मुझे ठीक से पता नहीं कि कविता किसे कहते हैं...जो मैंने लिखा वो कविता है, कवित्त है, तुकबंदी है, तुक्का बंदी है पता नहीं....बस हाज़िर है
(1) स्वागत मेरे लेखन में
मेरी दुनिया देखन में
कोई बिलबिला जाए
तो कोई पिलपिला जाए
कोई पीला हो
तो कोई लाल हो
कम ही को खुशी हो
ज़्यादा को मलाल हो
फिर भी आयें,आयें
शुरू है धायं धायं
(2) हर कोई चाहता है मुस्कराहटें सजाएं
सजाएँ, बिलकुल
बस किसी और के चेहरे से न चुराएं
(3) बस हम धरम हैं
और तुम भरम हो
(4) वैश्य वैश्या हैं
और वैश्या वैश्य है
लेकिन वो देविका है
समाज सेविका है
और वो मूषक हैं
समाज चूषक हैं
(5) मसला मसला है, मिसाल मिसाल
मिसाल मसला नहीं
और मसला मिसाल नहीं
मिसाल पकड़ लेते हैं, मसला छूट जाता है
जंग छिड़ जाती है, असल असला छूट जाता है
गवाह चुस्त, मुद्दई सुस्त
लफ्ज़ चुस्त, मुद्दा सुस्त
ख्यालों की भीड़ में, अलफ़ाज़ के झुण्ड में
लफ्ज़ हाथ आते हैं, मतलब छूट जाते हैं
कहानी हाथ आती है, मकसद छूट जाते हैं
और हम भूल ही जाते हैं कि
मसला मसला है, मिसाल मिसाल
मिसाल मसला नहीं
और मसला मिसाल नहीं
(6) सन्देश है पहाड़ों से
इंसान की जात को
समझो अपनी औकात को
दूर रखो हम से अपनी जमात को
कुछ न समझें हम तुम्हारी बिसात को
न समझोगे तो हटा दिए जाओगे
बेतहाशा मिटा दिए जाओगे
और कभी देना मत हमें दोष
तुम थे ताकत के नशे में मदहोश
हमने तो सिर्फ़ अपना अस्तित्व बचाया है
तुम मिट गए तो तुम्हारी ही माया है
तुम्हारी ही माया है, तुम्हारी ही माया है
(7) कुदरत की दहाड़ -----
प्यारी बहन, प्यारे मित्र, प्यारे भाई,
कुदरत हमारी है, अपनी है, नहीं पराई
और वो कोई हमारी तरह बेज़ार है
नहीं, बिलकुल नहीं, बहुत बहुत समझदार है.
क्यों गर्मी में पानी से भरे खरबूज तरबूज पैदा किये
क्यों सर्द जगहों पर गर्माहट से भरे अखरोट और मेवे दिए
क्यों पहाड़ उसने दुर्गम बनाये, क्यों मैदान आसान
मात्र इस लिए कि हम तुम दूर रखें अपना अहसान
क्यों नहीं समझे हम
क्यों नहीं समझे तुम
नदियाँ, पहाड़ , इसलिए नहीं कि
वहां मंदिरों के नाम पर भीड़ बढ़ायो , गन्दगी फैलायो
डायनामाइट लगा लगा कर पहाड़ों की जडें हिलाओ
जड़ें पहाड़ की नहीं, अपनी हिला रहे हैं
क़त्ल उसे ही करतें हैं, जिसका खा रहें हैं
क्यों नहीं समझे हम
क्यों नहीं समझे तुम
लाख दोष दो राजनेता को,
लाख गाली दो अभिनेता को,
दोषी तुम हो,
दोषी हम हैं,
धरती को माँ कहते ज़रूर हैं लेकिन हर पल उसका बलात्कार करतें हैं
उस पर एकाधिकार समझ कर अत्याचार करतें हैं
