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Showing posts from October, 2021

जिहाद - मुसलमानी तर्क

मुसलमान जब काफिर को मारते हैं तो यह इन का दीन है, लेकिन जब काफिर उन को मारता है तो यह अत्याचार है. घोर अत्याचार. यही अत्याचार है, जो इन को जिहाद के पथ पर आगे, और आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है.

महान भारतीय !

1) भारतीय विश्व-गुरु का जीवन बस अपनी शादी और फिर अपने बच्चों की शादी में ही उलझा रहता है. इन चूतियों से बात कर के देखो. इन को दुनिया के हर विषय के बारे में सब पता होता है. न भी पता हो, लेकिन ये ही दर्शाएंगे कि इन को सब पता है. असल में इन को घण्टा कुछ पता नहीं होता.  न इन्होंने कोई ज्ञान विज्ञान पैदा किया न करेंगे. ये तो विज्ञान-प्रदत्त सुविधा खरीदने-भोगने को ही बुध्दि का प्रमाण मानते हैं. धरती के बोझ.  2) भारतीय बुद्धू से बात करो.   ये ऋषियों मुनियों की संतान हैं. परम-पावन-भूमि भारत माता की संतान. सन्तों-सिद्धों-बुद्धों की भूमि भारत-माता की सन्तान. कला, दर्शन-शास्त्र, ज्ञान-विज्ञान की भूमि भारत माता की सन्तान. अध्यात्मवादी. इन को भौतिकवाद से, पदार्थवाद से क्या मतलब? ये गुरु हैं. विश्व गुरु. गुरु घण्टाल.  अब इन के जीवन देखो. सिवा सेक्स की भुखमरी के कुछ नज़र नहीं आएगा.  इन का गीत, संगीत, फिल्में, कहानियां, प्रेम, नफरत,  सब सेक्स के गिर्द घूमता है. चूतिये.  3) भारतीय अपने मुल्क को बहुत प्रेम करते हैं. क्यों न करेंगे? महान भारत भूमि. महान भारतीय! चूतिय...

Dirty Old Men

मैं सुबह-सवेरे पश्चिम विहार, दिल्ली के डिस्ट्रिक्ट पार्क में होता हूँ. भयंकर व्यायाम. युवक, युवतियां, और बुड्ढ़े सब होते हैं. जवान अधिकांशतः एक्सरसाइज में व्यस्त होते हैं. बुड्ढ़े. इन को पंजाबी में 'सयाने' कहा जाता है. लेकिन यकीन जानिये एक भी सयानी बात नहीं कर रहे होते. घूम-फिर के इन की बातें सेक्स पर आ जाती हैं. खिसियाने मज़ाक. घटिया चुटकले. जिन पर हँसी भी न आये. लेकिन ये खिलखिलायेंगे. क्या सीखा इन्होने ज़िंदगी में? इन की जिंदगियों में कोई लालित्य, कोई सौन्दर्य, कोई फलसफ़ा, कोई साहित्यकता, कोई वैज्ञानिकता मुझे नज़र नहीं आती. नज़र आता है तो खोया सेक्स. और उस का अफ़सोस. बस किसी तरह ये सेक्स करने के लायक दुबारा हो जाएँ तो इन के पौ बारह. इडियट्स. इसीलिए अंग्रेजी में इन्हें "Dirty Old men" कहा जाता है.

अदालती सुधार

जज को फैसला करने पे पैसे दें और यदि उसका फैसला अगली अदालत बदल देती है तो पैसे वापिस ले लें, सब ठीक हो जाएगा. और सैलरी बंद कर दें. जब सैलरी की जगह फैसले और सही फैसले पर पैसे दिए जाएंगे तो दशकों के काम महीनों में होगा.

इस्लाम-मुसलमान-हिन्दू-तुम-मैं-हम सब

मुस्लिम से कोई संवाद न करें इस्लाम पर. आलोचना बरदाश्त ही नहीं इस्लाम में फिर क्यों सवाल उठाने मुस्लिम के आगे? इस्लाम, कुरान, मोहम्मद आलोचना से परे हैं एक मुस्लिम के लिए. कुरान इन के लिए इलाही किताब है, आसमानी फरमान, डायरेक्ट अल्लाह से उतरा हुआ. मोहम्मद अल्लाह के आखिरी मैसेंजर हैं, इन के बाद कोई और दूजा मैसेंजर अब आ ही नहीं सकता. अल्लाह ने मैसेंजर भेजने बंद कर दिए इन के बाद. और अल्लाह का मेसेज क्या है? वो है कुरान, जिस के इतर आप बोलना दूर, सोच तक नहीं सकते. गुड. लेकिन इसी वजह से मैं मुस्लिम से बहस करने को मना करता हूँ. कोई फायदा ही नहीं. जो भी विचार, जो भी व्यक्ति आलोचना से परे हो, वो मेरी नजर में इंसानियत के लिए खतरनाक है, नुक्सानदायक है. बहस होगी तो असहमति भी होगी, आलोचना भी होगी, निंदा भी होगी. स्वीकार है इस्लाम को, मुस्लिम को यह सब? नहीं है स्वीकार. तो फिर ठीक है भैया, हमें भी तुम से बहस करना स्वीकार नहीं. हम सिर्फ गैर-मुस्लिम को आगाह कर सकते हैं. दुनिया के हर गैर-मुस्लिम को इस्लाम के प्रति आगाह कीजिये. शिद्दत से कीजिये. बिना गाली-गलौच के कीजिये. तर्क से कीजिये. फैक्ट से कीजिये. मुस...