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Showing posts from 2023

The difference of Liking and loving

Do you believe that Loving is a higher, upper stage of liking? First, we like someone, and then, if we go deeper, we may start loving someone. But it is not always like that. Sometimes it may be the opposite. For example, you may love one of your children but not like her. Your love for her is the love of a father. But her erratic behavior, her irresponsible conduct, her egoistic and insulting body language.......You might not like it, You might even hate it. So that is the difference. Love, it is there, but liking her...no. Not all. That is the difference. Just an example.

Cease-fire

हमास फिलिस्तीन है. फिलिस्तीन इस्लामिक है. इस्लाम हर गैर-मुस्लिम के खिलाफ है चाहे वह यहूदी हो, हिंदू हो या कोई और। हम इन सबके ख़िलाफ़ हैं. हम इजराइल के साथ हैं. हम भारतीय हैं. हम गैर मुस्लिम भारतीय हैं. संघर्ष विराम. लेकिन इज़रायली बंधकों की वापसी की गारंटी कौन लेता है? इजराइल पर दोबारा हमला न हो इसकी गारंटी कौन लेता है? Hamas is Palestine. Palestine is Islamic. Islam is against every Non-Muslim be it Jews, Hindus, or anyone else. We are against all this. We are with Israel. We are Indians. We are Non-Musim Indians. Cease-fire. But who takes the guarantee of the return of the Israeli hostages? Who takes the guarantee of no attack on Israel again?

नेकी कर और जूते खा

हम ने किताबों में पढ़ा, फिल्मों से सीखा कि दूसरों की मदद करो. इंसान ही इंसान के काम आता है, काम आना चाहिए. मैंने भी ११०० से ज़्यादा लेख लिखे हैं. क्यों लिखे हैं? इंसान की, इंसानियत की बेहतरी के लिए. वैसे भी जीवन में कोशिश की है हमेशा कि जितनी भी मेरी तरफ से किसी की मदद हो सकती हो, हो जाए. अक्सर कहते भी हैं हम कि इंसानियत ही सब से बड़ा धर्म है. लेकिन पीछे कुछ समय से मेरी राय बदलती जा रही है. हमारी सभ्यता सिर्फ दिखावा है. ज़रा सी परत खुरचो तो नीचे जंगली जानवर निकलता है. हमारे शहर सिर्फ कंक्रीट के जंगल हैं. इंसान सिर्फ अपना स्वार्थ समझता है, अपनी वक्ती ज़रूरत समझता है, अपनी भूख समझता है, अपनी प्यास समझता है. नाक से आगे देखने, सोचने की उस की क्षमता बहुत कम होती है. अपने और अपने परिवार से आगे उस की आँख बहुत कम देख पाती है. बड़ी-बड़ी मीठी-मीठी बातें सिर्फ ढकोसला है, छलावा है, मुखौटा है, उस की गंदगी, उस का मतलबी चेहरा छुपाने को. अक्सर सुनता था, पढता था कि कोई किसी को छुरा मारता रहा, जनता देखती रही, किसी ने रोका नहीं, लुटेरा लूट कर रहा था सरे-राह, लोग अपने रस्ते चलते रहे. कोई बलात्कार हुआ, लोगों ने...