अपनी जन संख्या का वज़न बढ़ाये जातें हैं
उल्लू मर जातें हैं, औलादों को पहाड़ों पे चढ़ाये जातें हैं
कुदरत का थप्पड़ है ये अभी, न समझे तो कहर टूटेगा
विनाश जो 12 में होना था, वो 13 में, 14 में कभी भी टूटेगा
निकलो निकलो अपनी बेवकूफ़ी के जंगलों से बाहर और चढो चढ़ाई अक्ल के पहाड़ की
थोडा वक़्त है, थोड़ी ही तुम्हारी हमारी अक्ल, समझो चेतावनी क़ुदरत की दहाड़ की
(8) पहचान असली हीरो कौन है
यार मेरे थम तो
ले थोडा दम तो
पहचान असली हीरो कौन है
वो जो कुछ कुछ मौन है
जो न नेता है
न अभिनेता है
जो क्रिकेट नहीं खेलता
पर रोज़ दंड पेलता
वो जो पहाड़ धकेलता
उत्तराखंड को झेलता
वर्दी वाला देवता
छोटी पगार लेवता
बचाता रहा है तुम को
बचाता रहा है हम को
यार मेरे थम तो
ले थोडा दम तो
पहचान असली हीरो कौन है
वो जो कुछ कुछ मौन है
जो दिन रात लगाता है
भेद कुदरती सुलझाता है
सियासत पर भार बना
मज़हब का शिकार बना
कचहरी में उलझाया गया
जिंदा जलाया गया
जिसने बिजली दी, कार दी
नवजीवन की फ़ुहार दी
सुविधायों की बौछार दी
जीवन को नयी धार दी
यार मेरे थम तो
ले थोडा दम तो
पहचान असली हीरो कौन है
वो जो कुछ कुछ मौन है
जो पत्थर घढ़ता है
जो शब्द गढ़ता है
कथा कहानी कहता है
खोया खोया रहता है
मीठा तो कभी ख़ार है
वो ही कलाकार है
जो मूर्तिकार है
जो चित्रकार है
यार मेरे थम तो
ले थोडा दम तो
पहचान असली हीरो कौन है
वो जो कुछ कुछ मौन है
(9) "साहेब जी को प्रणाम"
हम ठहरे निपट आम लोग
बस निपटे निपटाए हुए लोग
हमें कहाँ समझ कि आप क्या डील कर रहे हैं
हमें तो बस लग रहा कि आप ढ़ील कर रहे हैं
शुरू में ही बता देते प्रभु, कि अगले दो चार साल तक
या कि आशा न रखी जाए अगले पांच साल तक
न रखते आशा
न होती निराशा
आपने कहा अच्छे दिन आने वाले हैं
हमें लगा बस आने ही वाले हैं
बस थोड़ा गलतफहमी हो गयी सरकार
करेंगे, साहेब, करेंगे, अगली बार, सुधार
अगली बार
कोई नई सरकार
(10) हम ने सर्द दिन बनाये और सर्द रातें बनाई
लेकिन तुम्हारे लिए नर्म नर्म धूपें भी खिलाई.....
जाओ, निकलो बाहर मकानों से......
जंग लड़ो दर्दों से, खांसी से और ज़ुकामों से
(11) मेरी बातों की कीमत, दोस्त लोग लाखों में आंकतें हैं
मगर एक बात का एक हज़ार भी मांगूं, तो बगलें झाँकतें हैं
(12) हम इस संसार में, मांगे सबकी खैर
सबसे अपनी दोस्ती, न काहू से बैर
(13) वो है रवि शंकर जी , श्री श्री रवि शंकर जी, तो मैं हूँ तुषार
वो हैं दो बार श्री श्री, तो मैं हूँ एक हज़ार बार, श्री तुषार
हा हा ............................
