चंद सेकंड और साबित करूंगा हनुमान काल्पनिक हैं. क्या कोई वानर बोल सकता है? क्या कोई वानर हवा में उड़ सकता है? क्या कोई वानर पहाड़ उठा के उड़ सकता है? क्या कोई वानर सूरज तक पहुँच सकता है? क्या कोइ भी प्राणी सूरज तक जा सकता है? क्या कोई वानर छाती चीर कर किसी का भी चित्र दिखा सकता है? लेकिन ऐसी तमाम बातें हनुमान करते हैं? और हाँ, जो उन्हें बंदर नहीं समझते, उन के लिए मेरा तर्क है कि फिर उन का चेहरा बंदर जैसा क्यों है, पूँछ क्यों है? और डार्विन की "थ्योरी ऑफ़ एवोलूशन" में उन के जैसे वानरों का ज़िक्र क्यों नहीं है? अब यार या तो हम अपने बच्चों को डार्विन पढ़ा लें या फिर हनुमान चालीसा. दोनों पढ़ाना तो हम नहीं कर सकते.
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