संघ यानि आरएसएस यानि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
भारत ने बहुत सी विचार धारायों को जनम दिया..........विज्ञान तो न दिया...लेकिन जीवन दर्शन बहुत दे दिए...सब एक से एक बकवास.....संघ भी उनमें से एक है....मैंने समय समय पर कई आर्टिकल लिखे और छापे...उनको जोड़ प्रस्तुत कर रहा हूँ....आशय विचार विमर्श के लिए प्रेरित करना है ...स्वागत है आप सबका  (1)  मैंने संघ क्यों छोड़ा------  संघ मतलब आरएसएस, मतलब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ.  मुस्लिम या इसाई आदि को छोड़ शायद ही कोई लड़का हो जो अपने लड़कपन में एक भी बार संघ की शाखा में न गया हो....शायद मैं आठवीं में था.....ऐसे ही मित्रगण जाते होंगे शाखा...सो उनके संग शुरू हो गया जाना.....अब उनके खेल पसंद आने लगे...फिर शुरू का वार्मअप और बहुत सी व्यायाम, सूर्य नमस्कार, दंड (लट्ठ) संचालन बहुत कुछ सीखा वहां........जल्द ही शाखा का मुख्य शिक्षक हो गया..वहीं थोड़ा दूर कार्यालय था ...वहां बहुत सी किताबें रहती थी.......पढ़ी भी कुछ......संघ की शाखा का सफर जो व्यायाम और खेल से शुरू हुआ वो संघ की विचारधारा को समझने की तरफ मुड़ गया..........   लेकिन दूसरों में और मुझमें थोड़ा फर्क यह था कि मैं सिर्फ संघ की ही किताबें नही पढ़त...