(14) प्रेम प्रेम सब कहें , जग में प्रेम न होए
ढाई आखर बुद्धि का, पढ़े तो शुभ शुभ होए
(15) बिन खुद की खुदाई, खुदा कहीं न मिलेगा
और खुदा मिले न मिले, जो मिलेगा वो खुदा होगा
(16) मुद्रा की राजनीती न करने वालो, जनता माफ़ नहीं करेगी
मुद्दों की मुर्दा राजनीति करने वालो, जनता माफ़ नहीं करेगी
मुर्दा मुद्दों की राजनीति करने वालो, जनता माफ़ नहीं करेगी
मुर्दों की राजनीति करने वालो, जनता माफ़ नहीं करेगी
मुद्दों की राजनीती न करने वालो, जनता माफ़ नहीं करेगी
(17) मेरी नन्ही बिटिया
तू बस सवा साल की है
तू मासूम है
तू ही तो प्रकृति है
तू है विशुद्ध जीवन
तू निपट प्रेम है
तू ही प्रभु है या फिर तुझे स्वयम्भू कहूं
तू कौन है
तू क्या है
तू कितनी अच्छी है
तू कितनी प्यारी है
तुझे कुदरत ने कितनी उम्मीदों से भेजा है
सोचता हूँ, मैं इस काबिल भी हूँ, तेरे काबिल भी हूँ
फिर सोचता हूँ, कुदरत ने भेजा है तो सोच कर ही भेजा होगा
तेरी किलकारियों के साथ ही घर जैसे रोशनी से भर जाता है
तेरे उठते ही जीवन जाग जाता है
तेरे सोते ही रात घिर आती है
मेरी नन्ही बिटिया
तू बस सवा साल की है
तू मासूम है
तू ही तो प्रकृति है
तू है विशुद्ध जीवन
तू निपट प्रेम है
(18) "Yours Truly.."
Hmm.....Others' Untruly
(19) Only Fire, no ashes
Sharp cuts, no rashes
(20) Teachers are cheaters
Leaders are dealers
Administrators are traitors
Great LIVES are great EVILS
PASSIONLESS COMPASSION-LESS
Priest and Pope
No Hope, No Hope
Parted North and South
Parted East and West
STILL ALL THE BEST
STILL ALL THE BEST
(21) Never give a shit
to the Holy shit.
And Lo,
the life is wiser,
the life is better.
(22) रॉंग या राईट
लेकिन है कॉपी राईट
नमस्कार
कॉस्मिक तुषार
(1) स्वागत मेरे लेखन में
मेरी दुनिया देखन में
कोई बिलबिला जाए
तो कोई पिलपिला जाए
कोई पीला हो
तो कोई लाल हो
कम ही को खुशी हो
ज़्यादा को मलाल हो
फिर भी आयें,आयें
शुरू है धायं धायं
(2) हर कोई चाहता है मुस्कराहटें सजाएं
सजाएँ, बिलकुल
बस किसी और के चेहरे से न चुराएं
(3) बस हम धरम हैं
और तुम भरम हो
(4) वैश्य वैश्या हैं
और वैश्या वैश्य है
लेकिन वो देविका है
समाज सेविका है
और वो मूषक हैं
समाज चूषक हैं
(5) मसला मसला है, मिसाल मिसाल
मिसाल मसला नहीं
और मसला मिसाल नहीं
मिसाल पकड़ लेते हैं, मसला छूट जाता है
जंग छिड़ जाती है, असल असला छूट जाता है
गवाह चुस्त, मुद्दई सुस्त
लफ्ज़ चुस्त, मुद्दा सुस्त
ख्यालों की भीड़ में, अलफ़ाज़ के झुण्ड में
लफ्ज़ हाथ आते हैं, मतलब छूट जाते हैं
कहानी हाथ आती है, मकसद छूट जाते हैं
और हम भूल ही जाते हैं कि
मसला मसला है, मिसाल मिसाल
मिसाल मसला नहीं
और मसला मिसाल नहीं
(6) सन्देश है पहाड़ों से
इंसान की जात को
समझो अपनी औकात को
दूर रखो हम से अपनी जमात को
कुछ न समझें हम तुम्हारी बिसात को
न समझोगे तो हटा दिए जाओगे
बेतहाशा मिटा दिए जाओगे
और कभी देना मत हमें दोष
तुम थे ताकत के नशे में मदहोश
हमने तो सिर्फ़ अपना अस्तित्व बचाया है
तुम मिट गए तो तुम्हारी ही माया है
तुम्हारी ही माया है, तुम्हारी ही माया है
(7) कुदरत की दहाड़ -----
प्यारी बहन, प्यारे मित्र, प्यारे भाई,
कुदरत हमारी है, अपनी है, नहीं पराई
और वो कोई हमारी तरह बेज़ार है
नहीं, बिलकुल नहीं, बहुत बहुत समझदार है.
