"ओवेसी"

जब भी बड़े वाले से छोटे ओवेसी के हिन्दुओं को 15 मिनट में मारने के बोल बच्चन के बारे में पूछा गया तो इसने कहा कि कानून अपना काम कर रहा है...मामला अदालत में है, मेरा टिप्पणी करना सही नहीं....

अब यह होता है बकवास जवाब.

इससे किसी ने यह नहीं पूछा पलट कर कि किस किताब में लिखा है कि आप अदालत में चलते मामले पर टिप्पणी नहीं कर सकते.....तेरी पर्सनल राय पूछी है, वो बता....बता कि सहमत कि असहमत......

और असहमत तो फिर तूने अपने भाई के बोल बच्चन के खिलाफ आज तक कोई पब्लिक ब्यान क्यूँ नहीं दिया?

और सहमत तो फिर तुझ में और तेरे भाई में क्या फर्क?

और तेरा अपने भाई के ब्यान का खंडन न करना क्या यह साबित नहीं करता कि तू अपने भाई से सहमत है?.

और फिर तेरे जैसों को भारत में रहने का क्या हक़?

या फिर यह कहता है कि मुझ से छोटे वाले के किसी ब्यान के लिए क्यूँ पूछते हों, उसी से पूछो....अरे भाई, क्यूँ नहीं पूछें? आप बाबरी मस्ज़िद तोड़ने वालों के लिए अपनी राय ज़ाहिर करते हो न? तो फिर हिन्दुओं को पन्द्रह मिनट में मारने वालों के लिए अपनी राय क्यूँ नहीं रखते? इसलिए कि वो आपका सगा भाई है, आपकी पार्टी का मेंबर है. इसलिए कि हाँ या न दोनों करना, आपको मुश्किल में डाल देगा?

एक इंटरव्यू में इसने यह कहा कि इस्लाम की मान्यता है कि हर बच्चा मुसलमान पैदा होता है.....और इसे हक़ है  संविधान की तरफ से कि यह अपने धर्म को फैलाए.....

 बच्चा सिर्फ बच्चा होता है, इस्लाम के कहने से वो मुस्लिम नहीं हो जाता और न हिन्दू के कहने से हिन्दू, अक्ल में नही घुसती क्या? 

संविधान यह भी कहता है कि वैज्ञानिक विचारधारा का प्रसारण करो और विज्ञान कोई भौतिकी या रसायन विज्ञान ही नहीं होता, ढंग की बात, तार्किक बात भी विज्ञान होता है. पूछिए इससे क्या तर्क है, हर बच्चे को मुस्लिम मानने के पीछे, सिवा इसके कि इस्लाम मानता है ऐसा.

छोटे ओवेसी को कहते सुना......मोदी के जीवन से 2002 निकाल दो, मुस्लिमों का कत्ल निकाल दो तो कुछ भी नहीं बचेगा....क्या है उसके पास? कौन है वो? कोई कलाकार है, कोई साइंस-दान है? क्या बहुत बड़ा शिक्षक हैं? क्या खासियत है उसके पास? (शब्द थोड़े अलग हो सकते हैं).
बात तो बिलकुल सही है.
मैं सहमत हूँ ..अक्ल की बात है....गहरी बात है.
अब मैं यह भी सोच रहा हूँ कि इस ओवेसी के पास क्या है? यदि यह भभकियां न मारता कि पन्द्रह मिनट के लिए पुलिस हटा लो तो मुस्लिम हिन्दुओं को कत्ल कर देंगे....क्या है इसके पास?

मैं देख रहा था कि ओवेसी पार्लियामेंट में हिन्दुओं के किसी उत्सव के लिए छुट्टी की मांग कर रहा था, जैसे ईद पर होती है......बकवास. इस तरह की छुट्टियाँ ईद पर भी बंद होनी चाहिए, क्रिसमस पर भी और दशहरे पर भी.

यदि मेरी याददाश्त सही है तो बिहार इलेक्शन के नतीजों से पहले एक टीवी प्रोग्राम में एक दर्शकों में से एक लड़के ने बड़े ओवेसी को यह कह भर दिया कि आपकी कोई सीट तो आयेगी नहीं वहां.......

अब आगे तो बस ओवैसी जी महाराज चिढ़ गए, बोले, "तुम्हे इल्मे-गैब (अनदेखे का ज्ञान) भी आता है क्या? बैठ जाइये, बैठ जाइए.” 

खैर, बाद में नतीजा वही आया जो वो लड़का कह रहा था.
बेहतर होता कि ओवैसी उस लड़के से उसके विश्लेषण का आधार पूछता और फिर अपने विश्लेषण का आधार बताता लेकिन ओवैसी के पास कोई आधार होगा ही नहीं, सो इस तरह से बात को मोड़ दिया.

सुब्रमनियम स्वामी और ओवासी की एक टीवी बहस हुई “आज तक” पर कोई दो तीन दिन पहले. प्रोग्राम का नाम था "टक्कर". उस बहस में कुछ  बिन्दुओं पर मेरी राय.