सही परवरिश

सही परवरिश यह है कि बच्चों को मज़बूत बनाएं. उन को जीत और हार दोनों पचाना सिखाएं. उन को जीवन के छित्तर खाना सिखाएं, झेलना सिखाएं. यदि आप ने अपने बच्चों को मज़बूत बनाना है तो उन्हें सुविधा-भोगी मत बनाएं. यदि आप की कार ले कर देने की हैसियत है तो उन को साइकिल ले कर दें. उन को धूप, ठंढ झेलना सिखाएं. उन को समझाएं कि वो बर्फ़ के नहीं बनें हैं जो बारिश में-धूप में पिघल जाएंगे, वो तिनकों के नहीं बने हैं जो आँधी में उड़ जाएंगे। कभी मत सोचें कि जो कष्ट मैंने झेले हैं, वो मेरे बच्चे न झेलें. बिना कष्ट झेले वो कष्ट झेलने की ताकत ही पैदा न कर पायेंगे. उन्हें अस्पताल, श्मशान, कोर्ट कचहरी, पुलिस थाना सब दिखाएं. वहाँ क्या होता है, एक आम इंसान की इन जगहों में क्या औकात है, यह समझाएं. देखा है अमीरों के बच्चे कैसे लुंज-पुंज होते हैं? एक दम धरती पर बोझ. गरीबी मार देती है, अमीरी भी मार देती है. अथाह पैसा भी बच्चों को बर्बाद कर देता है. बच्चों को नशेड़ी, उछृंकल बना देता है, गैर-ज़िम्मेदार बना देता, बद-तमीज बना देता है, उन को अच्छे-बुरे की समझ भुला देता है. मेरे परिवार में दो बच्चे इसलिए मर चुके हैं चूँकि पैसा ज़रूर...

What is this bullshit?

Left, Right. Far right, far left. Mid right, mid left. Idiotic. Either someone is idiotic or wise. Right or Wrong. That is it. This right-wing-left-wing theory is idiotic

जन्नत और दोजख

  इस्लाम में जन्नत और दोजख की स्पष्ट अवधारणा है। "सबूत क्या है? क्या आपको जन्नत या जहन्नुम से कोई एसएमएस, व्हाट्सएप, ईमेल या फोन कॉल प्राप्त हुआ है? क्या आपके पास जन्नत या जहन्नुम के अस्तित्व को साबित करने के लिए कोई वीडियो या ऑडियो रिकॉर्डिंग है? या क्या आपके पास कोई अन्य सबूत है?" मैं मुसलमानों से पूछना चाहता हूं. There is a clear concept of Jannat and Dojakh in Islam. "What is the Evidence? Have you received any SMS, WhatsApp, email or phone call from Jannat or Jahannum? Do you have any video or audio recordings to prove the existence of Jannat or Jahannum? Or do you have any other proof to prove your belief?" I wanna ask Muslims friends.

गज़वा-ए-हिन्द' ~~ Gazwa-E- Hind

यह वर्णन किया गया था कि अल्लाह के दूत (ﷺ) के मुक्त गुलाम थावबन ने कहा: "अल्लाह के दूत (ﷺ) ने कहा: 'मेरी उम्मत के दो समूह हैं जिन्हें अल्लाह आग से मुक्त करेगा: वह समूह जो भारत पर आक्रमण करेगा, और वह समूह जो 'ईसा बिन मरियम' के साथ होगा, शांति उस पर हो।' " Sunan an-Nasa'i » The Book of Jihad - كتاب الجهاد » Hadith 3175/ 25 The Book of Jihad/ (41)Chapter: The Battle Expedition of India.. It was narrated that Thawban, the freed slave of the Messenger of Allah (ﷺ), said: "The Messenger of Allah (ﷺ) said: 'There are two groups of my Ummah whom Allah will free from the Fire: The group that invades India, and the group that will be with 'Isa bin Maryam, peace be upon him.'"

