नववर्ष

क्या आप  सहमत होंगे मुझे से अगर मैं कहूँ कि  समय नाम की कोई चीज़ नहीं होती? दिन-वार, तिथि, वर्ष, माह....  कुछ नहीं होता.सिवा इंसान के किसी पशु-पक्षी, पेड़-पौधे को नहीं पता कि आज कोई नववर्ष की शुरुआत है  चूँकि समय का विभाजन सिर्फ इंसान की कल्पना है.असल में समय ही इंसान की कल्पना है. कल्पना है बदलते मौसम को, दिन-दोपहर, रात को समझने के लिए. 

जब समय सिर्फ कल्पना है तो फिर कैसा नव-वर्ष? 
फिर नव वर्ष का सेलिब्रेशन? फिर शुभ कामनाएं? क्या मतलब इस सब का?

असल में तो जीवन ही अपने आप सेलिब्रेशन होना चाहिए. 
हल पल सेलिब्रेशन होना चाहिए. सेलिब्रेशन के लिए बहाने नहीं खोजने पड़ने चाहिएं.  

और

हम सब में विश्व-कल्याण का भाव सदैव होना चाहिए. 
हम सब सदैव एक दूजे के लिए शुभ-भाव से भरे होने चाहिए. शुभ-कामनाओं से भर-पूर होने चाहिए. 

लेकिन यह सब अभी दूर की कौड़ी है.दिल्ली अभी दूर है. बहुत दूर. 

सो फिलहाल हम काम चला रहे हैं नव-वर्ष की शुभ कामनाओं से. स्वीकार करें. 

नमन...तुषार कॉस्मिक.

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