दो लहरों की टक्कर...दक्षिणपंथ बनाम वामपंथ
यह गुरुदत्त जी का उपन्यास है. जहाँ तक याद पड़ता है, पहली बार यह मैंने संघ के कार्यालय में देखा था. फिर बाद में "हिंदी पुस्तक भण्डार" क्नॉट प्लेस में यह किताब दिखती थी. न मैंने खरीदी, न पढ़ी. अपने इस लेख का शीर्षक धन्यवाद सहित गुरुदत्त जी से ले रहा हूँ. जिस सामाजिक व्यवस्था में हम हैं. वो मुख्यतः दो रास्तों से आती है. और दोनों में कनफ्लिक्ट है. कुश्ती है. दोनों गुत्थम-गुत्था हैं. कुश्ती क्या है MMA फाइट है. दो लहरों की टक्कर है. इस व्यवस्था का एक हिस्सा आता है तथा-कथित धर्मों से. ईसाईयत में पहले चर्च और कोर्ट एक ही होते थे. "जोन ऑफ़ आर्क" को जिंदा जला दिया जाने का कानूनी फैसला चर्च से ही दिया गया था. कानून कोई धर्म से अलग नहीं था. मुस्लिम समाज की व्यवस्था कहाँ से आती है. कुरान से. मुस्लिम समाज का कानून कहाँ से आता है? कुरान से. शरियत क्या है? कुरान से निकला कायदा-कानून. सिक्खी में भी "रहत मर्यादा" का कांसेप्ट है, जो गुरुओं की शिक्षाओं से आता है. क्या है मेरा पॉइंट?...