नुपुर शर्मा

यह मुद्दा इन दिनों फिर से महत्वपूर्ण इसलिए है चूँकि "गर्ट विल्डर" ने नेदरलॅंड्स का चुनाव जीत लिया है. तो क्या? उस से क्या सम्बन्ध? संबंध है. यह एकमात्र ऐसा राजनेता था जिसने नूपुर शर्मा का साथ दिया था, उस वक्त साथ दिया था जब कि नूपुर शर्मा की अपनी पार्टी ने उसे निकासित कर दिया था. खैर. जो भी नुपुर ने कहा था, वो रहमानी के जवाब में कहा था. और जो कहा था वो कुछ भी मन-घडंत नहीं था. पैगम्बर साहेब की निंदा तो तब होती जब नुपुर ने कुछ ऐसा बोला होता जो इस्लाम मानता न होता. इस्लामिक ग्रन्थों में लिखा है कि पैगम्बर साहेब ने हज़रत आईशा से जब शादी की तो वो 6 साल की थीं. जब जिस्मानी रिश्ता बनाया तब वो 9 साल की थी. इसी बात को श्रीमान जाकिर नायक ने भी तसदीक किया है. लेकिन नुपुर शर्मा ने बोल दिया तो उसे मार दिया जाना चाहिए! क्यों? नुपुर शर्मा ने नेगेटिव सेंस में बोला शायद इसलिए. ठीक है, तो आप इसी मुद्दे को पॉजिटिव कर के बता दें. बता दीजिये कि नुपुर कहाँ ग़लत है. और पैगम्बर साहेब ने जो किया वो कैसे सही है, किन विशिष्ट हालात में ऐसा किया और वो कैसे अनुकरणीय है. बस, नुपुर को टांग दो. टांग भी दिया ...

वेज बिरयानी ???

यह एक मिथ्या नाम है. ऐसी कोई चीज़ नहीं है जिसे वेज बिरयानी कहा जा सके। हम हिंदी में इसे पुलाव कहते हैं. पुलाव का मतलब मिश्रित सब्जियों के साथ पकाया गया चावल है। तो फिर इसे वेज बिरयानी क्यों कहा जा रहा है? इस्लामिक प्रभाव के कारण. मुस्लिम लोगों को चावल और मांस का मिश्रण बिरयानी बहुत पसंद होती है. उन्हीं के प्रभाव से पुलाव भी वेज बिरयानी बन गया है। इस तरह संस्कृति पर आक्रमण होता है। छोटे कदम।  बड़े   प्रभाव. 

आप कैसे जानते हैं, "अल्लाह हू अकबर"?

आप कैसे जानते हैं  कि  अल्लाह महान है, या अल्लाह महान है? सबूत क्या हैं? अल्लाह ने कौन सी प्रतियोगिता लड़ी है? और किसके साथ? कैसी तुलना? किसके साथ? और उस तुलना के प्रमाण क्या हैं? कोई वीडियो? कोई ऑडियो?

इस्लामिक कलमा पर मेरे प्राथमिक सवाल

यह है शुरूआती कलमा:-- “अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं और हज़रत मुहम्मद सलल्लाहो अलैहि वसल्लम अल्लाह के रसूल है।” There is no God but Allah Muhammad is the messenger of Allah “मैं गवाही देता हुँ के अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं। वह अकेला है उसका कोई शरीक नहीं और मैं गवाही देता हुँ के हज़रत मुहम्मद सलल्लाहो अलैहि वसल्लम अल्लाह के नेक बन्दे और आखिरी रसूल है।” I bear witness that no-one is worthy of worship but Allah, the One alone, without partner, and I bear witness that Muhammad is His servant and Messenger. “अल्लाह की ज़ात हर ऐब से पाक है और तमाम तारीफे अल्लाह ही के लिए है। अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं और अल्लाह सबसे बड़ा है और किसी में ना तो ताकत है न बल, ताकत और बल तो अल्लाह ही में है, जो बहुत मेहरबान निहायत रेहम वाला है|” Glory be to Allah and Praise to Allah, and there is no God but Allah, and Allah is the Greatest. And there is no Might or Power except with Allah. सवाल:-- कैसे पता आप को कि अल्लाह के अलावा कोई और गॉड नहीं है? कैसे पता आप को कि मोहम्मद ही उस गॉड के मैसेंजर हैं? ...

