हिंदी में पीछे एक से एक घटिया फिल्म बनी हैं.

हिंदी में पीछे एक से एक घटिया फिल्म बनी हैं. घिसी-पिटी कहानियाँ. रेप. मर्डर. सेक्स. भद्दे बेसुरे गाने. बस यही कुछ परोसा है ज्यादातर इन फिल्मों ने. पूछो तो बतायेंगे कि पुब्लिक डिमांड है ये सब. फुद्दू हैं ये फ़िल्मी लोग. इन की अक्लें ठस्स हैं. YouTube पर लाखों-करोड़ों views होते हैं आम लोगों के वीडियो पर. क्यों? चूँकि दुनिया अच्छा कंटेंट देखना-सुनना चाहती है. और इन चूतियों को लगता है कि कचरा ही परोसो. बंद करो देखना ताकि इन की अक्ल ठिकाने आये. ~तुषार कॉस्मिक

Comments

Popular posts from this blog

Osho on Islam

RAMAYAN ~A CRITICAL EYEVIEW