क्यों गर्मी में पानी से भरे खरबूज तरबूज पैदा किये
क्यों सर्द जगहों पर गर्माहट से भरे अखरोट और मेवे दिए
क्यों पहाड़ उसने दुर्गम बनाये, क्यों मैदान आसान
मात्र इस लिए कि हम तुम दूर रखें अपना अहसान
क्यों नहीं समझे हम
क्यों नहीं समझे तुम
नदियाँ, पहाड़ , इसलिए नहीं कि
वहां मंदिरों के नाम पर भीड़ बढ़ायो , गन्दगी फैलायो
डायनामाइट लगा लगा कर पहाड़ों की जडें हिलाओ
जड़ें पहाड़ की नहीं, अपनी हिला रहे हैं
क़त्ल उसे ही करतें हैं, जिसका खा रहें हैं
क्यों नहीं समझे हम
क्यों नहीं समझे तुम
लाख दोष दो राजनेता को,
लाख गाली दो अभिनेता को,
दोषी तुम हो,
दोषी हम हैं,
धरती को माँ कहते ज़रूर हैं लेकिन हर पल उसका बलात्कार करतें हैं
उस पर एकाधिकार समझ कर अत्याचार करतें हैं
अपनी जन संख्या का वज़न बढ़ाये जातें हैं
उल्लू मर जातें हैं, औलादों को पहाड़ों पे चढ़ाये जातें हैं
कुदरत का थप्पड़ है ये अभी, न समझे तो कहर टूटेगा
विनाश जो 12 में होना था, वो 13 में, 14 में कभी भी टूटेगा
निकलो निकलो अपनी बेवकूफ़ी के जंगलों से बाहर और चढो चढ़ाई अक्ल के पहाड़ की
थोडा वक़्त है, थोड़ी ही तुम्हारी हमारी अक्ल, समझो चेतावनी क़ुदरत की दहाड़ की
(8) पहचान असली हीरो कौन है
यार मेरे थम तो
ले थोडा दम तो
पहचान असली हीरो कौन है
वो जो कुछ कुछ मौन है
जो न नेता है
न अभिनेता है
जो क्रिकेट नहीं खेलता
पर रोज़ दंड पेलता
वो जो पहाड़ धकेलता
उत्तराखंड को झेलता
वर्दी वाला देवता
छोटी पगार लेवता
बचाता रहा है तुम को
बचाता रहा है हम को
यार मेरे थम तो
ले थोडा दम तो
पहचान असली हीरो कौन है
वो जो कुछ कुछ मौन है
जो दिन रात लगाता है
भेद कुदरती सुलझाता है
सियासत पर भार बना
मज़हब का शिकार बना
कचहरी में उलझाया गया
जिंदा जलाया गया
जिसने बिजली दी, कार दी
नवजीवन की फ़ुहार दी
सुविधायों की बौछार दी
जीवन को नयी धार दी
यार मेरे थम तो
ले थोडा दम तो
पहचान असली हीरो कौन है
वो जो कुछ कुछ मौन है
जो पत्थर घढ़ता है
जो शब्द गढ़ता है
कथा कहानी कहता है
खोया खोया रहता है
मीठा तो कभी ख़ार है
वो ही कलाकार है
जो मूर्तिकार है
जो चित्रकार है
यार मेरे थम तो
ले थोडा दम तो
पहचान असली हीरो कौन है
वो जो कुछ कुछ मौन है
(9) "साहेब जी को प्रणाम"
हम ठहरे निपट आम लोग
बस निपटे निपटाए हुए लोग
हमें कहाँ समझ कि आप क्या डील कर रहे हैं
हमें तो बस लग रहा कि आप ढ़ील कर रहे हैं
शुरू में ही बता देते प्रभु, कि अगले दो चार साल तक
या कि आशा न रखी जाए अगले पांच साल तक
न रखते आशा
न होती निराशा
आपने कहा अच्छे दिन आने वाले हैं
हमें लगा बस आने ही वाले हैं
बस थोड़ा गलतफहमी हो गयी सरकार
करेंगे, साहेब, करेंगे, अगली बार, सुधार
अगली बार
कोई नई सरकार
(10) हम ने सर्द दिन बनाये और सर्द रातें बनाई
लेकिन तुम्हारे लिए नर्म नर्म धूपें भी खिलाई.....
