Thursday, 17 May 2018

मर्द ने औरत के साथ अभी तक सोना‌ ही सीखा है, जागना नहीं, इसलिए मर्द और औरत का रिश्ता उलझनों का शिकार रहता है| - Amrita Pritam. मेरी टिप्पणी:-- यह एक फेमिनिस्ट किस्म का ख्याल भर है. मैं अमृता जी के इस कथन से असहमत हूँ. औरत भी मर्द को ATM समझती है. Sex दोनों की ज़रूरत है. औरत भी कम बकवास नहीं है. जरा पलड़ा एक तरफ झुका और मर्द की ऐसी की तैसी फेर देती है. लाखों झूठे दहेज़ प्रताड़ना केस और दशकों पहले के यारों के ऊपर बलात्कार के केस, सबूत हैं. अभी कुछ दिन पहले ही फोन था. किसी फेसबुक मित्र का. पैसे देने थे किसी के. दिए नहीं. उल्टा अपनी बीवी से उसके खिलाफ छेड़-छाड़ का केस डलवा दिया. अब इसमें जल्दी जमानत भी नहीं. अगले को घर छोड़ भागना पड़ गया. स्थिति आदमी की भी खराब है और बहुत बार औरत ही खराब करती है. झूठे केस डाल कर. स्थिति खराब दोनों की है और वो समाज के बुनियादी ढाँचे के गलत होने की वजह से है. जैसे ट्रैफिक लाइट खराब हो तो एक्सीडेंट हो जाये और लोग एक दूजे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने लगें. एक दूजे को गाली देने लगें. जबकि बड़ी वजह यह है कि ट्राफिक लाइट ही काम नहीं कर रही. मर्द और औरत का रिश्ता अगर गड़बड़ होता है तो वो इसलिए नहीं कि आदमी ने औरत के साथ सिर्फ सोना सीखा, जागना नहीं. उसकी वजहें और हैं. और उनमें प्राइवेट प्रॉपर्टी के कांसेप्ट का सब समाजों में स्वीकृत होना एक है. आज निजी प्रॉपर्टी खत्म करो, फॅमिली खत्म. फॅमिली खत्म तो मर्द औरत दोनों आज़ाद. सो वजहें, वो नहीं जो अमृता जी ने लिखा है, वजहें अलग हैं. बीमारी अलग है और इलाज भी अलग है.

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