Islamophobia is not a right Word. Start calling it ISLAMOFEAR

सबसे पहले ये समझें कि "फोबिया" क्या है. किसी अनुचित कारण से डर लगना ही फ़ोबिया है। अकारण भय महसूस होना। किसी ऐसी चीज़ से डरना जो वास्तव में डरावनी नहीं है। इस्लामोफोबिया. इस शब्द से यह आभास होता है कि लोग किसी फोबिया से पीड़ित हैं। लेकिन यह एक मिथ्या नाम है. इस्लाम से डरने वाले लोगों के पास कारण हैं. उचित कारण. इस्लामी Text/Books, इस्लामी इतिहास, इस्लामी सैन्य और सांस्कृतिक आक्रमण। सदियों पुरानी मान्यताएं. अवैज्ञानिक दृष्टिकोण. मुसलमानों की सर्वोच्चता की अनुचित भावना। पूरी दुनिया में गैर-मुसलमानों के खिलाफ हिंसा। यह इंटरनेट और वर्ल्ड वाइड वेब का युग है। चीजें ज्यादा दिनों तक छुपी नहीं रह सकतीं. लोग दिन-ब-दिन इस्लाम की हकीकत से वाकिफ होते जा रहे हैं। इसलिए डर है. इस डर को "इस्लामोफोबिया" शब्द से दूर नहीं किया जा सकता। नहीं, इनकार मोड किसी की मदद नहीं करेगा। मुसलमान  की  भी नहीं. दरअसल, अक्सर यह कहा जाता है कि मुसलमान इस्लाम के पहले शिकार हैं। इसलिए सबसे पहले हमें इस शब्द को, इस शब्द इस्लामोफोबिया फोबिया को छोड़ देना चाहिए और इसे ISLAMOFEAR कहना शुरू कर देना चाहिए और ...

Religions are not belief systems. There is no system in these beliefs.

These are just superstitions. Different sets of superstitions.

कला को वह मूल्य नहीं दिया गया जिसकी वह हकदार थी

कला को वह मूल्य नहीं दिया गया जिसकी वह हकदार थी। कला का अर्थ समाजशास्त्र, दर्शन, मनोविज्ञान, राजनीति विज्ञान और साहित्य है. यदि कला को उसका उचित मूल्य दिया गया होता, तो विश्व को युद्धों का सामना नहीं करना पड़ता। धर्मों, पवित्र चीज़ों ने कला का स्थान ले लिया है। धर्मों के अनुसार लोगों को मूल्य दिये गये हैं। वे मूल्य जो आदिम, सदियों पुराने और समय-वर्जित हैं। वे मूल्य जो मूल्य कला से प्राप्त होने चाहिये थे. इसीलिए सामाजिक मूल्य विकसित नहीं हो रहे हैं जब कि अन्य विज्ञान विकसित हो रहे हैं और समाज को बदल रहे हैं। इसलिए युद्ध हो रहे हैं. तुम दर्शन (Philosophy) का मूल्य नहीं समझते। दर्शनशास्त्र की समझ का उथलापन ही मनुष्य की लगभग हर समस्या का मूल कारण है। लोग पवित्र पुस्तकें पढ़ते हैं। मुझे विश्व साहित्य में रुचि है. लोग पवित्र पुरुषों में रुचि रखते हैं। मुझे वैज्ञानिकों और कलाकारों में दिलचस्पी है. लोगों ने अपने जीवन मूल्य पवित्र पुरुषों और पवित्र पुस्तकों से प्राप्त किए हैं। मैंने अपने मूल्य जीवन और साहित्य से प्राप्त किये हैं. Arts has not been given the value that it deserves. Arts mean ...

Indian should offer Jews to leave Israel and live in India

  यहूदियों की आबादी बहुत कम है. और हम भारतीयों को भारत में पहले से रह रहे यहूदियों से कोई दिक्कत नहीं है. और मेरे विचार से यहूदी एक बहुत अच्छी कौम है. उन्हें भारत में रहने की पेशकश क्यों नहीं की जाती? क्यों न उन्हें प्रस्ताव दिया जाए, "इज़राइल छोड़ो और आओ और भारत को अपने निवास स्थान के रूप में स्वीकार करो।" इस प्रकार, हम भारतीयों को भी उनकी वैज्ञानिक और तकनीकी मानसिकता से लाभ होगा। नहीं?

