जाट रे जाट, सोलह दूनी आठ

 जब गुरु तेग बहादुर शहीद किये जा चुके थे तो उन का सर ले के शिष्य भागे. पीछे मुगल फ़ौज थी. हरियाणा के कोई "दहिया" थे, जिन्होंने ने अपना सर काट पेश कर दिया मुगल सेना को भरमाने को ताकि गुरु के शीश की बेकद्री न हो. पढ़ा था कहीं. सच-झूठ पता नहीं. जाट रेजिमेंट, सबसे ज्यादा वीरता पुरस्कार विजेता रेजिमेंट है. अब फिर खेलों में मैडल ले रहे हैं  हरियाणवी छोरे-छोरियाँ. लेकिन यह एक पक्ष है.

दूसरा पक्ष. दिल्ली में हरियाणवी लोगों को "घोडू" कहा जाता है. "जाट रे जाट, सोलह दूनी आठ." क्यों? क्योंकि बेहद अक्खड़ हैं. तू-तडांग की भाषा प्रयोग करते हैं.  बदतमीजी करते हैं. झगड़े करते हैं. और बदमाशी भी करते हैं. आप देख रहे हैं दिल्ली में जितने गैंगस्टर हैं सब हरियाणा के जाटों छोरों के हैं. क्यों? वजह है. दिल्ली की ज़मीनों ने सोना उगला और सब देहात करोड़पति हो गए. और बिना मेहनत का पैसा बर्बाद कर देता है. वही हुआ. पैसा आया लेकिन समझ न आ पाई. तभी सुशील कुमार ओलिंपिक मैडल जीत कर भी क्रिमिनल बन गया. जाट समाज को अपने अंदर झाँकना होगा, समझ पैदा करनी होगी, ऊर्जा पॉजिटिव दिशाओं में मोड़नी होगी. अन्यथा अंततः हानि जाट समाज की ही होगी.   ~ तुषार कॉस्मिक

Comments

  1. अति उत्तम विश्लेषण. धन्यवाद.

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  2. जाट रेजिमेंट सबसे ज्यादा वीरता पुरस्कार विजेता रेजिमेंट नहीं है और ना ही सबसे पुरानी।

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