आरक्षण पर ओशो से मेरा मत विरोध
प्रस्तुत लेख में मैं आरक्षण के विषय में उनके और फिर बाद में अपने ख्यालात पेश कर रहा हूँ.....ओशो आरक्षण का समर्थन करते हैं और मैं विरोध...पढ़िए, आशा है अच्छा लगेगा----- "ओशो की दृष्टि में आरक्षण" यही ब्राह्मण.... इस देश में, इस देश की बड़ी से बड़ी संख्या शूद्रों को सता रहे हैं, सदियों से........... ये कैसे शान्त लोग हैं?........ और अभी भी इनका दिल नहीं भरा, अभी भी वही उपद्रव जारी है....... अभी सारे देश में आग फैलती जाती है.... और गुजरात से क्यों शुरू होती है आग?...... पहले भी गुजरात से शुरू हुई थी, तब ये जनता के बुद्धू सिर पर आ गये थे, अब फिर गुजरात से शुरू हुई है.... गुजरात से शुरू होने का कारण साफ़ है..... ये ‘’महात्मा गाँधी’’ के शिक्षण का परिणाम है, वे दमन सिखा गये हैं, और सबसे ज्यादा गुजरात ने उनको माना है, क्यों कि गुजरात के अहंकार को बड़ी तृप्ति मिली है, की गुजरात का बेटा और पूरे भारत का बाप हो गया..... अब और क्या चाहिए? गुजराती का दिल बहुत खुश हुआ, उसने जल्दी से खादी पहन ली. मगर खादी के भीतर तो वही आदमी है जो पहले था, महात्मा गाँधी के भीतर खुद वही आदमी था जो पहले था, उस...