Thoughts, not bound by state or country, not bound by any religious or social conditioning. Logical. Rational. Scientific. Cosmic. Cosmic Thoughts. All Fire, not ashes. Take care, may cause smashes.
Wednesday, 5 March 2025
Friday, 7 February 2025
Wednesday, 5 February 2025
Saturday, 11 January 2025
काल्पनिक हैं हनुमान? #shortsfeed #shorts #viralshorts #tusharcosmic
चंद सेकंड और साबित करूंगा हनुमान काल्पनिक हैं. क्या कोई वानर बोल सकता है? क्या कोई वानर हवा में उड़ सकता है? क्या कोई वानर पहाड़ उठा के उड़ सकता है? क्या कोई वानर सूरज तक पहुँच सकता है? क्या कोइ भी प्राणी सूरज तक जा सकता है? क्या कोई वानर छाती चीर कर किसी का भी चित्र दिखा सकता है? लेकिन ऐसी तमाम बातें हनुमान करते हैं? और हाँ, जो उन्हें बंदर नहीं समझते, उन के लिए मेरा तर्क है कि फिर उन का चेहरा बंदर जैसा क्यों है, पूँछ क्यों है? और डार्विन की "थ्योरी ऑफ़ एवोलूशन" में उन के जैसे वानरों का ज़िक्र क्यों नहीं है? अब यार या तो हम अपने बच्चों को डार्विन पढ़ा लें या फिर हनुमान चालीसा. दोनों पढ़ाना तो हम नहीं कर सकते.
कृष्ण पूजनीय नहीं हैं, आदर्श नहीं हैं
कृष्ण। बड़े पूज्य हैं तथा कथित हिन्दुओं के. लेकिन पूजनीय हैं नहीं. चंद सेकंड में साबित करूंगा. किस का साथ दे रहे थे महाभारत में कृष्ण? पांडवों का. पांडवों में सब से बड़ा भाई युधिष्ठिर, धर्मराज युधिष्ठिर. जानते हैं वो जुए में अपना राज्य, अपने भाई, अपनी बीवी, खुद अपने आप को भी हार गया था. ऐसा भयंकर जुआरी. आज एक गंजेड़ी, भंगेड़ी, परले दर्जे का नशेड़ी भी इतना होश रखता है कि बीवी जूए पर लगाने की वस्तु नहीं है लेकिन ये श्रीमान तो धर्मराज थे. और कृष्ण, अवतारी कृष्ण इन धर्मराज के बंधू हैं, सखा हैं, सहाई हैं. द्रौपदी के अपमान का दोषी तो धर्मराज युधिष्ठिर था, न वो दांव पर द्रौपदी को लगाता न दुशासन और दुर्योधन उस का अपमान कर पाते. भीम को भी सारा गुस्सा युधिष्ठिर पर उतारना था. और महाभारत यदि लड़नी ही थी तो पांडवों में ही एक दुसरे के साथ लड़ी जानी चाहिए थी चूँकि युधिष्ठरि न सिर्फ द्रौपदी बल्कि बाकी भाइयों को भी जुए में हार गया था. भीम और बाकी पांडवों का पहला गुस्सा युधिष्ठिर के खिलाफ होना चाहिए थे. कौरवों पर गुस्सा तो बाद की बात थी. लेकिन कृष्ण यह सब नहीं समझाते. कृष्ण कौरवों के खिलाफ भिड़ा देते हैं पांडवों को. कुल नतीजा यह है कि न तो युधिष्ठिर कोई धर्म राज हैं और न ही उन का साथ देने वाले कृष्ण कोई अवतार। और पूज्य तो कतई नहीं.
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