Tuesday 4 January 2022

मोक्ष

 मुझे लगता है मोक्ष की कामना ही इसलिए रही होगी कि जीवन अत्यंत दुःख भरा रहा होगा. एक मच्छर. "एक मच्छर साला हिजड़ा बना देता है." कुछ सदी पहले का ही जीवन काफी मुश्किलात से भरा रहा होगा.. "ये जीना भी कोई जीना है लल्लू." सो मोक्ष. "वरना कौन जाए जौक दिल्ली की गलियां छोड़ कर." ज़िन्दगी ऐसी रही होगी जिसमें ज़िंदगी होगी ही नहीं. बेजान. वरण ठंडी नरम हवा, बारिश की बूँदें, नदी की लहरें, समन्दर का किनारा, पहाड़ी पग-डंडियाँ...इतना कुछ छोड़ कर कौन मोक्ष की कामना करेगा?~ तुषार कॉस्मिक

2 comments:

  1. ठंडी नरम हवा, बारिश की बूँदें, नदी की लहरें, समन्दर का किनारा, पहाड़ी पग-डंडियाँ... और इश्क.

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