मोदी का विकल्प ही नहीं यार......क्या करें...............? मोदी को वोट देना तो नहीं चाहते लेकिन उस पप्पू को वोट दें फिर क्या.......?
जब आप ऐसा कुछ कहते हैं...सोचते हैं...तो समझ लीजिये कि आप छद्म लोकतंत्र के शिकार हैं.....आप समझते हैं कि लोकतंत्र का अर्थ सिर्फ मोदी या राहुल गाँधी ही है...या फिर चंद और नकली नेता ही हैं.....
न.....मैंने पिछले विडियो में भी कहा था फिर से कहता हूँ........लोकतंत्र का अर्थ है लोगों का तन्त्र......लोगों द्वारा बनाया हुआ ...लोगों के लिए....ठीक? तो फिर अगर यह तन्त्र लोगों द्वारा ही बनाया जाना है तो फिर यह कैसे मोदी बनाम राहुल बन गया?
तो फिर कैसे मोदी का विकल्प राहुल ही रह गया?
नहीं.....अगर मोदी नकारा साबित हुए हैं तो फिर विकल्प राहुल नहीं है...विकल्प डेढ़ सौ करोड़ भारत की जनसंख्या में से कोई भी प्रतिभाशाली व्यक्ति हो सकता है? क्या एक भी व्यक्ति भारत माता ने पैदा नहीं किया जो मोदी से बेहतर राजनीतिक सामाजिक सोच रखता हो....प्लान रखता हो....सद-इच्छा रखता हो?
न ..यह कहना कि मोदी का कोई विकल्प नहीं..क्या डेढ़ सौ करोड़ भारतीयों का अपमान नहीं है?
है...सरासर है......याद रखिये यह जो आपको चंद धन्ना सेठों की राजनीतिक गुलामी दी जा रही है न लोकतंत्र के नाम पर..इसे खत्म कीजिये...एक से एक विकल्प मिलेंगे मोदी के...एक से एक बेहतरीन व्यक्ति....
इस मोदी और राहुल की ब्रांडिंग से परे सोच कर देखिये...सोचिये कि क्या यह लोकतंत्र है कि देश दो लोगों की नूर कुश्ती में उलझा रहे?
समझिये कि जब आप से कहा जाता है कि मोदी का कोई विकल्प नहीं तो असल में आपसे कहा जा रहा है कि इस नकली लोकतंत्र में मोदी का कोई विकल्प नहीं है......इस धन्ना सेठों की पकड़-जकड़ वाले लोकतंत्र में मोदी का कोई विकल्प नहीं है......इस कॉर्पोरेट-मनी के गुलाम लोकतंत्र में मोदी का कोई विकल्प नहीं है....इस मीडिया-ब्रांडिंग वाले लोकतंत्र में मोदी का कोई विकल्प नहीं है.....
ठीक है...हमें इस तरह के लोकतंत्र में मोदी का कोई विकल्प चाहिए भी नहीं...हमें इस तरह का लोकतंत्र चाहिए भी नहीं...हमें इस तरह का लोकतंत्र ही नहीं चाहिए.....हमें असल लोकतंत्र चाहिए.....जिसमें एक मोची भी प्रधान-मंत्री बन सके..बस उसके पास हमारे मुल्क के लिए प्लान होना चाहिए.
नमस्कार.......धन्यवाद
जब आप ऐसा कुछ कहते हैं...सोचते हैं...तो समझ लीजिये कि आप छद्म लोकतंत्र के शिकार हैं.....आप समझते हैं कि लोकतंत्र का अर्थ सिर्फ मोदी या राहुल गाँधी ही है...या फिर चंद और नकली नेता ही हैं.....
न.....मैंने पिछले विडियो में भी कहा था फिर से कहता हूँ........लोकतंत्र का अर्थ है लोगों का तन्त्र......लोगों द्वारा बनाया हुआ ...लोगों के लिए....ठीक? तो फिर अगर यह तन्त्र लोगों द्वारा ही बनाया जाना है तो फिर यह कैसे मोदी बनाम राहुल बन गया?
तो फिर कैसे मोदी का विकल्प राहुल ही रह गया?
नहीं.....अगर मोदी नकारा साबित हुए हैं तो फिर विकल्प राहुल नहीं है...विकल्प डेढ़ सौ करोड़ भारत की जनसंख्या में से कोई भी प्रतिभाशाली व्यक्ति हो सकता है? क्या एक भी व्यक्ति भारत माता ने पैदा नहीं किया जो मोदी से बेहतर राजनीतिक सामाजिक सोच रखता हो....प्लान रखता हो....सद-इच्छा रखता हो?
न ..यह कहना कि मोदी का कोई विकल्प नहीं..क्या डेढ़ सौ करोड़ भारतीयों का अपमान नहीं है?
है...सरासर है......याद रखिये यह जो आपको चंद धन्ना सेठों की राजनीतिक गुलामी दी जा रही है न लोकतंत्र के नाम पर..इसे खत्म कीजिये...एक से एक विकल्प मिलेंगे मोदी के...एक से एक बेहतरीन व्यक्ति....
इस मोदी और राहुल की ब्रांडिंग से परे सोच कर देखिये...सोचिये कि क्या यह लोकतंत्र है कि देश दो लोगों की नूर कुश्ती में उलझा रहे?
समझिये कि जब आप से कहा जाता है कि मोदी का कोई विकल्प नहीं तो असल में आपसे कहा जा रहा है कि इस नकली लोकतंत्र में मोदी का कोई विकल्प नहीं है......इस धन्ना सेठों की पकड़-जकड़ वाले लोकतंत्र में मोदी का कोई विकल्प नहीं है......इस कॉर्पोरेट-मनी के गुलाम लोकतंत्र में मोदी का कोई विकल्प नहीं है....इस मीडिया-ब्रांडिंग वाले लोकतंत्र में मोदी का कोई विकल्प नहीं है.....
ठीक है...हमें इस तरह के लोकतंत्र में मोदी का कोई विकल्प चाहिए भी नहीं...हमें इस तरह का लोकतंत्र चाहिए भी नहीं...हमें इस तरह का लोकतंत्र ही नहीं चाहिए.....हमें असल लोकतंत्र चाहिए.....जिसमें एक मोची भी प्रधान-मंत्री बन सके..बस उसके पास हमारे मुल्क के लिए प्लान होना चाहिए.
नमस्कार.......धन्यवाद
No comments:
Post a Comment