Friday, 2 November 2018

BE SELECTIVE

मुझ से बहुतेरों को शिकायत है कि मैं उनसे बहस क्यों नहीं करता? उनसे भिड़ता क्यों नहीं? उनको मुझ से भिड़ने का मौका देता क्यों नहीं? वाज़िब शिकायत लगती है. मेरा जवाब है, "भय्ये, मेरा समय मेरा है. मैं नहीं लगाना चाहता आपके साथ. मेरी मर्ज़ी." फिर सवाल उठता है कि क्या मैं सिर्फ 'हाँ'-'हाँ' करने वाले ही अपने गिर्द रखना चाहता हूँ? जवाब यह है कि मैं सिर्फ 'न'-'न'-'न', करने वालों से दूर रहना चाहता हूँ, उनको दूर रखना चाहता हूँ. और बहुत लोग ऐसे भी होते हैं जो बीच में कहीं होते हैं. जिनकी 'हाँ' या 'न' पहले से तय नहीं है, जिनका कोई फिक्स एजेंडा नहीं है. इन लोगों के लिए होता है मेरे जैसे लोगों का प्रयास. इनको मेरे शब्दों से कोई मदद मिल सकती है. जो पहले से ज्ञानी है, वो तो महान हैं ही. और जो पहले से ही किसी विचार-धारा विशेष को खाए-पीये हैं, हज़म किये बैठे हैं, वो महानुभाव हैं. वो सोशल मीडिया पर बस हगने आये हैं, उनके भी मैं किस काम का? सो ऐसे लोगों के साथ मैं समय नहीं लगाता. किसान भी बीज डालने से पहले देखता है कि ज़मीन उपजाऊ है कि नहीं. पथरीली बंजर ज़मीन पर बीज नहीं डाले जाता. हल कहाँ चलाना है? सोचता है. मेहनत कहाँ लगानी है? देखता है. बंजर ज़मीन तो फिर मेहनत करके उपजाऊ बनाई जा सकती है लेकिन इंसानी दिमाग जो बंजर हो, उस पर तो अक्ल का पौधा उगाना लगभग नामुमकिन है. मेरा काम है 'प्रॉपर्टी डीलिंग' का. हमें सिखाया जाता है, "ग्राहक भगवान का अवतार है." "Customer is always right." लेकिन मैं ऐसा नहीं मानता. इसमें भी मै बहुत सेलेक्टिव हूँ. हरेक कस्टमर के साथ अपना समय लगाने को कभी भी तैयार नहीं रहता. चाहे कस्टमर कष्ट से मर ही जाए. मेरी बला से. भारत में ऐसा माना जाता है कि 'प्रॉपर्टी डीलर' लोगों को मूर्ख बनाते हैं. लेकिन मेरा तो तजुर्बा यह है कस्टमर भी कोई कम नहीं है. जहाँ जिसका दांव चल जाए बस. चूँकि यहाँ कस्टमर की 'प्रॉपर्टी डीलर' के साथ कोई लिखित कमिटमेंट तो होती नहीं, सो कस्टमर प्रॉपर्टी डीलर से सब सीखता है, उसे खूब घुमाता है, उसका तन-मन-धन खराब करवाता है और फिर उसे ड्राप कर देता है. तो मैं बहुत सेलेक्टिव हूँ. कस्टमर थोड़ा भरोसेमंद दिखे तो ही सीट से उठता हूँ. ज़्यादातर तो 'डिस्प्यूटेड प्रॉपर्टी' में डील करता हूँ, उसमें आम डीलर का कोई दखल ही नहीं होता. सो मैदान खाली. करना है मुझसे डील करो. नहीं करना तो भी करना मुझ से पड़ेगा या मुझ जैसे ही किसी से करना पड़ेगा. टिंग. टोंग. यह है अपने ढंग. ढोंग. अंग्रेज़ी की कहावत है. "Garbage in, Garbage Out." यानि कूड़ा-करकट अंदर फेंकोगे तो कूड़ा-करकट ही बाहर निकलेगा. हिंदी का शब्द है 'आहार'. इसका मतलब भोजन नहीं है. इसका मतलब है जो कुछ भी हम अपने भीतर डालते हैं, वो. वो सब आहार है. बकवास विचार, जो हम फेसबुक, you-tube, ब्लोग्स पर पढ़ते-सुनते हैं, उनसे बचें. कूड़ा अंदर न डालें. सावधान रहिये. कुल मतलब यह कि चाहे ऑनलाइन रहो, चाहे ऑफलाइन. थोड़ी अक्ल लगाओ. जीवन के दिन, घंटे, पल सीमित हैं. हरेक इडियट के साथ खराब मत करो. संदेश है मेरा, "Be Selective." तो हे पार्थ. गांडीव उठाओ और अपने ऑनलाइन और ऑफलाइन जीवन से सब बकवास लोग दूर कर दो. नमन...तुषार कॉस्मिक

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