मैं मोदी को एक स्टेज एक्टर से ज्यादा कुछ नहीं मानता. लेकिन सवाल यह है कि कोई भी सरकार आये, यह भरपूर कोशिश होनी चाहिए कि इस्लाम हारना चाहिए.....और ऐसा पूरे दुनिया में होना चाहिए.
बाकी साथ-साथ हर धर्म को झन्ड करते रहें. सब माफिया हैं. इस्लाम सबसे बड़ा.
सब एक दूजे को परोक्ष रूप से सपोर्ट करते हैं. इनका आपसी विरोध भी परोक्ष रूप से दूजे की सपोर्ट बन जाता है.
हिन्दू कट्टर बन जाता है, इस्लाम जैसा ही बन जाता है चूँकि उसे इस्लाम का खतरा महसूस होता है.
और इस्लाम तो है ही छद्म-सेना. मोहम्मद की सेना. यह कोई धर्म नहीं है. यह धरम का भरम है.
यह बस सब तरह की सोच-विचार को निगल कर इस्लामिक सोच को आच्छादित करने का सिस्टम है. और इस सिस्टम में काफिर की हत्या, बलात्कार, लूट-पाट सब जायज़ है.
पूरी दुनिया से इसे उखाड़ फ़ेंकना ज़रूरी है. दुनिया ने बहुत से खतरे देखे हैं. इस्लाम भी बड़ा खतरा है. पिछले चौदह सौ सालों से दुनिया को इसने खूब जंगें दी हैं.
बस. अब इसे विदा कीजिये.
कुरान की एक-एक आयत को तर्क की कसौटी पर कसें.
ऐसा नहीं कि मुसलमान कोई समझ जायेगा. न. वो बहुत मुश्किल है. लगभग असम्भव.
बाकी दुनिया समझ जाए, सावधान हो जाए तो बहुत मसला हल हो सकता है. जैसे आज बहुत मुल्क मुस्लिम को एंट्री देने में हिचक रहें हैं.
क्यों?
चूँकि वो इस्लाम का खतरा समझ रहे हैं. यह खतरा हरेक को समझना चाहिए. यह समझ ऐसे हालात पैदा करेगी कि इस्लाम को विदा होना पड़ेगा.
नमन.....तुषार कॉस्मिक
No comments:
Post a Comment