र करते हैं, जब आप में रचनात्मकता का सागर हिलोरें मार रहा है ...




(26) हर दीवार पर ये नहीं लिखा होता कि यहाँ न मूतें , इसका मतलब ये नहीं कि आप वहां मूत सकते हैं, आपको आज़ादी है कि कमेंट करें , लेकिन ये आज़ादी नहीं कि कुछ भी बेतुका comment करें, लठ घुमाने की आज़ादी है सब को, लेकिन राह जाते लोगों को बिना मतलब चोट मारें, ये आज़ादी नहीं है ...


(27) वैसे कोई आयी डी फेक है, होने दो, हमें क्या फर्क पड़ता है?
और हम कहाँ खोज भी सकतें हैं कि फेक है कि नहीं , क्या चिंता करनी.?
फेक के पीछे भी कोई तो इंसान है ही, बस इतना काफी है.
मैं मात्र इतना ध्यान करता हूँ कि व्यक्ति व्यवहार कैसा कर रहा है ...कितनो को मैंने ब्लाक किया और कितनो ने ही मुझे , सब को सब नहीं जमते , कोई परेशानी नहीं ...ऐसा होना स्वाभाविक है ...


28) जो मित्र अपनी फोटो ये बड़ी बड़ी कर के किसी चौक चौराहे, या प्रदर्शनी या मार्किट आदि में लगी दिखाते हैं और साथ में दिखाते हैं कि मेरे और आपके जैसे लोग, छोटे मोटे लोग उनकी तस्वीर को निहार रहे हैं.....

इन्हें बस यही कहना है, "दिल के बहलाने को ग़ालिब ख्याल भी अच्छा नहीं है"


29) मैंने पढ़ा कहीं कि जैल सिंह, भारत के एक पूर्व राष्ट्रपति, अंग्रेज़ी नहीं समझते थे, सो उनकी अंग्रेज़ी

पंजाबी में लिखी रहती थी...देखिये यदि लिपि नहीं जानते तो बात ख़त्म हो गयी.......फिर तो जो लिपि जानते

हैं उसी में लिखेंगे...............ये पोस्ट तो मात्र उन्ही मित्रों के लिए है जो भाषा और लिपि दोनों जानते हैं पर फिर

भी जानकारी के अभाव में, या आलस्य की वजह से या कोई आर वजह से आज भी भाषा और लिपि का भेद

बनाये रखे हैं...उनको सुझाव है..बाकी मर्ज़ी तो सबकी अपनी है



30) "INTELLECTUAL PROPERTY LAWS, WHAT IS IT, WHEN HURT AND WHEN NOT"

Whatever you write, as you write you get the copy right.
Whatever you steal, as you steal, you are noway right.

The ones, who do not respect my copy right, I m NOT SORRY to say that I can not respect them, on this particular issue.

Simply I do not support copying other's writings or any thing, it is a theft on one's intellectual property.

You learn something from someone's writing, if it is somehow useful for you, that is great, all writing are for that purpose but it does not mean that U are allowed to copy paste other's words....

U can do it differently, use your wisdom, experience and re-write according to your understanding, that is okay.

Now, how much has been just copied or how much is re-used like a re-use of wheel in a car, that is a different story and that is why in the whole world court cases are fought over this issue.

And I am amazed, how difficult it is to make clear to my friends!

Patents, copy rights and trade marks are protected under intellectual property rights.

As a theft of any kinda physical property is considered a crime so is considered theft of intellectual property.

A few vital things are to be understood regarding these laws.

There is saying, "There is nothing new under the sun", which is right and but partially only.

Just take an example of a motor cycle, the technique of cycle, motor, wheel & iron casting etc is used in it, all already invented, still the appropriate use, aggregate of all these already invented things gives birth to a new thing, motor cycle, an invention.

Similarly, if you just copy paste something, without adding any value to the original text, you are infringing intellectual property law but if you give a twist to the original meaning, it is not a theft. An example, there is saying, beauty lies in the eyes of the beholder, then someone changed it as beauty lies in the eyes of the beer holder, see, the one, who twisted the first statement can not be called a thief, as the one has changed the whole concept.

Indian Flag and Flag of Congress party of India has much similarity but still as the central emblem is different, it is not considered intellectual property infringement.

So next time, my dear friends, if you steal or allege someone for stealing, kindly keep my words in mind.

Statutory Warning---- I am no advocate, kindly cross check my words.

COPY RIGHT MATTER/ SHARING IS ALLOWED/ STEALING IS AN OFFENCE

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