कानून और हम
वकील नहीं हूँ. प्रॉपर्टी बिज़नस का छोटा सा कारिन्दा हूँ. वक्त-हालात ने कोर्टों के चक्कर लगवाने थे-लगवा दिए. शुरू में बड़ी मुसीबत लगती थी, अब खेल जैसा लगता है. बहुत कुछ सिखा गया ज़िन्दगी का यह टुकड़ा. ब्लेस्सिंग इन डिस्गाइज़ (Blessing in Disguise)...यानि छुपा हुआ वरदान. कानून व्यवस्था कैसे बेहतर हो-फायदेमंद हो - व्यक्ति और समाज दोनों के लिए? यही विषय है यहाँ .....तो चलिए मेरे साथ ....... 1) अगर आपके पास प्रॉपर्टी है तो 'रजिस्टर्ड वसीयत' ज़रूर करें अन्यथा बाद आपके लोग उस प्रॉपर्टी के लिए दशकों कोर्टों में लड़ते रहेंगे. और हो सके तो प्रॉपर्टी का विभाजन भी कर दें, मतलब किसको कौन सा फ्लोर मिलेगा, कौन सी दूकान मिलेगी, ज़मीन का कौन सा टुकड़ा मिलेगा. यकीन जानें, लाखों झगड़े सिर्फ इस वजह से हैं कोर्टों में चूँकि प्रॉपर्टी छोड़ने वाले ने यह सब तय नहीं किया. Partition Suit कहते हैं इनको. दशकों लटकते हैं ये भी. 2) कोर्ट में जो भी डॉक्यूमेंट दाखिल किये जाते हैं, वो एफिडेविट यानि हल्फिया-बयान यानि शपथ-पत्र के अतंर्गत दिए जाते हैं. इसे ओथ कमिश्नर से attest करवाने के बाद दाखिल किया जा...