Sunday, 26 November 2017

यादें बचपन की

तूने खाया, मैंने खाया एक ही बात है." और अपनी पसंद की चीज़ माँ मेरे मुंह में ठूंसती जाती थी.
आज काजू लाते हैं तो मैं श्रीमति को कहता हूँ, "मुझ से छुपा के रख दो, बच्चों को पसंद हैं, वो खायेंगे."

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