ओवेसी कहता है कि यदि मुसलमानों के अत्याचार की भरपाई की बात करते हैं तो हिन्दुओं ने बौधों के साथ जो किया, क्या उस अत्याचार  की भी भरपाई होगी?....बिलकुल होगी भाई, बल्कि हो चुकी है.....आज आपको बौध मंदिर भी मिलते हैं और जैन मंदिर भी...मैं दिल्ली, पश्चिम विहार में हूँ, मेरे इर्द गिर्द जैन मंदिर भी है और बौध मंदिर भी. भारत ने तिब्बिती बौधों को संरक्षण दिया कि नहीं? हिमाचल में ‘धर्मशाला’ में जाओ, बिलकुल बौध मुल्क जैसा लगता है. दिल्ली में मजनू का टीला क्या है? देख है क्या? बौद्ध की दुनिया है.

‘रूल ऑफ़ लॉ’ की बात करता है ओवेसी.....वैरी गुड. कमलेश तिवारी बंद हैं न रूल ऑफ़ लॉ के मुताबिक, फिर मुस्लिम पूरे मुल्क में क्या करते फिर रहे हैं? क्यूँ उसकी गर्दन  मांग रहे हैं? यहाँ कोई ईशनिंदा जैसा कानून नहीं है न. फिर काहे थाणे और कारें, बसें फूंकते फिर रहे हैं? 51 लाख रुपये का इनाम रखने वाला कमलेश तिवारी की गर्दन काटने वाले के लिए, वो मुल्ला बंद हुआ कि नहीं? 

एक और विडियो में एक मुल्ला साफ़ कहता है कि हम अमन-पसंद कौम नहीं हैं. हम मुजाहिद हैं और मुजाहिद रहेंगे. वो साफ़ धमकी देता है कि जिस दिन मुसलमान भडक गए और दिल्ली कूच कर गए तो न पार्लियामेंट रहेगी और न कोई नेता. वो गिरफ्तार हुआ क्या? 

एक और विडियो में एक मुस्लिम नेता पुलिस वाले को एक बाइक सवार का चालान इसलिए नहीं करने देता चूँकि वो बाइक वाला मुसलमान है. यह है रूल ऑफ़ लॉ. दिखा क्या ओवेसी को? आज़म खान आरएसएस वालों को ‘गे’ बोले, उसका विरोध किया ओवेसी ने? शुरुआत किसने की यह ‘गे-गे’ वाले खेल की? रूल ऑफ़ लॉ?

उसी बहस में ओवैसी कहता है कि वो भारत का बेटा है, उसका क्या लेना-देना कि सऊदी में या किसी भी और इस्लामी मुल्क में क्या हुआ? मतलब विदेश में मस्ज़िद तोडी गयी, उसकी जगह कुछ और बनाया गया या नहीं, उससे उसका क्या मतलब. वैरी गुड. अगर ऐसा है तो हज करने क्यूँ मक्का जाते हो भाई? यहीं भारत में कर लो न हज. असल बात यह है कि इस्लाम कोई भारत तक ही सीमित नहीं है. और कुरान एक है. इस्लाम एक है तो फिर उसकी मान्यताएं क्या भारत के लिए अलग होंगी? अगर बाहर कोई मस्ज़िद मुसलमान खुद तोड़ सकते हैं तो फिर भारत में क्यूँ नहीं?

बार-बार बड़े ओवासी ने कहा कि मुल्क के आगे मंदिर मुद्दा नहीं है, विकास है...बढ़िया. तो जब खुद बाबरी मस्ज़िद पर बोलते रहे, तब क्या मुद्दा था? जब खुद गौ माता है या नहीं, उस पर बोलते रहे तब क्या मुद्दा था?

और बहुत बात करते हैं बाबरी और उसके बाद पर ये ओवेसी बंधु.....एक्शन के रिएक्शन की बात ..... अगर यही बात है तो मुसलमानों ने जो मंदिर तोड़े थे उसका कर्जा कौन उतारेगा? बेहतर था कि अयोध्या, काशी, मथुरा आदि की मस्जिदें खुद दे देते हिन्दुओं को...हिन्दू तुम्हें सर आँख पर बिठाते......न कोई एक्शन होता आगे और न ही रिएक्शन...लेकिन तुम जैसे मिले हैं मुसलमानों को जो आज भी औरंगज़ेब को हीरो मानने पर तुले हैं, वो औरंगज़ेब जिसने सरे-आम सिक्ख गुरु और उनके शिष्यों को शहीद किया.

तारक फतह ने बार बार कहा है कि मुझे भारत की नागरिकता दे दो, ओवेसी और जाकिर नायक जैसे लोगों की छुट्टी कर दूंगा. बता दूं कि तारक फतेह मुसलमान हैं, अंतर-राष्ट्रीय स्तर के लेखक हैं, पाकिस्तान में पैदा हुए, कनाडा वासी हैं और  भारत में बसना चाहते हैं.

Copy Right Matter/ Tushar Cosmic/ Namskaar

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