अल्प-संख्यक जैन-सिक्ख आदि नहीं हैं बल्कि वो लोग हैं जो आज सब चलताऊ धर्मों से विमुख हैं, जो अपनी खोज खुद करना चाहते हैं, जो अपने आप में ही धर्म हैं.
ऐसे लोग पूरी दुनिया में हैं और तेजी से बढ़ रहे हैं. फिर भी आज ये हैं सबसे बड़े अल्पसंख्यक.
इनको बाकी समाजों की मान्यताओं को न चाहते हुए भी समर्थन देना पड़ता है, चूंकि यदि ये ऐसा न करें तो जीना मुश्किल हो जाये, शायद कत्ल भी कर दिए जाएं.
इसलिए पूरी दुनिया का फर्ज है, ऐसे लोगों को संरक्षण दे. हाँ, यह संरक्षण इनकी सोच, इनकी मान्यताओं के वैज्ञानिक टेस्ट के बाद दें वरना बहुत से oversmart धार्मिक लोग इस 'संरक्षण व्यवस्था' को भेद देंगे.
तुषार कॉस्मिक
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