What is the meaning of "Cosmic" in my name Tushar Cosmic?

  My pen name is Tushar Cosmic. I like this name. That is why I chose "Kuhoo Kosmic" for my younger daughter. Do you know what the meaning of "Cosmic" is? अहं ब्रह्मास्मि.

मुसलमान कश्मीरी हिंदुओं के लिए वही रुख क्यों नहीं अपना रहे जो वे फ़िलिस्तीनियों के बारे में कह रहे हैं?

वे यह क्यों नहीं कहते कि कश्मीरी हिंदुओं के घरों पर मुसलमानों ने कब्जा कर लिया है और उनकी महिलाओं के साथ मुसलमानों ने बलात्कार किया है और उनके पुरुषों को मुसलमानों ने मार डाला है?

इस्लाम को पहले बिंदु से ही खारिज कर देना चाहिए क्योंकि यह आलोचना करने की इजाजत नहीं देता।

यह मोहम्मद, क़ुरान और इस्लाम की आलोचना करने की अनुमति नहीं देता है। और जहां आलोचना करने की यह आजादी नहीं है, वहां कोई बहस नहीं हो सकती, कोई तर्क-वितर्क नहीं हो सकता। और कोई भी किसी बात को बिना बहस के तार्किक ढंग से कैसे स्वीकार कर सकता है.

यह हमास नहीं है, यह इस्लाम है

  भारत में मुसलमानों ने हिंदुओं के मंदिरों पर कब्जा कर लिया है, कश्मीरी हिंदुओं के घरों, संपत्तियों पर कब्जा कर लिया. तो क्या हुआ? क्या किसी मुसलमान ने हिंदुओं के पक्ष में कुछ बात की/कुछ किया? कुछ नहीं। अधिक सटीक रूप से कहें तो यह हमास नहीं है, यह इस्लाम है.

गाजा में भूमिगत सुरंगें एक दिन में नहीं बनाई जा सकतीं।

  स्थानीय नागरिकों को हमास के साथ सहमत होना चाहिए। तो उन्हें निर्दोष कैसे कहा जा सकता है? और क्या आपने एक भी फ़िलिस्तीनी को इज़राइल या दुनिया में कहीं भी मुसलमानों के हमलों की निंदा करते देखा है? यदि नहीं, तो वे अब दुनिया से मदद क्यों मांग रहे हैं?

एक आदमी को शादी करते समय या दफनाते जाते समय सबसे अच्छा दिखना चाहिए।

  एक आदमी को शादी करते समय या दफनाते जाते समय सबसे अच्छा दिखना चाहिए। इसीलिए जब हमें यह समझ आता है कि हम अच्छे नहीं दिखते या अच्छा महसूस नहीं करते तो हम अपने प्रियजनों से भी मिलना नहीं चाहते। लेकिन दूसरे को लग सकता है कि हम उससे इसलिए बचते हैं क्योंकि हम मिलना नहीं चाहते। लेकिन वजह ये नहीं कि हम मिलना नहीं चाहते. इसका कारण यह है कि हमें लगता है कि हमारी शक्ल-सूरत या मानसिक स्थिति मिलने लायक नहीं है।

मुझे क्रिकेट से नफरत है

मुझे खेलों से प्यार है।लेकिन मुझे क्रिकेट से नफरत है. बहुत कारण से। एक तो इस खेल में प्रदर्शन को मापा नहीं जा सकता. यह संभावनाओं का खेल है. जिसने कल वर्ल्ड कप जीता, हो सकता है अगले दिन उसे हार मिल जाए. सच्चा खेल नहीं. शायद यही एक कारण है कि क्रिकेट फुटबॉल या किसी अन्य खेल की तरह विश्व खेल नहीं है। इसीलिए शायद क्रिकेट को अब तक ओलंपिक में नहीं लिया गया है. मेरी नफरत का दूसरा कारण यह है कि मैं सभी संगठित, संस्थागत, भीड़ पैदा करने वाले धर्मों का विरोध करता हूं। और क्रिकेट तो मानो एक धर्म बन गया है. भारत में लोगों ने क्रिकेटरों के मंदिर बना रखे हैं. और उन्होंने क्रिकेटरों को भगवान कहना शुरू कर दिया है. Holy-shit Tushar Cosmic