जाओ, निकलो बाहर मकानों से......
जंग लड़ो दर्दों से, खांसी से और ज़ुकामों से
(11) मेरी बातों की कीमत, दोस्त लोग लाखों में आंकतें हैं
मगर एक बात का एक हज़ार भी मांगूं, तो बगलें झाँकतें हैं
(12) हम इस संसार में, मांगे सबकी खैर
सबसे अपनी दोस्ती, न काहू से बैर
(13) वो है रवि शंकर जी , श्री श्री रवि शंकर जी, तो मैं हूँ तुषार
वो हैं दो बार श्री श्री, तो मैं हूँ एक हज़ार बार, श्री तुषार
हा हा ............................
(14) प्रेम प्रेम सब कहें , जग में प्रेम न होए
ढाई आखर बुद्धि का, पढ़े तो शुभ शुभ होए
(15) बिन खुद की खुदाई, खुदा कहीं न मिलेगा
और खुदा मिले न मिले, जो मिलेगा वो खुदा होगा
(16) मुद्रा की राजनीती न करने वालो, जनता माफ़ नहीं करेगी
मुद्दों की मुर्दा राजनीति करने वालो, जनता माफ़ नहीं करेगी
मुर्दा मुद्दों की राजनीति करने वालो, जनता माफ़ नहीं करेगी
मुर्दों की राजनीति करने वालो, जनता माफ़ नहीं करेगी
मुद्दों की राजनीती न करने वालो, जनता माफ़ नहीं करेगी
(17) मेरी नन्ही बिटिया
तू बस सवा साल की है
तू मासूम है
तू ही तो प्रकृति है
तू है विशुद्ध जीवन
तू निपट प्रेम है
तू ही प्रभु है या फिर तुझे स्वयम्भू कहूं
तू कौन है
तू क्या है
तू कितनी अच्छी है
तू कितनी प्यारी है
तुझे कुदरत ने कितनी उम्मीदों से भेजा है
सोचता हूँ, मैं इस काबिल भी हूँ, तेरे काबिल भी हूँ
फिर सोचता हूँ, कुदरत ने भेजा है तो सोच कर ही भेजा होगा
तेरी किलकारियों के साथ ही घर जैसे रोशनी से भर जाता है
तेरे उठते ही जीवन जाग जाता है
तेरे सोते ही रात घिर आती है
मेरी नन्ही बिटिया
तू बस सवा साल की है
तू मासूम है
तू ही तो प्रकृति है
तू है विशुद्ध जीवन
तू निपट प्रेम है
(18) "Yours Truly.."
Hmm.....Others' Untruly
(19) Only Fire, no ashes
Sharp cuts, no rashes
(20) Teachers are cheaters
Leaders are dealers
Administrators are traitors
Great LIVES are great EVILS
PASSIONLESS COMPASSION-LESS
Priest and Pope
No Hope, No Hope
Parted North and South
Parted East and West
STILL ALL THE BEST
STILL ALL THE BEST
(21) Never give a shit
to the Holy shit.
And Lo,
the life is wiser,
the life is better.
(22) रॉंग या राईट
लेकिन है कॉपी राईट
नमस्कार
कॉस्मिक तुषार
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