"बदमाश औरतें"

महिलाओं में एक अलग ही ब्रिगेड तैयार हो गयी है......बदमाश ब्रिगेड...जो बात बेबात आदमियों को गाली देती हैं, हाथ उठा देती हैं, थप्पड़, लात घूंसे जड़ देती हैं......और अक्सर आदमी बेचारा पिटता है, सरे राह.........

क्या है इन औरतों की शक्ति का राज़?....

इन्हें लगता है कि इनका औरत होना सबसे बड़ी शक्ति है....खास करके भीड़ में..........समाज का सामूहिक परसेप्शन बन चुका है कि आदमी शिकारी है और औरत शिकार, बेचारी अबला.....सो यह बेचारी अबला बस मौका देखते ही आदमी की इज्ज़त उतार देती है....इसे लगता है कि अव्वल तो आदमी उस पर वापिसी हाथ उठाने की हिम्मत ही नहीं करेगा और करेगा भी तो वो अपने कपड़े फाड़ लेंगी.......शोर मचा देंगी........बलात्कार का आरोप लगा देंगी..

इलाज़ क्या है.......इलाज एक तो यह है कि समाज में यह विचार प्रसारित किया जाए कि औरत मर्द किसी को भी एक दूजे के खिलाफ अत्याचार की छूट नहीं दी जा सकती

दूजा है ये जो बदमाश किस्म की औरतें हैं इनको जब भी सम्भव हो बाकायदा तरीके से धुना जाए.........लकड़ी को लकड़ी नहीं काटती...लेकिन लोहे को लोहा काटता है

यदि मर्द को औरत की इज्ज़त से खिलवाड़ करने का हक़ नहीं है तो औरत को कैसे है ?

कानून बिलकुल अपना काम करता है, लेकिन आप पर कोई जिस्मानी वार करे तो आप क्या करेंगे?....आत्म रक्षा आपका कानूनी हक़ है .........निश्चिंत रहें किसी के भी कपड़े फटे होने से साबित नहीं होता कि उसके साथ बलात्कार हुआ है .....इस तरह के आरोप केस के शुरू में ही धराशायी हो जायेंगे

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