इजराइल-फ़लस्तीन-यहूदी-मुसलमान-ज़मीन-आसमान

बड़ी बहस है कि इजराइल की धरती यहूदियों की है या मुसलमानों की है. मुसलमान कहते हैं कि वो ज़मीन उन से छीन कर यहूदियों को दी गयी है. जब कि यहूदी उस ज़मीन पर अपना हक़ बताते हैं. ऐसा ही कुछ मामला कश्मीर का है. हिन्दू उस ज़मीन पर अपना पुराना हक़ जमाते हैं, जब कि इस वक्त ज़यादातर मुस्लिम रहते हैं वहाँ. तो हक़ किसका हुआ? असल बात यह है कि किसी भी ज़मीन पर किसी का कोई हक़ नहीं है. धरती माता ने आज तक किसी के नाम कोई रजिस्ट्री नहीं की है. ज़मीन पर कब्जा खेती जब शुरू हुई तभी से है. वो कब्ज़ा कबीलों से ले कर मुल्कों तक फैला है और उस कब्जे के झगड़े पूरी दुनिया में हैं. क्या हवा किसी एक की है, क्या दरिया किसी एक के हैं? वैसे दरिया भी बाँट लिए गए हैं. ऐसे ही धरती भी बाँट ली गयी है. बस चले तो हवा भी बाँट ली जाएगी और शायद आसमान भी. यह क्या बेवकूफी है? हम पशु-पक्षियों से भी बदतर हैं. इलाकों के लिए शायद वो भी इतना नहीं लड़ते जितना हम लड़ते हैं. हम उन से ज़्यादा समझदार हैं. हम में इन मुद्दों को लेकर तो कतई कोई झगड़ा होना ही नहीं चाहिए. लेकिन हमारी पीढ़ियां लड़ रही हैं. कबीले लड़ रहे हैं, गाँव लड़ रहे हैं. मुल्क लड़ रह...

पहले पेट फाड़ा, फिर गर्भवती मां को मार दी गोली, 20 बच्चों को जिंदा जलाया... हमास की क्रूरता सुन रो पड़ेंगे!

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Curated By  प्रियेश मिश्र  |  नवभारतटाइम्स.कॉम  |  Updated: 12 Oct 2023, 10:02 pm Subscribe इजरायल ने हमास के आतंकवादियों की बर्बरता को दुनिया के सामने रखा है। हमास के आतंकवादियों ने इजरायल में हैवानियत का वो प्रदर्शन किया, जिसे सुनकर किसी की भी रूह कांप जाएगी। उन्होंने बच्चे और बूढों तक को नहीं बख्शा। कई इजरायली मासूम बच्चों के सिर काटकर हत्या कर दी। इजरायल में हमास की क्रूरता तेल अवीव:  हमास ने इजरायल पर हमले के दौरान जो अत्याचार किए हैं, उन्हें सुनकर ही आपकी आंखें भर जाएंगी। फिर सोचिए, जिन पर ये बीती है, उन्हें कैसा लगा होगा। हमास ने 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमले के दौरान यह नहीं देखा कि सामने कोई बच्चा है, बूढ़ा है, अपंग है, महिला है या कोई पुरुष। उसके लिए हर एक इंसान सिर्फ इजरायली और यहूदी था, जिसकी हत्या करना उनके लिए किसी मेडल से कम नहीं था। हमास के आतंकवादियों के सामने जो कोई आया, उन्होंने उसे मार दिया। इजरायली नागरिकों की हत्या सिर्फ गोलियों से नहीं की गई। बल्कि, कई हत्याओं में चाकूओं और आग का भी इस्तेमाल किया गया। ताकि, उनकी क्रूरता की गूंज दुनिया म...